किन्तु राजा योराम की पुत्री यहोशाबा ने अहज्याह के पुत्र योआश का अन्य राजकुमारों के मध्य से, जिनकी हत्या की जाने वाली थी, अपहरण कर लिया। उसने योआश और उसकी धाय को शयनागार में छिपा दिया। यों यहोशाबा ने अतल्याह की दृष्टि से योआश को छिपा दिया, और अतल्याह उसका वध न कर सकी। यहोशाबा राजा योराम की पुत्री, पुरोहित यहोयादा की पत्नी और राजा अहज्याह की बहिन थी।
रानी अतल्याह के शासन के सातवें वर्ष में पुरोहित यहोयादा ने साहस किया और सेना के इन शतपतियों से सन्धि की : अजर्याह बेन-यरोहाम, यिश्माएल बेन-यहोहानान, अजर्याह बेन-ओबेद, मासेयाह बेन-अदायाह और एलीशाफट बेन-जिक्री।
मैं तुझसे क्यों वाद-विवाद करूं? क्योंकि तू धार्मिक है, और तेरा न्याय सच्चा है। फिर भी, हे प्रभु, मैं तेरे सम्मुख अपनी शिकायत पेश करूंगा; दुर्जन अपने काम में सफल क्यों होते हैं? विश्वासघाती सुख-चैन से क्यों रहते हैं?
‘हे प्रभु, मेरे परमेश्वर, मेरे पवित्र परमेश्वर, तू अनादि है। इस कारण हम नहीं मरेंगे। हे प्रभु, तूने न्याय के लिए कसदी राष्ट्र को नियुक्त किया है। हे हमारी चट्टान, तूने हमें ताड़ित करने के लिए उसे निश्चित किया है।