“यह सुनकर दानिएल, जो बेलतशस्सर कहलाते हैं, बहुत समय तक स्तब्ध खड़े रहे। उनके हृदय में अनेक विचार उठे, जिन्होंने उनको व्याकुल कर दिया। मैंने कहा, “ओ बेलतशस्सर, मेरे स्वप्न, अथवा उसके अर्थ से तुम व्याकुल मत हो।” बेलतशस्सर ने उत्तर दिया, “महाराज, मेरे स्वामी! काश, यह स्वप्न आपके बैरियों के लिए हो, इसका अर्थ आपके शत्रुओं पर पड़े!
