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अय्यूब 31:35 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

35 ‘काश! मेरा भी कोई हितैषी होता, जो मेरी बात सुनता! परमेश्‍वर की अदालत में मेरी यह अर्जी है : सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर मेरा न्‍याय करे! काश! मेरा मुद्दई अभियोग-पत्र लिखता, और वह मेरे पास होता!

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पवित्र बाइबल

35 “ओह! काश कोई होता जो मेरी सुनता! मुझे अपनी बात समझाने दो। काश! शक्तिशाली परमेश्वर मुझे उत्तर देता। काश! वह उन बातों को लिखता जो मैंने गलत किया था उसकी दृष्टि में।

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Hindi Holy Bible

35 भला होता कि मेरा कोई सुनने वाला होता! (सर्वशक्तिमान अभी मेरा न्याय चुकाए! देखो मेरा दस्तखत यही है)। भला होता कि जो शिकायतनामा मेरे मुद्दई ने लिखा है वह मेरे पास होता!

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

35 भला होता कि मेरा कोई सुननेवाला होता! (सर्वशक्‍तिमान अभी मेरा न्याय चुकाए! देखो मेरा दस्तखत यही है)। भला होता कि जो शिकायतनामा मेरे मुद्दई ने लिखा है वह मेरे पास होता!

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सरल हिन्दी बाइबल

35 (“उत्तम होती वह स्थिति, जिसमें कोई तो मेरा पक्ष सुनने के लिए तत्पर होता! देख लो ये हैं मेरे हस्ताक्षर सर्वशक्तिमान ही इसका उत्तर दें; मेरे शत्रु ने मुझ पर यह लिखित शिकायत की है.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

35 भला होता कि मेरा कोई सुननेवाला होता! सर्वशक्तिमान परमेश्वर अभी मेरा न्याय चुकाए! देखो, मेरा दस्तखत यही है। भला होता कि जो शिकायतनामा मेरे मुद्दई ने लिखा है वह मेरे पास होता!

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अय्यूब 31:35
22 क्रॉस रेफरेंस  

मेरी बातों को सावधानी से सुनो; मेरी घोषणाओं पर ध्‍यान दो!


तू अपना मुख मुझसे क्‍यों छिपाता है? तू मुझे अपना शत्रु क्‍यों मानता है?


पर मैं सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर से ही बात करूँगा; मेरी इच्‍छा है कि मैं परमेश्‍वर से स्‍वयं अपना मुकदमा लड़ूँ;


‘हे प्रभु, मेरी जमानत दे, अपने और मेरे बीच में तू ही जामिन हो। तेरे सिवाय और कौन व्यक्‍ति मेरी जमानत दे सकता है?


उसने मेरे विरुद्ध अपनी क्रोधाग्‍नि प्रज्‍वलित की है; वह मुझे अपना बैरी समझता है।


मैं सहायता के लिए पुकारता हूँ: “मुझ पर अत्‍याचार हो रहा है! मुझे बचाओ!” पर मुझे कोई उत्तर नहीं देता। मैं न्‍याय के लिए दुहाई देता हूँ, पर मुझे न्‍याय नहीं मिलता!


‘मेरा शत्रु दुर्जन माना जाए; मेरा विरोधी अधार्मिक ठहरे!


हे परमेश्‍वर, मैं तेरी दुहाई देता हूं, किन्‍तु तू मुझे उत्तर नहीं देता। मैं तेरे दरबार में खड़ा हूं, पर तू मुझ पर ध्‍यान नहीं देता।


इतना होने पर भी क्‍या मनुष्‍य मलवों के ढेर में से हाथ नहीं फैलाता? क्‍या वह विपत्ति में सहायता के लिए दुहाई नहीं देता?


मैं काला पड़ गया हूं, पर सूर्य की गर्मी से नहीं, मैं इसी दशा में इधर-उधर जाता हूं; मैं सभा में खड़ा होता, और सहायता के लिए दुहाई देता हूं।


तो मैं उसको छाती से लगाए हुए फिरता, मैं उसको मुकुट की तरह सिर पर धारण करता!


देखो, परमेश्‍वर के सामने मैं भी तुम्‍हारे समान हूं; मेरी भी रचना मिट्टी से की गई है।


तब तुम यह शिकायत क्‍यों करते हो कि तुम्‍हें उसका दर्शन नहीं मिलता; तुम्‍हारा मुकदमा उसके सम्‍मुख है, और तुम उसकी प्रतीक्षा कर रहे हो?


‘जो व्यक्‍ति दूसरों के दोष ढूंढ़ता है, क्‍या वह मुझ-सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर का सामना कर सकता है? जो मुझसे वाद-विवाद करता है, वह मेरे प्रश्‍न का उत्तर दे।’


हे प्रभु, मुझे निर्दोष सिद्ध कर; क्‍योंकि मेरा आचरण निर्दोष रहा है; प्रभु, तुझ पर मैंने भरोसा किया और मैं अटल रहा।


“कचहरी जाते समय रास्‍ते में ही अपने मुद्दई से समझौता कर लो। कहीं ऐसा न हो कि वह तुम्‍हें न्‍यायाधीश के हवाले कर दे, न्‍यायाधीश तुम्‍हें सिपाही के हवाले कर दे और सिपाही तुम्‍हें बन्‍दीगृह में डाल दे।


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