12 उसी दिन वे प्रभु के साथ स्थापित विधान की धर्मविधि में सम्मिलित हुए कि वे सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर के खोजी बनेंगे।
यदि वे अपने शत्रुओं के देश में, जो उन्हें बन्दी बनाकर ले गए थे, सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से पश्चात्ताप करेंगे, और इस देश की ओर जो तूने उनके पूर्वजों को दिया है, इस नगर की ओर, जिसको तूने चुना है, और इस भवन की ओर जो मैंने तेरे नाम की महिमा के लिए निर्मित किया है, मुख करके तुझसे प्रार्थना करेंगे;
तत्पश्चात् पुरोहित यहोयादा ने प्रभु और राजा तथा लोगों के मध्य विधान की धर्मविधि सम्पन्न की, जिससे लोग प्रभु के निज लोग बनें। उसने राजा और प्रजा के मध्य भी सन्धि स्थापित की।
तब राजा योशियाह मंच पर खड़ा हुआ। उसने प्रभु के साथ यह विधान स्थापित किया, कि वह प्रभु का अनुसरण करेगा, अपने सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से उसकी आज्ञाओं, सािक्षयों तथा संविधियों का पालन करेगा। वह इस विधान की पुस्तक में लिखे गए वचनों पर दृढ़ रहेगा। समस्त जनता ने भी प्रतिज्ञा की, कि वह विधान का पालन करेगी।
ये सब लोग भी, जो मन लगाकर इस्राएल के प्रभु परमेश्वर के दर्शन के खोजी थे, पुरोहितों और उप-पुरोहितों के साथ इस्राएल प्रदेश के कुल-क्षेत्रों से निकल गए, और वे अपने पूर्वजों के प्रभु परमेश्वर को बलि चढ़ाने के लिए यरूशलेम नगर में आए।
फिर भी प्रभु ने आप में कुछ अच्छाई पाई; क्योंकि आपने यहूदा प्रदेश में अशेराह देवी के पूजा-स्तम्भ नष्ट कर दिए, और परमेश्वर को खोजने में अपना मन लगाया है।’
इन सबने अपने प्रतिष्ठित जाति-भाइयों के साथ यह शपथ खाई : ‘हम परमेश्वर की व्यवस्था के अनुसार आचरण करेंगे, जो उसने अपने सेवक मूसा को प्रदान की थी। हम अपने स्वामी प्रभु की सब आज्ञाओं, उसके न्याय-सिद्धान्तों और संविधियों का पालन करेंगे, और उनके अनुरूप कार्य करेंगे।
‘इन सब बातों के कारण हम तेरे साथ सुदृढ़ व्यवस्थान स्थापित करते हैं। हम उसको लिख देते हैं; और उस पर हमारे शासक, उपपुरोहित और पुरोहित हस्ताक्षर करेंगे।’
वे सियोन की ओर उन्मुख हो, यह पूछेंगे, “सियोन का मार्ग कौन-सा है?” वे परस्पर यह कहेंगे, “आओ, हम प्रभु के साथ शाश्वत विधान स्थापित करें, जो कभी भुलाया न जा सकेगा। आओ, हम प्रभु से मेल-मिलाप कर लें।”
“मैं आपके सामने इतना अवश्य स्वीकार करूँगा कि ये जिसे कुपंथ कहते हैं, मैं उसी मार्ग के अनुसार अपने पूर्वजों के परमेश्वर की उपासना करता हूँ; क्योंकि जो कुछ व्यवस्था तथा नबी-ग्रंथों में लिखा है, मैं उस सब पर विश्वास करता हूँ।
वे अपनी उदारता में हमारी आशा से बहुत अधिक आगे बढ़ गये। उन्होंने पहले परमेश्वर के प्रति और बाद में, परमेश्वर की इच्छा के अनुसार, हमारे प्रति अपने को अर्पित किया।
‘अब, ओ इस्राएल, तेरा प्रभु परमेश्वर तुझ से क्या चाहता है? केवल यह कि तू अपने प्रभु परमेश्वर की भक्ति करे उसके सब मार्गों पर चले और उससे प्रेम करे; तू अपने सम्पूर्ण हृदय और सम्पूर्ण प्राण से अपने प्रभु परमेश्वर की सेवा करे,
जो विधान प्रभु ने इस्राएली समाज के साथ होरेब पर्वत पर स्थापित किया था, उसके अतिरिक्त प्रभु ने मूसा को आदेश दिया कि वह इस्राएली समाज के साथ मोआब देश में एक विधान स्थापित करे। उस विधान के ये शब्द हैं :
किन्तु वहां से ही तुम अपने प्रभु परमेश्वर की खोज करोगे। यदि तुम अपने सम्पूर्ण हृदय से, अपने सम्पूर्ण प्राण से उसकी खोज करोगे, तो तुम उसे प्राप्त भी कर सकोगे।