उसने प्रभु से प्रार्थना की। उसने कहा, ‘प्रभु, मेरी तुझसे यह प्रार्थना है: जब मैं अपने देश में था, तब मैंने तुझ से यही तो कहा था; अब तो वही बात हुई। इसी कारण मैं तुरन्त तर्शीश नगर को भागा था। मैं जानता था कि तू कृपालु और दयालु परमेश्वर है। तू विलम्ब से क्रोध करने वाला और करुणा का सागर है। तू विपत्ति ढाहने के अपने निर्णय को बदलता भी है।
जब परमेश्वर ने यह देखा कि नीनवे के निवासियों ने पश्चात्ताप किया है, और उन्होंने अपना दुराचरण छोड़ दिया है, तब उसने उन पर विपत्ति ढाहने का विचार त्याग दिया। परमेश्वर ने कहा था कि वह उन पर विपत्ति ढाहेगा। पर उसने ऐसा नहीं किया।
‘हम आप-सब से पूछते हैं : क्या राजा हिजाकियाह ने नबी मीकायाह की इस कठोर नबूवत के कारण उन को मृत्यु-दण्ड दिया? कदापि नहीं; बल्कि वह प्रभु से डरा, और उसने प्रभु की कृपा के लिए विनती की। अत: प्रभु अपने निश्चय के लिए पछताया, और उसने यहूदा प्रदेश का अनिष्ट करने का जो निश्चय किया था, और जिसकी उसने घोषणा की थी, वह नहीं किया। किन्तु हम तो इस मनुष्य के साथ यह व्यवहार कर अपने ऊपर महा विपत्ति ला रहे हैं।’
इस्राएलियों ने अपने मध्य में स्थापित अन्य देशों के देवी-देवताओं की मूर्तियाँ हटा दीं, और वे प्रभु की आराधना करने लगे। प्रभु का प्राण इस्राएलियों के कष्ट के कारण अधीर हुआ!
जब प्रभु इस्राएलियों के लिए शासक नियुक्त करता था तब प्रभु उस शासक के साथ रहता था। प्रभु शासक के जीवनभर इस्राएलियों को उनके शत्रुओं के हाथ से मुक्त रखता था। जब वे अत्याचारी के अत्याचार तथा शत्रुओं के दबाव के कारण कराहते थे, तब प्रभु दया से द्रवित हो जाता था।
प्रभु ने कहा, ‘मैं मनुष्य को पृथ्वी की सतह से मिटा दूंगा, जिसको मैंने रचा था। मैं मनुष्यों को, पशुओं को, रेंगनेवाले जन्तुओं और आकाश के पक्षियों को नष्ट करूंगा; क्योंकि मुझे इस बात का दु:ख है कि मैंने उन्हें बनाया।’
यदि तुम इस देश में रहोगे, तो मैं तुम्हारा पुन: निर्माण करूंगा, और तुम्हें नष्ट नहीं करूंगा। मैं तुम्हारे वंश-वृक्ष को पुन: रोपूंगा, और तुम्हें नहीं उखाड़ूंगा; क्योंकि मैंने तुम्हारा जो अनिष्ट किया है, उसके लिए मैं पछता रहा हूं।
अपने वस्त्र नहीं, वरन् अपना हृदय विदीर्ण करो।’ ओ यहूदा देश, अपने प्रभु परमेश्वर की ओर लौट। वह कृपालु और दयालु है। वह विलम्ब क्रोधी और महा करुणा सागर है। वह दु:ख देकर पछताता है।
परमेश्वर ने यरूशलेम नगर को नष्ट करने के लिए वहाँ दूत भेजा। जब दूत यरूशलेम को नष्ट करने वाला था तब प्रभु ने यह देखा। वह उनकी विपत्ति देखकर पछताया। उसने लोगों का संहार करने वाले दूत से कहा, ‘बस! यह पर्याप्त है। अपना हाथ रोक ले।’ उस समय प्रभु का दूत यबूसी जाति के ओर्नान नामक व्यक्ति के खलियान के पास खड़ा था।
परन्तु परमेश्वर दयालु है, वह विनाश नहीं करता, वरन् वह अधर्म को ढांपता है। उसने बार-बार अपने क्रोध को लौटा लिया, और अपने रोष को पुन: भड़कने नहीं दिया।