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2 कुरिन्थियों 6:6 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 हमने अपने निर्दोष आचरण, ज्ञान, सहनशीलता, दयालुता, पवित्र आत्‍मा के कार्यों, निष्‍कपट प्रेम,

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पवित्र बाइबल

6 अपनी पवित्रता, ज्ञान और धैर्य से, अपनी दयालुता, पवित्र आत्मा के वरदानों और सच्चे प्रेम,

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Hindi Holy Bible

6 पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 पवित्रता से, ज्ञान से, धीरज से, कृपालुता से, पवित्र आत्मा से,

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नवीन हिंदी बाइबल

6 हम पवित्रता से, ज्ञान से, सहनशीलता से, दयालुता से, पवित्र आत्मा से, सच्‍चे प्रेम से,

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सरल हिन्दी बाइबल

6 शुद्धता में, ज्ञान में, धीरज में, सहृदयता में, पवित्र आत्मा में, निश्छल प्रेम में,

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2 कुरिन्थियों 6:6
41 क्रॉस रेफरेंस  

वे झुण्‍ड के झुण्‍ड तेरे पास आते हैं। वे मेरे निज लोगों के समान तेरे सामने बैठते हैं। वे तेरी बातें सुनते हैं, पर मेरे सन्‍देश के अनुसार आचरण नहीं करते। “वाह! कितने सुन्‍दर वचन हैं!” , वे मुंह से यह कहते हैं, किन्‍तु उनका हृदय स्‍वार्थ में डूबा हुआ है।


आप लोगों का प्रेम निष्‍कपट हो। आप बुराई से घृणा करें तथा भलाई में लगे रहें।


शक्‍तिशाली चिह्‍नों और चमत्‍कारों से और परमेश्‍वर के आत्‍मा के सामर्थ्य से सम्‍पन्न किया है। मैंने यरूशलेम और उसके आसपास के प्रदेश से ले कर इल्‍लुरिकुम तक मसीह के शुभ-समाचार का प्रचार-कार्य पूरा किया है।


किसी को आत्‍मा द्वारा प्रज्ञ का संदेश सुनाने का, किसी को उसी आत्‍मा द्वारा ज्ञान के शब्‍द बोलने का


प्रेम सहनशील और दयालु है। प्रेम न तो ईष्‍र्या करता है, न डींग मारता, न घमण्‍ड करता है।


क्‍योंकि जैसा धर्मग्रंथ में कहा गया, “प्रभु का मन कौन जानता है? कौन उसे परामर्श दे सकता है?” और हम में तो मसीह का मन विद्यमान है।


मेरे प्रवचन तथा मेरे सन्‍देश में विद्वत्तापूर्ण शब्‍दों का आकर्षण नहीं, बल्‍कि आत्‍मा का सामर्थ्य था,


मैं परमेश्‍वर को साक्षी बना कर अपने जीवन की शपथ खा कर कहता हूँ-मैं इसलिए अब तक कुरिन्‍थुस नहीं आया कि मैं आप लोगों को दु:ख से बचाए रखना चाहता था।


ऐसा क्‍यों? क्‍या इसलिए कि मैं आप को प्‍यार नहीं करता? परमेश्‍वर जानता है कि मैं आप लोगों को कितना प्‍यार करता हूँ।


क्‍योंकि जब कोई आप लोगों के पास एक ऐसे येशु का प्रचार करने आता है, जो हमारे द्वारा प्रचारित येशु से भिन्न हैं, या एक ऐसा आत्‍मा अथवा शुभ समाचार ग्रहण करने को कहता है, जो आप के द्वारा स्‍वीकृत आत्‍मा अथवा शुभ समाचार से भिन्न है, तो आप लोग उस व्यक्‍ति का तुरन्‍त स्‍वागत करते हैं।


मैं अच्‍छा वक्‍ता नहीं हूँ, किन्‍तु मुझमें ज्ञान का अभाव नहीं। इसका प्रमाण हम सब तरह से और हर प्रकार की बातों में आप लोगों को दे चुके हैं।


मैं तो आप लोगों के लिए सहर्ष अपना सब कुछ खर्च करूँगा और अपने को भी अर्पित करूँगा। यदि मैं आप लोगों को इतना प्‍यार करता हूँ, तो क्‍या आप मुझे कम प्‍यार करेंगे?


मैं दूर रहते हुए ये बातें इसलिए लिख रहा हूँ कि आप के यहाँ रहते हुए मुझे, प्रभु द्वारा प्रदत्त अधिकार के अनुसार, आप लोगों के साथ कठोर व्‍यवहार न करना पड़े; क्‍योंकि मुझे यह अधिकार आप के विनाश के लिए नहीं, बल्‍कि आप के आध्‍यात्‍मिक निर्माण के लिए मिला है।


जिसे आप क्षमा करते हैं, उसे मैं भी क्षमा करता हूं। जहां तक मुझे क्षमा करनी थी, मैंने आप लोगों के कारण मसीह के प्रतिनिधि के रूप में क्षमा प्रदान की है;


मैंने बड़े कष्‍ट में, हृदय की गहरी वेदना सहते हुए और आँसू बहा-बहा कर वह पत्र लिखा था। मैंने आप लोगों को दु:ख देने के लिए नहीं लिखा था, बल्‍कि इसलिए कि आप यह जान जायें कि मैं आप लोगों को कितना अधिक प्‍यार करता हूँ।


आप लोग निश्‍चय ही मसीह का वह पत्र हैं, जिसे उन्‍होंने हमारी सेवा द्वारा लिखवाया है। वह पत्र स्‍याही से नहीं, बल्‍कि जीवन्‍त परमेश्‍वर के आत्‍मा से, पत्‍थर की पट्टियों पर नहीं, बल्‍कि मानव हृदय की पट्टियों पर लिखा हुआ है।


परमेश्‍वर ने आदेश दिया था कि “अन्‍धकार में प्रकाश हो जाये।” उसी ने हमारे हृदय को अपनी ज्‍योति से आलोकित कर दिया है, जिससे हम परमेश्‍वर का वह तेज जान जायें, जो येशु मसीह के मुखमण्‍डल पर चमकता है।


आप हमारे प्रति उदार बनें। हमने किसी के साथ अन्‍याय नहीं किया, किसी को आर्थिक हानि नहीं पहुँचायी और किसी से अनुचित लाभ नहीं उठाया।


मैं आप लोगों से इतना ही जानना चाहता हूँ: आप को व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड के कारण आत्‍मा का वरदान मिला या विश्‍वास का शुभ संदेश सुनने के कारण?


जब परमेश्‍वर आप लोगों को आत्‍मा का वरदान देता है और आप के बीच आश्‍चर्यपूर्ण सामर्थ्य के कार्य करता है, तो क्‍या वह व्‍यवस्‍था के कर्मकाण्‍ड के कारण ऐसा करता है अथवा इसलिए कि आपने विश्‍वास का शुभ संदेश सुना है?


परन्‍तु पवित्र आत्‍मा का फल है : प्रेम, आनन्‍द, शान्‍ति, सहनशीलता, दयालुता, हितकामना, ईमानदारी,


उसे पढ़ कर आप लोग जान सकते हैं कि मैं मसीह का रहस्‍य कहाँ तक समझता हूँ।


आप पूर्ण रूप से विनम्र, सौम्‍य तथा सहनशील बनें, प्रेम से एक दूसरे को सहन करें


एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें। जिस तरह परमेश्‍वर ने मसीह में आप लोगों को क्षमा कर दिया, उसी तरह आप भी एक दूसरे को क्षमा करें।


परमेश्‍वर ने उन्‍हें दिखलाना चाहा कि गैर-यहूदियों में इस रहस्‍य की कितनी महिमामय समृद्धि है। वह रहस्‍य यह है कि मसीह आप लोगों के बीच हैं और उन में आप लोगों की महिमा की आशा है।


क्‍योंकि उन्‍हीं में प्रज्ञ तथा ज्ञान की सम्‍पूर्ण निधि निहित है।


आप लोग परमेश्‍वर की पवित्र एवं परमप्रिय चुनी हुई प्रजा हैं। इसलिए आप लोगों को सहानुभूति, अनुकम्‍पा, विनम्रता, कोमलता और सहनशीलता धारण करनी चाहिए।


आप, और परमेश्‍वर भी, इस बात के साक्षी हैं कि आप विश्‍वासियों के साथ हमारा आचरण कितना पवित्र, धार्मिक और निर्दोष था।


तुम्‍हारी युवावस्‍था के कारण कोई तुम्‍हारा तिरस्‍कार न करे। तुम वचन, कर्म, प्रेम, विश्‍वास और शुद्धता में विश्‍वासियों के आदर्श बनो।


वृद्धाओं को माता और युवतियों को बहिन समझ कर उनके साथ शुद्ध मन से व्‍यवहार करो।


तुमने मेरी शिक्षा, मेरे आचरण, मेरे उद्देश्‍य, मेरे विश्‍वास, सहनशीलता, प्रेम और धैर्य का अनुकरण किया है।


शुभ संदेश सुनाओ, समय-असमय लोगों से आग्रह करते रहो। बड़े धैर्य से तथा शिक्षा देने के उद्देश्‍य से लोगों को समझाओ, डांटो और प्रोत्‍साहित करो;


और तुम स्‍वयं अपने भले कार्यों से उन्‍हें अच्‍छा उदाहरण दो। तुम्‍हारी शिक्षा प्रामाणिक और गम्‍भीर हो।


किन्‍तु ऊपर से आयी हुई प्रज्ञ सब से पहले निर्दोष है, और वह शान्‍तिप्रिय, सहनशील, विनम्र, करुणामय, परोपकारी, पक्षपातहीन और निष्‍कपट भी है।


उन पर प्रकट किया गया था कि जब वे सन्‍देश सुनाते थे, तब वे अपने लिए नहीं, बल्‍कि आप लोगों के हित के लिए सेवा करते थे। अब शुभसमाचार के प्रचारक, स्‍वर्ग से भेजे हुए पवित्र आत्‍मा की प्रेरणा से, आप लोगों को वही सन्‍देश सुनाते हैं। स्‍वर्गदूत भी इन बातों की पूरी जानकारी प्राप्‍त करने के लिए उत्‍सुक हैं।


आप लोगों ने आज्ञाकारी बन कर सत्‍य को स्‍वीकार किया और इस प्रकार निष्‍कपट भ्रातृप्रेम के लिए अपनी आत्‍मा को पवित्र कर लिया है; इसलिए अब आप लोगों को शुद्ध हृदय और सच्‍ची लगन से एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।


बच्‍चो! हम शब्‍दों और बातों से नहीं, किन्‍तु कामों और सत्‍य द्वारा प्रेम करें।


दलीलाह ने शिमशोन से कहा, ‘तुम यह बात कैसे कह सकते हो : “मैं तुम से प्रेम करता हूँ!” जब कि तुम्‍हारा हृदय मुझ में नहीं लगता? तुमने मुझे तीन बार धोखा दिया। तुमने मुझे नहीं बताया कि तुम्‍हारी महाशक्‍ति का स्रोत कहाँ है।’


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