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2 कुरिन्थियों 6:8 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 सम्‍मान तथा अपमान, प्रशंसा तथा निन्‍दा-यह सब हमें प्राप्‍त हुआ। हम कपटी समझे गए, किन्‍तु हम सत्‍य बोलते हैं।

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पवित्र बाइबल

8 हम आदर और निरादर के बीच अपमान और सम्मान में अपने को उपस्थित करते रहते हैं। हमें ठग समझा जाता है, यद्यपि हम सच्चे हैं।

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Hindi Holy Bible

8 आदर और निरादर से, दुरनाम और सुनाम से, यद्यपि भरमाने वालों के जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्चे हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 आदर और निरादर से, दुर्नाम और सुनाम से। यद्यपि भरमानेवालों जैसे मालूम होते हैं तौभी सच्‍चे हैं;

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नवीन हिंदी बाइबल

8 आदर और निरादर में, बदनामी और सम्मान में अपने आपको प्रस्तुत करते हैं। हम भरमानेवाले समझे जाते हैं फिर भी सच्‍चे हैं,

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सरल हिन्दी बाइबल

8 आदर-निरादर में और निंदा और प्रशंसा में; हमें भरमानेवाला समझा जाता है, जबकि हम सत्यवादी हैं;

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2 कुरिन्थियों 6:8
32 क्रॉस रेफरेंस  

शिष्‍य के लिए अपने गुरु-जैसा और सेवक के लिए अपने स्‍वामी-जैसा बन जाना ही बहुत है। यदि लोगों ने घर के स्‍वामी को बअलजबूल कहा है, तो वे उसके घर वालों को क्‍या कुछ नहीं कहेंगे?


उन्‍होंने येशु के पास हेरोदेस-दल के सदस्‍यों के साथ अपने शिष्‍यों को यह प्रश्‍न पूछने भेजा, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्‍चे हैं और सच्‍चाई से परमेश्‍वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। आप किसी की परवाह नहीं करते, क्‍योंकि आप मुँह-देखी बात नहीं कहते।


और बोले, “श्रीमान! हमें याद है कि उस धोखेबाज ने अपने जीवनकाल में कहा था कि मैं तीन दिन बाद जी उठूँगा।


वे आ कर उनसे बोले, “गुरुवर! हम यह जानते हैं कि आप सच्‍चे हैं और आप किसी की परवाह नहीं करते। आप मुँह-देखी बात नहीं कहते, बल्‍कि सच्‍चाई से परमेश्‍वर के मार्ग की शिक्षा देते हैं। बताइए, व्‍यवस्‍था की दृष्‍टि में रोमन सम्राट को कर देना उचित है या नहीं?


जनता में उनके विषय में बड़ी कानाफूसी हो रही थी। कुछ लोग कहते थे, “वह भला मनुष्‍य है।” कुछ कहते थे, “नहीं, वह लोगों को पथभ्रष्‍ट कर रहा है।”


उन्‍होंने यह उत्तर दिया, “शतपति करनेलियुस धार्मिक तथा ईश्‍वर-भक्‍त हैं। समस्‍त यहूदी जनता उनका सम्‍मान करती है। उन्‍हें एक पवित्र स्‍वर्गदूत से यह आज्ञा मिली है कि वह आप को अपने घर बुला भेजें और आपका उपदेश सुनें।”


उन्‍होंने आ कर क्षमा मांगी और उन्‍हें बन्‍दीगृह से बाहर ले जा कर अनुरोध किया कि वे नगर छोड़कर चले जायें।


“वहाँ हनन्‍याह नामक एक व्यक्‍ति थे। वह व्‍यवस्‍था पर चलने वाले धर्मनिष्‍ठ थे और वहाँ रहने वाले यहूदियों में उनका अच्‍छा नाम था।


हमारा अनुभव है कि यह मनुष्‍य संक्रामक रोग के सदृश है। यह दुनिया भर के सब यहूदियों में आंदोलन करता-फिरता है और नासरी कुपंथ का मुखिया है।


किन्‍तु हम आप से आपके विचार सुनना चाहते हैं, क्‍योंकि हमें मालूम है कि इस पंथ का सर्वत्र विरोध हो रहा है।”


इस पर उन्‍होंने पतरस और योहन को फिर धमका कर छोड़ दिया; क्‍योंकि जनता के कारण उन्‍हें दंड देने का कोई दांव नहीं मिला। सब लोग इस घटना के कारण परमेश्‍वर की स्‍तुति कर रहे थे।


दूसरे लोगों में किसी को भी उन में सम्‍मिलित होने का साहस नहीं होता था, फिर भी जनता उनकी प्रशंसा करती थी।


अत: भाई-बहिनो, आप लोग अपने बीच से सात सच्‍चरित्र पुरुषों को चुन लीजिए, जो पवित्र आत्‍मा और बुद्धि से परिपूर्ण हों। हम उन्‍हें इस कार्य के लिए नियुक्‍त करेंगे,


यदि ऐसी बात है, तो हम बुराई क्‍यों न करें, जिससे भलाई उत्‍पन्न हो? जैसा कि कुछ लोग जो हमारी निंदा करते हैं, कहते हैं कि हम यही सिखाते हैं। ऐसे लोग दण्‍डाज्ञा के योग्‍य हैं।


परमेश्‍वर की सच्‍चाई की शपथ! मैंने आप लोगों को जो सन्‍देश दिया, उसमें कभी ‘हां’ और कभी ‘नहीं’-जैसी बात नहीं है;


मैं लज्‍जा के साथ स्‍वीकार करता हूँ कि आप लोगों के साथ इस प्रकार का व्‍यवहार करने का मुझे साहस नहीं हुआ। आप इसे मेरी नादानी समझें, किन्‍तु जिन बातों के विषय में वे लोग डींग मारने का साहस करते हैं, मैं भी उन बातों के विषय में वही कर सकता हूँ।


आप लोग शायद यह कहेंगे-वास्‍तव में वह हम पर बोझ नहीं बना, किन्‍तु वह धूर्त है और उसने छल-कपट से हमें फंसा लिया।


हम लोक-लज्‍जावश कुछ बातें छिपाना नहीं चाहते। हम न तो छल-कपट करते और न परमेश्‍वर का वचन विकृत करते हैं। हम प्रकट रूप से सत्‍य का प्रचार करते हैं। यही उन सब मनुष्‍यों के पास हमारी सिफारिश है, जो परमेश्‍वर के सामने हमारे विषय में निर्णय करना चाहते हैं।


हमारा आग्रह न तो भ्रम पर आधारित है, न दूषित अभिप्राय से प्रेरित है और न उस में कोई छल-कपट है।


यह भी आवश्‍यक है कि बाहरी जनता में उसके विषय में अच्‍छी बातें कही जाती हों। कहीं ऐसा न हो कि उसकी बदनामी हो और वह शैतान के फन्‍दे में पड़ जाये।


यही कारण है कि हम परिश्रम करते रहते और संघर्ष में लगे रहते हैं; क्‍योंकि हमने जीवन्‍त परमेश्‍वर पर भरोसा रखा है, जो सब मनुष्‍यों का और विशेष रूप से विश्‍वासियों का उद्धारकर्ता है।


इसलिए हम उनके अपमान का भार ढोते हुए “पड़ाव के बाहर” उनके पास चलें;


यदि मसीह के नाम के कारण आप लोगों का अपमान किया जाये, तो अपने को धन्‍य समझें, क्‍योंकि यह इसका प्रमाण है कि परमेश्‍वर का महिमामय आत्‍मा आप पर छाया रहता है।


देमेत्रियुस के विषय में सभी लोग अच्‍छी साक्षी देते हैं, यहाँ तक कि सत्‍य स्‍वयं ही ऐसा करता है। हम भी उनके विषय में यही साक्षी देते हैं और आप जानते हैं कि हमारी साक्षी सच्‍ची है।


देखो, शैतान के सभागृह के उन सदस्‍यों को, जो अपने को यहूदा-वासी कहते हैं, किन्‍तु यहूदा के नहीं हैं और झूठ बोलते हैं, मैं उनको बाध्‍य करूँगा कि वे आ कर तुम्‍हारे चरणों पर गिरें और यह जानें कि मैं तुम से प्रेम करता हूँ।


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