26 तब मनुष्य परमेश्वर से प्रार्थना करता है, और परमेश्वर उसको ग्रहण कर लेता है; मनुष्य आनन्द-उल्लास से परमेश्वर का दर्शन करता है। परमेश्वर मनुष्य की धार्मिकता लौटा देता है।
26 वह व्यक्ति परमेश्वर की स्तुति करेगा और परमेश्वर उसकी स्तुति का उत्तर देगा। वह फिर परमेश्वर को वैसा ही पायेगा जैसे वह उसकी उपासना करता है, और वह अति प्रसन्न होगा। क्योंकि परमेश्वर उसे निरपराध घोषित कर के पहले जैसा जीवन कर देगा।
26 तब उसके लिए यह संभव हो जाएगा, कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करे और परमेश्वर उसे स्वीकार भी कर लेंगे, कि वह हर्षोल्लास में परमेश्वर के चेहरे को निहार सके तथा परमेश्वर उस व्यक्ति की युक्तता की पुनःस्थापना कर सकें.
‘द्रष्टाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में भी मनश्शे का उल्लेख हुआ है: उसकी प्रार्थना; और परमेश्वर ने उसकी विनती, अनुनय-विनय कैसे स्वीकार किया; उसके पाप-कर्म तथा प्रभु के विरुद्ध उसका विश्वासघात; उन जगहों का वर्णन जहाँ मनश्शे ने पहाड़ी शिखर के मन्दिर बनाए थे, जहाँ अशेराह के खम्भे तथा मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की थीं। इसी ग्रंथ में लिखा है कि उसने प्रभु के सम्मुख स्वयं को विनम्र किया था।
मेरा हृदय बेचैन है, कि मैं अपने पक्ष में परमेश्वर को खड़ा हुआ देखूँ। मेरी आँखें उसको विरोधी के रूप में नहीं, वरन् अपने पक्षकर्त्ता के रूप में देखने को विकल हैं।
प्रभु का क्रोध क्षण मात्र के लिए होता है; पर उसकी कृपा जीवनपर्यन्त बनी रहती है। रोदन संध्या समय आकर रात में ठहर सकता है, पर प्रभात के साथ उल्लास का आगमन होता है।
यदि तू कहेगा, ‘हम उनको नहीं जानते।’ तो, मेरे पुत्र, हृदय को तौलनेवाला परमेश्वर तेरे विचार को जानता है; तेरी आत्मा की चौकसी करनेवाला परमेश्वर तेरा अभिप्राय जानता है। क्या वह तेरे कर्म के अनुसार तुझे फल नहीं देगा?
ओ सियोन के लोगो, यरूशलेम नगर में रहनेवालो, तुम अब नहीं रोओगे; तुम्हारी दुहाई की पुकार सुनकर प्रभु तुम पर निस्सन्देह कृपा करेगा। जब वह उसको सुनेगा तब निश्चय ही वह तुम्हें उत्तर देगा।
उन्होंने मिस्र की धन-सम्पत्ति की अपेक्षा मसीह का अपयश अधिक मूल्यवान् समझा, क्योंकि उनकी दृष्टि भविष्य में प्राप्त होने वाले पुरस्कार पर लगी हुई थी।
प्रभु प्रत्येक मनुष्य को उसकी धार्मिकता और सच्चाई का फल देता है। प्रभु ने आज आपको मेरे हाथ में सौंप दिया था। परन्तु मैंने प्रभु के अभिषिक्त राजा पर हाथ नहीं उठाया।