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इब्रानियों 5:11 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

11 इसके सम्‍बन्‍ध में हमें बहुत कुछ कहना है। पर इन बातों को समझाना कठिन है, क्‍योंकि आप लोग ढीले पड़ गये हैं और ऊंचा सुनने लगे हैं!

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पवित्र बाइबल

11 इसके विषय में हमारे पास कहने को बहुत कुछ है, पर उसकी व्याख्या कठिन है क्योंकि तुम्हारी समझ बहुत धीमी है।

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Hindi Holy Bible

11 इस के विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिन का समझना भी कठिन है; इसलिये कि तुम ऊंचा सुनने लगे हो।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

11 इसके विषय में हमें बहुत सी बातें कहनी हैं, जिनका समझाना भी कठिन है, इसलिये कि तुम ऊँचा सुनने लगे हो।

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नवीन हिंदी बाइबल

11 इस विषय में हमारे पास कहने के लिए बहुत कुछ है, जिसे समझाना कठिन है, क्योंकि तुम ऊँचा सुनने लगे हो।

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सरल हिन्दी बाइबल

11 हमारे पास इस विषय में कहने के लिए बहुत कुछ है तथा इसका वर्णन करना भी कठिन काम है क्योंकि तुम अपनी सुनने की क्षमता खो बैठे हो.

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इब्रानियों 5:11
12 क्रॉस रेफरेंस  

शबा देश की रानी ने प्रभु का नाम तथा सुलेमान की कीर्ति सुनी। वह पहेलियों से सुलेमान की परीक्षा करने के लिए आई।


इन लोगों की समझ पर पत्‍थर पड़ गए हैं; इनके कान बहरे हैं, और आंखें अंधी! अत: ये अपने कानों से सुन नहीं सकते, और न आंखों से इन्‍हें दिखाई देता है। इनका हृदय समझ नहीं पाता है; अन्‍यथा ये पश्‍चात्ताप करते, और मैं इनको स्‍वस्‍थ कर देता।’


क्‍योंकि इन लोगों की बुद्धि मारी गयी है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं; इन्‍होंने अपनी आँखें बन्‍द कर ली हैं; जिससे कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, बुद्धि से समझें और मेरी ओर लौट आएँ और मैं इन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ। ’


इस पर येशु ने उन से कहा, “क्‍या तुम अब भी नहीं समझ सके?”


तब येशु ने उन से कहा, “निर्बुद्धियो! नबियों ने जो कुछ कहा है, तुम उस पर विश्‍वास करने में कितने मन्‍दमति हो!


“मुझे तुम से और बहुत कुछ कहना है, परन्‍तु अभी तुम वह नहीं सह सकते।


उन्‍होंने फिलिप की परीक्षा लेने के लिए यह कहा। वह तो जानते ही थे कि वह क्‍या करेंगे।


क्‍योंकि इन लोगों का मन मोटा हो गया है। ये कानों से ऊंचा सुनने लगे हैं। इन्‍होंने अपनी आँखें बन्‍द कर ली हैं। कहीं ऐसा न हो कि ये आँखों से देखें, कानों से सुनें, मन से समझें और मुझ-प्रभु की ओर अभिमुख हो जायें, और मैं इन्‍हें स्‍वस्‍थ कर दूँ।’


इस समय तक आप लोगों को शिक्षक हो जाना चाहिए था, किन्‍तु यह आवश्‍यक हो गया है कि कोई आप को दुबारा परमेश्‍वर के वचनों का प्रारम्‍भिक ज्ञान दे। आप लोगों को ठोस भोजन की नहीं, बल्‍कि दूध की आवश्‍यकता है।


वह अपने सब पत्रों में ऐसा ही करते हैं, जहाँ वह इन बातों की चर्चा करते हैं। उन पत्रों में कुछ ऐसी बातें हैं, जो कठिनाई से समझ में आती हैं। आशििक्षत और चंचल लोग धर्मग्रन्‍थ की अन्‍य बातों की भाँति उनका भी गलत अर्थ लगाते और इस प्रकार अपना सत्‍यानश करते हैं।


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