20 इसलिए हम मसीह के राजदूत हैं, मानो परमेश्वर हमारे द्वारा आप लोगों से अनुरोध कर रहा है। हम मसीह के नाम पर आप से यह विनती करते हैं कि आप परमेश्वर से मेल कर लें।
20 इसलिये हम मसीह के प्रतिनिधि के रूप में काम कर रहे हैं। मानो परमेश्वर हमारे द्वारा तुम्हें चेता रहा है। मसीह की ओर से हम तुमसे विनती करते हैं कि परमेश्वर के साथ मिल जाओ।
प्रभु इस्राएल और यहूदा प्रदेशों को नबियों और द्रष्टाओं के द्वारा चेतावनी देता रहा। प्रभु ने उनसे कहा, ‘अपने कुमार्गों को छोड़ दो, और मेरी आज्ञाओं और संविधियों का पालन करो। जो व्यवस्था मैंने तुम्हारे पूर्वजों को प्रदान की थी, जो व्यवस्था मैंने अपने सेवक नबियों के हाथ से तुम्हें भेजी थी, उसके अनुसार कार्य करो।’
फिर भी उनके पूर्वजों का प्रभु परमेश्वर अपने निज लोगों तथा अपने निवास-स्थान पर दयापूर्ण दृष्टि करता रहा। इसलिए वह उनको समझाने के लिए निरन्तर अपने सन्देश-वाहक भेजता रहा।
तूने उन्हें चेतावनी दी थी कि वे तेरी धर्म-व्यवस्था की ओर उन्मुख हों। पर उन्होंने तेरी प्रति धृष्ट व्यवहार किया, और तेरी आज्ञाओं का पालन नहीं किया। जिन न्याय-सिद्धान्तों का पालन करने से मनुष्य को जीवन प्राप्त होता है, उनका उल्लंघन कर उन्होंने पाप किया। उन न्याय-सिद्धान्तों के विरुद्ध हठवादी रुख अपनाया : उनको मानने से इन्कार कर दिया।
यिर्मयाह ने उत्तर दिया, ‘महाराज, कसदी उच्चाधिकारी आपको उनके हाथ में नहीं सौंपेंगे। कृपया, प्रभु की वाणी पर ध्यान दीजिए। जो प्रभु का वचन मैंने आप से कहा है, उस पर विश्वास कीजिए। आप का भला होगा, और आपका प्राण जीवित रहेगा।
फिर भी मैं अपने प्रेम के कारण बार-बार अपने सेवक नबियों को भेजता रहा, और उनके माध्यम से कहता रहा, ‘ओह, यह घृणित कार्य मत करो, मैं इस पूजा-पाठ से घृणा करता हूं।’
‘पुरोहित को अपने मुंह से ज्ञान की रक्षा करनी चाहिए। उसके मुंह से लोगों को व्यवस्था प्राप्त होनी चाहिए। पुरोहित स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु का सन्देशवाहक है।
“जो तुम्हारी सुनता है, वह मेरी सुनता है और जो तुम्हारा तिरस्कार करता है, वह मेरा तिरस्कार करता है। जो मेरा तिरस्कार करता है, वह उसका तिरस्कार करता है जिसने मुझे भेजा है।”
हम शत्रु ही थे, जब परमेश्वर के साथ हमारा मेल उसके पुत्र की मृत्यु द्वारा हो गया था; और परमेश्वर के साथ मेल हो जाने के बाद उसके पुत्र के जीवन द्वारा निश्चय ही हमारा उद्धार होगा।
उसने हमें एक नये विधान के सेवक होने के योग्य बनाया है और यह विधान अक्षरों में लिखी हुई व्यवस्था का नहीं, बल्कि आत्मा का है; क्योंकि अक्षर तो मृत्यु-जनक है, किन्तु आत्मा जीवनदायक है।
इस कारण प्रभु का भय हम में बना रहता है। हम मनुष्यों को समझाने का प्रयत्न करते रहते हैं। हमारा सारा जीवन परमेश्वर के लिए प्रकट है और मैं आशा करता हूँ कि वह आप लोगों के अन्त:करण के लिए भी प्रकट होगा।
जिस शुभ समाचार का मैं बेड़ियों से बंधा हुआ राजदूत हूँ। आप प्रार्थना करें, जिससे मैं निर्भीकता से शुभ समाचार की घोषणा कर सकूँ, जैसा कि मुझे बोलना चाहिए।
मसीह ने क्रूस पर जो रक्त बहाया, उसके द्वारा परमेश्वर ने शान्ति की स्थापना की। यही परमेश्वर का शुभ संकल्प था कि वह मसीह के द्वारा सब कुछ का, चाहे वह पृथ्वी पर हो या स्वर्ग में, अपने से मेल कराये।