राजा ने पूछा, ‘क्या तुम्हारी इन सब बातों में योआब का हाथ है?’ स्त्री ने उत्तर दिया, ‘मेरे स्वामी, महाराज की सौगन्ध! जो कुछ महाराज ने कहा, उसके एक अक्षर को भी मैं अस्वीकार नहीं कर सकती। महाराज का कथन अक्षरश: सच है। आपके सेवक योआब ने मुझे यह कार्य करने का आदेश दिया था। उन्होंने मुझे ये सब बातें सिखाई थीं।
मैंने उन्हें कासिप्या नगर में इद्दो नामक मुखिया के पास भेजा। मैंने उन्हें समझाया कि वे इद्दो से तथा कासिप्या नगर में रहने वाले उसके भाई-बंधुओं से, जो मंदिर-सेवक थे, यह निवेदन करें कि ‘आप हमें परमेश्वर के भवन के लिए परिचारक भेजिए।’
मैंने अपने शब्द तेरे मुंह में रखे हैं; मैंने अपने हाथ की छाया में तुझे छिपाकर रखा है। मैंने ही आकाश को फैलाया है, मैंने ही पृथ्वी की नींव डाली है। मैं सियोन से यह कहता हूं : “तू ही मेरी प्रजा है।” ’
प्रभु कहता है, ‘जहाँ तक मेरा प्रश्न है, मैंने तेरे साथ यह विधान स्थापित किया है : मेरा आत्मा, जो तुझ पर है, तथा मेरे वचन, जो मैंने तेरे मुंह में प्रतिष्ठित किए हैं, वे तेरे मुंह से, तेरी सन्तान के मुंह से तथा आनेवाली पीढ़ी से पीढ़ी के मुंह से आज से युग-युगान्त तक कभी अलग न होंगे’ − प्रभु की यही वाणी है।
मैं इनके जाति-भाइयों के मध्य से इनके लिए तेरे समान एक नबी को उत्पन्न करूंगा। मैं अपने वचन उसके मुंह में डालूंगा। जो आज्ञा मैं उसे दूंगा, वही वह उन्हें बताएगा।