तब राजा आसा ने प्रभु परमेश्वर की दुहाई दी। उसने कहा, ‘हे प्रभु, निर्बल की सहायता करने वाला तेरे समान और कौन ईश्वर है? जब बलवान और निर्बल में लड़ाई होती है, तब तू निर्बल की सहायता करता है। हे प्रभु परमेश्वर, हमारी सहायता कर; क्योंकि हमने तुझ पर भरोसा किया है। हम तेरे नाम में ही शत्रु की इस विशाल सेना का सामना करने के लिए आए हैं। हे प्रभु, तू ही हमारा परमेश्वर है। कोई भी मनुष्य तुझ पर प्रबल न हो!’
जब राजा हिजकियाह ने यह सुना तब उसने पश्चात्ताप और शोक प्रकट करने के लिए तत्काल अपने वस्त्र फाड़ दिए। उसके बाद उसने अपने शरीर पर टाट के वस्त्र लपेटे और वह प्रभु के भवन में गया।
दूत यरूशलेम के परमेश्वर के विषय में ऐसे शब्दों का प्रयोग कर रहे थे, जिनका प्रयोग वे पृथ्वी के अन्य देशों के उन देवी-देवताओं के विषय में करते थे, जो केवल मिट्टी के पुतले, मनुष्य के हाथों की रचना हैं!
प्रभु ने उनकी प्रार्थना सुनी, और अपने दूत को भेजा। दूत ने असीरिया के राजा के शिविर में उसके शक्तिशाली योद्धाओं, सेनापतियों और उच्चाधिकारियों का वध कर दिया। अत: वह पराजय की लज्जा में डूबा हुआ अपने देश को लौट गया। एक दिन जब वह अपने इष्ट देवता के मन्दिर में पूजा कर रहा था, तब उसके पुत्रों ने ही तलवार से उसकी हत्या कर दी।
यहूदा प्रदेश के सैनिकों ने पीछे देखा तो उन्हें पता चला कि आगे और पीछे से उन पर आक्रमण होगा। अत: उन्होंने प्रभु की दुहाई दी, और उनके पुरोहितों ने युद्ध की तुरहियां फूंकीं।