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अय्यूब 19:2 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

2 ‘तुम कब तक मेरे प्राण को दु:ख देते रहोगे? अपने शब्‍द वाणों से मुझे बेधते रहोगे?

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पवित्र बाइबल

2 “कब तक तुम मुझे सताते रहोगे और शब्दों से मुझको तोड़ते रहोगे?

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Hindi Holy Bible

2 तुम कब तक मेरे प्राण को दु:ख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर चूर करोगे?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

2 “तुम कब तक मेरे प्राण को दु:ख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर चूर करोगे?

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सरल हिन्दी बाइबल

2 “तुम कब तक मुझे यातना देते रहोगे तथा अपने इन शब्दों से कुचलते रहोगे?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

2 “तुम कब तक मेरे प्राण को दुःख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर-चूर करोगे?

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अय्यूब 19:2
18 क्रॉस रेफरेंस  

‘तुम कब तक शब्‍दों के जाल को पकड़ते रहोगे? पहले सोच लो, तब हम बात करेंगे।


अय्‍यूब ने अपने मित्रों को उत्तर दिया,


दसों बार तुमने मेरी निन्‍दा की। मेरे साथ अन्‍याय करते समय तुम्‍हें शर्म नहीं आती!


सच पूछो तो तुम सब यह भेद स्‍वयं अनुभव कर चुके हो! फिर तुम ये बातें क्‍यों कर रहे हो?’


‘जीवित परमेश्‍वर की सौगन्‍ध! मैं न्‍याय की दृष्‍टि से निर्दोष था, फिर भी उसने मुझे दण्‍ड दिया! सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर ने मेरे प्राण को पीड़ित किया है!


‘मित्र, तुम कब तक ये बातें कहते रहोगे? तुम्‍हारे मुँह की बातें ऐसी लगती हैं, मानो प्रचण्‍ड वायु बह रही है!


कब तक, प्रभु? क्‍या तू मुझे सदा भूला रहेगा? कब तक तू अपना मुख मुझसे छिपाए रखेगा?


मेरे बैरी ताना मारते हैं। वे मानो मेरी देह पर घातक प्रहार करते हैं। वे निरन्‍तर मुझ से यह पूछते हैं, “कहां है तेरा परमेश्‍वर?”


उसके मुंह की बातें मक्‍खन से अधिक चिकनी थीं, पर उसके हृदय में द्वेष था। उसके शब्‍द तेल की अपेक्षा कोमल थे; फिर भी वे नंगी तलवार थे।


देख, वे अपने मुंह से डकार रहे हैं। उनके मुंह में तलवारें हैं; वे यह कहते हैं, “कौन सुनता है?”


उन्‍होंने अपनी जीभ को तलवार के समान चोखा किया है, उन्‍होंने कटु वचन-रूपी बाण संधान किया है,


बिना सोच-विचार के बोलनेवाले मनुष्‍य के शब्‍द तलवार की तरह बेधते हैं; पर बुद्धिमान की बातें मलहम का काम करती हैं।


जीभ के वश में मनुष्‍य का जीवन और मृत्‍यु दोनों हैं; और जो मनुष्‍य अपनी जीभ का प्रयोग जानता है उसको उचित फल प्राप्‍त होता है।


वे ऊंचे स्‍वर में यह कहते हुए पुकार रहे थे : “परमपावन एवं सत्‍यप्रतिज्ञ स्‍वामी! आप न्‍याय करने में और पृथ्‍वी के निवासियों को हमारे रक्‍त का बदला चुकाने में कब तक देर करेंगे?”


दलीलाह प्रतिदिन उससे प्रश्‍न पूछती रही। उसने प्रश्‍न पूछ-पूछ कर उस पर दबाव डाला। यहाँ तक कि शिमशोन का नाक में दम आ गया।


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