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अय्यूब 10:3 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

3 क्‍या तुझे निर्दोष पर अत्‍याचार करना अच्‍छा लगता है? तू अपनी ही सृष्‍टि से घृणा क्‍यों करता है? तू दुर्जन की योजनाओं को सफल क्‍यों करता है?

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पवित्र बाइबल

3 हे परमेश्वर, क्या तू मुझे चोट पहुँचा कर प्रसन्न होता है? ऐसा लगता है जैसे तुझे अपनी सृष्टि की चिंता नहीं है और शायद तू दुष्टों के कुचक्रों का पक्ष लेता है।

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Hindi Holy Bible

3 क्या तुझे अन्धेर करना, और दुष्टों की युक्ति को सफल कर के अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

3 क्या तुझे अन्धेर करना, और दुष्‍टों की युक्‍ति को सफल करके अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?

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सरल हिन्दी बाइबल

3 क्या आपके लिए यह उपयुक्त है कि आप अत्याचार करें, कि आप अपनी ही कृति को त्याग दें, तथा दुर्वृत्तों की योजना को समर्थन दें?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

3 क्या तुझे अंधेर करना, और दुष्टों की युक्ति को सफल करके अपने हाथों के बनाए हुए को निकम्मा जानना भला लगता है?

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अय्यूब 10:3
27 क्रॉस रेफरेंस  

तूने अपने हाथों से मुझे गढ़ा और बनाया है; और अब तू मुझसे मुंह मोड़कर मुझे नष्‍ट कर रहा है!


काश! तू मुझे बुलाता और मैं तुझे उत्तर देता; क्‍योंकि तू अपनी रचना देखने को इच्‍छुक रहता है!


इसलिए कि तुम परमेश्‍वर के प्रति अपना क्रोध प्रकट करते हो, और अपने मुँह से निरर्थक शब्‍द निकलने देते हो।


परमेश्‍वर ने मुझे अधर्मियों के हाथ में सौंप दिया है; वह दुर्जनों के पंजों में मुझे फंसाता है।


तो तुम समझ लो कि स्‍वयं परमेश्‍वर ने मेरे साथ अन्‍याय किया है; मुझे अपने जाल में फंसा लिया है।


देखो, दुर्जनों की सुख-समृद्धि उनके ही हाथ में रहती है दुर्जनों के ये विचार मुझसे दूर ही रहें।


तो भी परमेश्‍वर ने उनके घर को सुख-समृद्धि से भर दिया! दुर्जनों के ये विचार मुझसे दूर ही रहें!


‘जीवित परमेश्‍वर की सौगन्‍ध! मैं न्‍याय की दृष्‍टि से निर्दोष था, फिर भी उसने मुझे दण्‍ड दिया! सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर ने मेरे प्राण को पीड़ित किया है!


तू मेरे प्रति निर्दयी हो गया है; तू अपने हाथ की पूर्ण शक्‍ति से मुझे सताता है।


जिस परमेश्‍वर ने मां के गर्भ में मेरी रचना की, क्‍या उसने ही मेरे नौकर को नहीं रचा है? क्‍या एक ही परमेश्‍वर ने हम दोनों को नहीं गढ़ा है?


मुझे परमेश्‍वर के आत्‍मा ने रचा है, सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर की सांस मुझे जीवन प्रदान करती है।


‘जो व्यक्‍ति दूसरों के दोष ढूंढ़ता है, क्‍या वह मुझ-सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर का सामना कर सकता है? जो मुझसे वाद-विवाद करता है, वह मेरे प्रश्‍न का उत्तर दे।’


क्‍या तू मेरे न्‍याय को व्‍यर्थ सिद्ध करेगा? तू स्‍वयं को निर्दोष ठहराकर मुझे दोषी प्रमाणित करेगा?


‘परमेश्‍वर निर्दोष व्यक्‍ति का त्‍याग नहीं करता, और न व दुर्जनों को सहारा देता है!


सब धान-पसेरी! इसलिए मैं यह कहता हूं : परमेश्‍वर सिद्ध और असिद्ध दोनों को नष्‍ट कर देता है।


परमेश्‍वर ने यह पृथ्‍वी दुर्जनों के हाथ में सौंप दी है; उसने न्‍यायाधीशों की आंखों पर पट्टी बांध दी है ताकि वे न्‍याय और अन्‍याय को न पहचान सकें! यदि वह नहीं तो फिर कौन यह कार्य करता है?


जान लो कि प्रभु ही परमेश्‍वर है; प्रभु ने ही हमें बनाया है, और हम उसी के हैं; हम उसके निज लोग, उसके चरागाह की भेड़ें हैं।


प्रभु, मेरे लिए अपने अभिप्राय को पूर्ण कर; हे प्रभु, तेरी करुणा शाश्‍वत है। मैं तेरे हाथों की रचना हूं, मुझ को मत त्‍याग।


प्रभु गरीबों की आवाज सुनता है; वह अपने बन्‍दीजनों से घृणा नहीं करता।


तो भी, प्रभु, तू हमारा पिता है, हम मिट्टी मात्र हैं, और तू हमारा कुम्‍हार है। हम-सब तेरे हाथ की रचना हैं।


इसलिए जो लोग परमेश्‍वर की इच्‍छा के अनुसार दु:ख भोगते हैं, वे भलाई करते रहें और विश्‍वसनीय सृष्‍टिकर्ता परमेश्‍वर को अपनी आत्‍मा सौंप दें।


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