15 परमेश्वर ने मुझको मेरी माता के गर्भ में बनाया, और मेरे दासों को भी उसने माता के गर्भ में हीं बनाया, उसने हम दोनों ही को अपनी—अपनी माता के भीतर ही रूप दिया है।
हम तो उन धनी यहूदी-भाइयों के ही रक्त-मांस हैं और हमारे बाल-बच्चे उनके ही बाल-बच्चों के समान हैं। फिर भी हम विवश किए जा रहे हैं कि अपने बाल-बच्चों को उनके पास गुलाम बनाकर रखें। सच पूछो तो हमारी अनेक कन्याएँ उनकी गुलाम बन भी चुकी हैं। हम यह शोषण रोकने में असमर्थ हैं; क्योंकि हमारे खेत और अंगूर-उद्यान उनके हाथों में जा चुके हैं।’
क्या हम-सब का एक ही पिता नहीं है? क्या हम-सब को एक ही परमेश्वर ने नहीं रचा है? तब हम अपने पुर्वजों के विधान का उल्लंघन कर क्यों एक-दूसरे के प्रति अविश्वास प्रकट करते हैं?