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2 कुरिन्थियों 7:10 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

10 क्‍योंकि जो दु:ख परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया जाता, उसका परिणाम होता है हृदय-परिवर्तन तथा उद्धार। इसमें पछताना नहीं पड़ता। परन्‍तु सांसारिक दु:ख का परिणाम है मृत्‍यु।

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पवित्र बाइबल

10 क्योंकि वह दुःख जिसे परमेश्वर देता है एक ऐसे मनफिराव को जन्म देता है जिसके लिए पछताना नहीं पड़ता और जो मुक्ति दिलाता है। किन्तु वह दुःख जो सांसारिक होता है, उससे तो बस मृत्यु जन्म लेती है।

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Hindi Holy Bible

10 क्योंकि परमेश्वर-भक्ति का शोक ऐसा पश्चाताप उत्पन्न करता है जिस का परिणाम उद्धार है और फिर उस से पछताना नहीं पड़ता: परन्तु संसारी शोक मृत्यु उत्पन्न करता है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

10 क्योंकि परमेश्‍वर–भक्‍ति का शोक ऐसा पश्‍चाताप उत्पन्न करता है जिसका परिणाम उद्धार है और फिर उससे पछताना नहीं पड़ता। परन्तु सांसारिक शोक मृत्यु उत्पन्न करता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

10 क्योंकि जो दुःख परमेश्‍वर की इच्छा के अनुसार होता है, वह उद्धार के लिए ऐसा पश्‍चात्ताप उत्पन्‍न‍ करता है जिसके लिए पछताना नहीं पड़ता; परंतु सांसारिक दुःख मृत्यु उत्पन्‍न‍ करता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

10 वह दुःख, जो परमेश्वर की ओर से आता है, वह ऐसा पश्चाताप का कारण बन जाता है जो हमें उद्धार की ओर ले जाता है, जहां खेद के लिए कोई स्थान ही नहीं रहता; जबकि सांसारिक दुःख मृत्यु उत्पन्‍न करता है.

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2 कुरिन्थियों 7:10
32 क्रॉस रेफरेंस  

जब राहेल ने देखा कि उससे याकूब के लिए सन्‍तान उत्‍पन्न नहीं हुई, तब वह अपनी बहिन से ईष्‍र्या करने लगी। उसने याकूब से कहा, ‘मुझे सन्‍तान दो, अन्‍यथा मैं मर जाऊंगी।’


दाऊद ने नातान से कहा, ‘मैंने प्रभु के विरुद्ध पाप किया।’ नातान ने दाऊद को उत्तर दिया, ‘प्रभु ने भी आपके पाप को क्षमा किया। अब आप पाप के कारण नहीं मरेंगे।


उसने अम्‍नोन से कहा, ‘राजकुमार, आप दिन प्रतिदिन दुबले होते जा रहे हैं। क्‍यों? क्‍या आप मुझे नहीं बताएँगे?’ अम्‍नोन ने उससे कहा, ‘मैं अपने सौतेले भाई अबशालोम की बहिन तामार से प्रेम करता हूँ।’


जब अहीतोफल ने यह देखा कि उसकी सलाह के अनुसार कार्य नहीं किया गया, तब उसने अपने गधे पर काठी कसी और अपने घर, अपने नगर को चला गया। वहाँ उसने अपने घर की व्‍यवस्‍था की। उसके बाद उसने फांसी लगा कर आत्‍महत्‍या कर ली। उसको उसके पिता की कबर में गाड़ा गया।


अहाब उदास और अप्रसन्न हो गया; क्‍योंकि यिज्रएल-निवासी नाबोत ने उससे यह कहा था, ‘मैं अपने पूर्वजों की पैतृक भूमि आपको नहीं दूंगा।’ अहाब अपने महल में आया। वह अपने पलंग पर लेट गया। उसने अपना मुंह ढक लिया। उसने भोजन नहीं किया।


मैं अपने अधर्म को स्‍वीकार करता हूँ; मैं अपने पाप के लिए दु:खी हूँ।


यदि हृदय प्रसन्न है तो चेहरे पर रौनक रहती है; किन्‍तु यदि हृदय दु:खित है तो अन्‍तर-आत्‍मा भी उदास रहती है।


जो मनुष्‍य दु:खी है, उसका हर दिन दु:ख में बीतता है, किन्‍तु जिस व्यक्‍ति का हृदय प्रसन्नता से भरा रहता है, वह मानो नित्‍य भोज में सम्‍मिलित होता है।


आनन्‍दित रहनेवाला हृदय उत्तम दवा है। निराश मन हड्डियों को भी सुखा देती है।


बीमारी की दशा में मनुष्‍य का आत्‍म-बल उसको सम्‍भलता है; पर जब हृदय ही टूट जाता है, तब उसको कौन सह सकता है?


हास्‍य से श्रेष्‍ठ है विलाप; क्‍योंकि मुख का दु:ख हृदय का सुख है।


वे आनन्‍द के आंसू बहाते हुए आएंगे; और मैं उनको शान्‍ति देता हुआ उनका मार्ग-दर्शन करूंगा। मैं उनको झरनों के किनारे चलाता हुआ लाऊंगा, उनको सीधे मार्ग से ले जाऊंगा, जहां वे लड़खड़ा कर नहीं गिरेंगे; क्‍योंकि मैं इस्राएली कौम का पिता हूं, और एफ्रइम मेरा ज्‍येष्‍ठ पुत्र है।’


जो मनुष्‍य तलवार, महामारी और अकाल से बच जाता है, वह पहाड़ पर भाग जाता है। ये बचे हुए लोग ऐसे हैं मानो घाटियों में रहनेवाले कबूतर। हर एक बचा हुआ आदमी अपने-अपने अधर्म के लिए शोक मना रहा है।


जब परमेश्‍वर ने यह देखा कि नीनवे के निवासियों ने पश्‍चात्ताप किया है, और उन्‍होंने अपना दुराचरण छोड़ दिया है, तब उसने उन पर विपत्ति ढाहने का विचार त्‍याग दिया। परमेश्‍वर ने कहा था कि वह उन पर विपत्ति ढाहेगा। पर उसने ऐसा नहीं किया।


हर एक मनुष्‍य और पशु अपने शरीर पर टाट के वस्‍त्र लपेटेगा। मनुष्‍य छाती पीट-पीटकर परमेश्‍वर की दुहाई देंगे। प्रत्‍येक मनुष्‍य अपने दुराचरण को त्‍याग दे, और दुष्‍कर्मों को छोड़ दे।


तब परमेश्‍वर ने योना से पूछा, ‘क्‍या यह उचित है कि तू अंडी के पेड़ के कारण नाराज हो?’ योना ने उत्तर दिया, ‘मेरा क्रोध उचित है। इसलिए मैं नाराज हूं। मैं मर जाना चाहता हूं।’


अब पतरस को येशु के वे शब्‍द स्‍मरण हुए जो उन्‍होंने उससे कहे थे : “मुर्गे के बाँग देने से पहले ही तुम मुझे तीन बार अस्‍वीकार करोगे,” और वह बाहर निकल कर फूट-फूट कर रोने लगा।


मैं तुम से कहता हूँ, इसी प्रकार परमेश्‍वर के दूत उस पापी के लिए आनन्‍द मनाते हैं जो पश्‍चात्ताप करता है।”


चुंगी-अधिकारी कुछ दूरी पर खड़ा था। उसे स्‍वर्ग की ओर आँख उठाने तक का साहस नहीं हुआ। वह अपनी छाती पीट-पीट कर यह कह रहा था, ‘परमेश्‍वर! मुझ पापी पर दया कर।’ ”


ये बातें सुन कर यहूदी विश्‍वासी शान्‍त हो गये और उन्‍होंने यह कहते हुए परमेश्‍वर की स्‍तुति की, “परमेश्‍वर ने गैर-यहूदियों को भी यह वरदान दिया कि वे हृदय-परिवर्तन कर जीवन प्राप्‍त करें।”


अत: आप लोग पश्‍चात्ताप करें और परमेश्‍वर के पास लौट आयें, जिससे आपके पाप मिट जायें


कहीं ऐसा न हो कि मेरे आपके यहाँ पहुँचने पर मेरा परमेश्‍वर मुझे फिर आपके सामने नीचा दिखाए और मुझे उन बहुसंख्‍यक लोगों के लिए शोक मनाना पड़े, जिन्‍होंने पहले पाप किया और अपनी अशुद्धता, व्‍यभिचार और लम्‍पटता के लिए पश्‍चात्ताप नहीं किया है।


किन्‍तु अब मुझे प्रसन्नता है। मुझे इसलिए प्रसन्नता नहीं कि आप लोगों को दु:ख हुआ, बल्‍कि इसलिए कि उस दु:ख के कारण आपका हृदय-परिवर्तन हुआ। आप लोगों ने उस दु:ख को परमेश्‍वर की इच्‍छानुसार स्‍वीकार किया और इस तरह आप को मेरी ओर से कोई हानि नहीं हुई;


आप लोग जानते हैं कि वह बाद में अपने पिता की आशिष प्राप्‍त करना चाहता था, किन्‍तु वह अयोग्‍य समझा गया। यद्यपि उसने रोते हुए इसके लिए आग्रह किया, तो भी वह अपने पिता का मन बदलने में असमर्थ रहा।


दाऊद अत्‍यन्‍त संकट में था। उसके लोग उसे पत्‍थरों से मार डालने का विचार कर रहे थे। उनके हृदय में कटुता उत्‍पन्न हो गई थी; क्‍योंकि प्रत्‍येक सैनिक का पुत्र अथवा पुत्री बन्‍दी बना ली गई थी। दाऊद ने प्रभु परमेश्‍वर से साहस प्राप्‍त किया।


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