13 राजा रहबआम ने राजधानी यरूशलेम में स्वयं को पुन: सुदृढ़ किया, और यहूदा प्रदेश पर राज्य करने लगा। जब उसने राज्य करना आरम्भ किया तब उसकी आयु इकतालीस वर्ष की थी। उसने राजधानी यरूशलेम में सत्रह वर्ष तक राज्य किया। प्रभु ने अपने नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए इस्राएल के समस्त कुलों के क्षेत्रों में से इस यरूशलेम नगर को चुना था। रहबआम की मां का नाम नामाह था। वह अम्मोन देश की थी।
13 राजा रहूबियाम ने यरूशलेम में अपने को शक्तिशाली राजा बना लिया। वह उस समय इकतालीस वर्ष का था, जब राजा बना। रहूबियाम यरूशलेम में सत्रह वर्ष तक राजा रहा। यरूशलेम वह नगर है जिसे यहोवा ने इस्राएल के सारे परिवार समूह में से चुना। यहोवा ने यरूशलेम में अपने को प्रतिष्ठित करना चुना। रहूबियाम की माँ नामा थी। नामा अम्मोन देश की थी।
13 सो राजा रहूबियाम यरूशलेम में दृढ़ हो कर राज्य करता रहा। जब रहूबियाम राज्य करने लगा, तब एकतालीस वर्ष की आयु का था, और यरूशलेम में अर्थात उस नगर में, जिसे यहोवा ने अपना नाम बनाए रखने के लिये इस्राएल के सारे गोत्र में से चुन लिया था, सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम नामा था, जो अम्मोनी स्त्री थी।
13 अत: राजा रहूबियाम यरूशलेम में दृढ़ होकर राज्य करता रहा। जब रहूबियाम राज्य करने लगा, तब इकतालीस वर्ष की आयु का था, और यरूशलेम में अर्थात् उस नगर में, जिसे यहोवा ने अपना नाम बनाए रखने के लिये इस्राएल के सारे गोत्र में से चुन लिया था, सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम नामा था, जो अम्मोनी स्त्री थी।
13 रिहोबोयाम ने राजधानी येरूशलेम में स्वयं को पुनः सुदृढ़ किया, और यहूदिया प्रदेश पर शासन करने लगा. जब रिहोबोयाम ने शासन शुरू किया, उसकी उम्र एकतालीस साल की थी. येरूशलेम में उसने सत्रह साल शासन किया. येरूशलेम वह नगर है, जिसे याहवेह ने सारे इस्राएल में से इसलिये चुना, कि वह इसमें अपनी महिमा करें. उसकी माता का नाम था नामाह जो अम्मोनी थी.
13 अतः राजा रहबाम यरूशलेम में दृढ़ होकर राज्य करता रहा। जब रहबाम राज्य करने लगा, तब इकतालीस वर्ष की आयु का था, और यरूशलेम में अर्थात् उस नगर में, जिसे यहोवा ने अपना नाम बनाए रखने के लिये इस्राएल के सारे गोत्र में से चुन लिया था, सत्रह वर्ष तक राज्य करता रहा। उसकी माता का नाम नामाह था, जो अम्मोनी स्त्री थी।
यहूदा प्रदेशों में सुलेमान का पुत्र रहबआम राज्य करता था। जब उसने राज्य करना आरम्भ किया, तब उसकी आयु इकतालीस वर्ष की थी। उसने राजधानी यरूशलेम में सत्रह वर्ष तक राज्य किया। प्रभु ने अपने नाम को प्रतिष्ठित करने के लिए इस्राएल के समस्त कुलों के भूमि-क्षेत्रों से इस यरूशलेम नगर को चुना था। रहबआम की मां का नाम नामाह था। वह अम्मोन देश की थी।
किन्तु तुम अपने प्रभु परमेश्वर को उस स्थान में ढूंढ़ना जिसको वह स्वयं तुम्हारे सब कुलों की भूमि-भाग में से चुनेगा और वहाँ अपने नाम को प्रतिष्ठित करेगा तथा अपना निवास-स्थान बनाएगा।
क्या तुम्हें याद नहीं है कि इस्राएल देश के राजा सुलेमान ने गैरयहूदी कौम की स्त्रियों के कारण पाप किया था? विश्व के अनेक राष्ट्रों में राजा सुलेमान जैसा राजा नहीं हुआ है। परमेश्वर भी उसको प्यार करता था, और उसको समस्त इस्राएल देश का राजा भी बनाया था। पर राजा सुलेमान को ऐसी ही विदेशी कौमों की स्त्रियों ने पाप में डाला था।
उसी दिन लोगों के सम्मुख मूसा के व्यवस्था-ग्रन्थ में से पाठ किया गया। उसमें यह लिखा हुआ मिला : ‘तुम अम्मोनी और मोआबी कौम के किसी भी व्यक्ति को परमेश्वर की धर्म-सभा में कभी प्रवेश नहीं करने देना;
उसके आस-पास चन्द गुण्डे एकत्र हो गए। वे सुलेमान के पुत्र रहबआम पर प्रबल हो गए; क्योंकि उस समय रहबआम छोटा था, वह चंचल था। अत: वह उनका सामना न कर सका।
राजा सुलेमान अनेक विजातीय औरतों का प्रेमी था। उसने न केवल फरओ की पुत्री से विवाह किया था, वरन् मोआबी, अम्मोनी, एदोमी, सीदोनी और हित्ती जाति की कन्याओं से भी विवाह किया था।
‘अम्मोनी अथवा मोआबी जाति के लोग प्रभु की धर्मसभा में प्रवेश नहीं करेंगे: उनकी दसवीं पीढ़ी तक के वंशज भी प्रभु की धर्मसभा में कदापि प्रवेश नहीं करेंगे;
तब तुम उस स्थान पर, जिसको तुम्हारा प्रभु परमेश्वर चुनेगा और अपने नाम को वहां प्रतिष्ठित करेगा, ये सब वस्तुएं लाना, जिनका आदेश मैंने तुम्हें दिया है : तुम्हारी अग्नि-बलि और पशु-बलि, तुम्हारा दशमांश तथा भेंट जिसको तुम चढ़ाते हो, और तुम्हारी समस्त मन्नत-बलि, जिसकी मन्नत तुम प्रभु से मानते हो।
तू मिट्टी की एक वेदी बनाना और उस पर मुझे अपनी अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि, अपनी भेड़ और बैल की बलि चढ़ाना। प्रत्येक स्थान में, जहाँ मैं अपना नाम स्मरण के लिए प्रतिष्ठित करता हूं, वहाँ मैं आकर तुझे आशीष दूंगा।
जब यहूदा प्रदेश पर रहबआम का राज्य स्थिर हो गया और वह स्वयं शक्तिशाली हो गया, तब उसने प्रभु की व्यवस्था को त्याग दिया। उसके साथ यहूदा प्रदेश में रहने वाले इस्राएलियों ने भी प्रभु की व्यवस्था छोड़ दी, और दुष्कर्म करने लगे।
मैं उसे एक कुल पर राज्य करने दूंगा, जिससे मेरे सेवक दाऊद का वंश-दीपक यरूशलेम नगर में, जिसको मैंने अपने नाम के प्रतिष्ठापन के लिए चुना है, मेरे सम्मुख सदा जलता रहे।
उसने यह कहा था, “जिस दिन मैंने अपने निज लोग इस्राएलियों को मिस्र देश से बाहर निकाला, उस दिन से आज तक मैंने इस्राएली कुलों का कोई भी नगर नहीं चुना कि मैं एक भवन बनाऊं और वहां मेरा नाम प्रतिष्ठित हो। मैंने अपने निज लोग इस्राएलियों पर शासन करने के लिए भी किसी व्यक्ति को नहीं चुना।