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अय्यूब 27:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 जब परमेश्‍वर अधर्मी व्यक्‍ति का अन्‍त कर देता है, जब परमेश्‍वर उसका प्राण ले लेता है तब उसके लिए आशा कहाँ शेष रही?

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पवित्र बाइबल

8 ऐसे उस व्यक्ति के लिये मरते समय कोई आशा नहीं है जो परमेश्वर की परवाह नहीं करता है। जब परमेश्वर उसके प्राण लेगा तब तक उसके लिये कोई आशा नहीं है।

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Hindi Holy Bible

8 जब ईश्वर भक्तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्त किया हो, तौभी उसकी क्या आशा रहेगी?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 जब परमेश्‍वर भक्‍तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्‍त किया हो, तौभी उसकी क्या आशा रहेगी?

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सरल हिन्दी बाइबल

8 जब दुर्जन की आशा समाप्‍त हो जाती है, जब परमेश्वर उसके प्राण ले लेते हैं, तो फिर कौन सी आशा बाकी रह जाती है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

8 जब परमेश्वर भक्तिहीन मनुष्य का प्राण ले ले, तब यद्यपि उसने धन भी प्राप्त किया हो, तो भी उसकी क्या आशा रहेगी?

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अय्यूब 27:8
19 क्रॉस रेफरेंस  

पर दुर्जनों की आंखें पथरा जाएंगी, उनके बचाव के सब रास्‍ते बन्‍द हो जाएँगे। उनकी आशा डूब जाएगी, और वे अन्‍तिम साँस लेंगे।’


प्रभु के हाथ में सब प्राणियों के प्राण हैं, समस्‍त मनुष्‍यजाति का जीवन है।


मेरे बचाव का केवल एक ही उपाय है: जो व्यक्‍ति पाखण्‍डी है, वह परमेश्‍वर के सम्‍मुख नहीं जा सकता!


अधर्मियों की संगति निष्‍फल होती है, घूसखोर के मकान को आग भस्‍म कर देती है।


कि दुर्जन की विजय अल्‍पकालीन होती है, अधर्मी का आनन्‍द क्षणिक होता है,


‘मेरा शत्रु दुर्जन माना जाए; मेरा विरोधी अधार्मिक ठहरे!


क्‍या अधर्मियों पर विपत्ति नहीं आती? क्‍या दुष्‍कर्मियों का सर्वनाश नहीं होता?


यही हाल उन सबका होता है जो परमेश्‍वर को भूल जाते हैं; इसी प्रकार अधर्मी की आशा धूल में मिल जाती है।


मनुष्‍य को इससे क्‍या लाभ यदि वह सारा संसार तो प्राप्‍त कर ले, लेकिन अपना प्राण ही गँवा दे? अपने प्राण के बदले में मनुष्‍य क्‍या देगा?


“ढोंगी शास्‍त्रियो और फरीसियो! धिक्‍कार है तुम्‍हें! तुम मनुष्‍यों के लिए स्‍वर्ग-राज्‍य का द्वार बन्‍द कर देते हो; न तो तुम स्‍वयं प्रवेश करते हो और न प्रवेश करने वालों को प्रवेश करने देते हो।


मनुष्‍य को इस से क्‍या लाभ, यदि वह सारा संसार तो प्राप्‍त कर ले, लेकिन अपने आपको नष्‍ट कर दे अथवा गँवा दे?


हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता। वह उन लोगों की सुनता है, जो उसके भक्‍त हैं और उसकी इच्‍छा पूरी करते हैं।


तुम लौटे थे। तुम प्रभु के सम्‍मुख रोए थे। परन्‍तु प्रभु ने तुम्‍हारी बात नहीं सुनी, और न तुम्‍हारी ओर ध्‍यान ही दिया।


उस दिन तुम अपने राजा के कारण, जिसे तुमने अपने लिए चुना है, दुहाई दोगे! किन्‍तु प्रभु, उस दिन तुम्‍हें उत्तर नहीं देगा।’


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