4 परन्तु पलिश्ती सेना-नायक आकीश से नाराज हो गए। उन्होंने उससे कहा, ‘आप इस आदमी को वापस भेज दीजिए। जो स्थान आपने इसके लिए निर्धारित किया है, यह वहां लौट जाए। यह हमारे साथ युद्ध-भूमि में नहीं जाएगा। ऐसा न हो कि यह युद्ध आरम्भ होने पर हमारा विरोधी बन जाए। यह किस आधार पर अपने स्वामी को स्वीकार्य होगा? क्या हमारे सैनिकों के सिर काट कर? अवश्य!
4 किन्तु पलिश्ती अधिकारी आकीश पर क्रोधित हुए। उन्होंने कहा, “दाऊद को वापस भेजो! दाऊद को उस नगर में वापस जाना चाहिये जिसे तुमने उसको दिया है। वह हम लोगों के साथ युद्ध में नहीं जा सकता। यदि वह यहाँ है तो हम अपने डेरे में अपने एक शत्रु को रखे हुए हैं। वह हमारे अपने आदमियों को मार कर अपने राजा (शाऊल) को प्रसन्न करेगा।
4 तब पलिश्ती हाकिम उस से क्रोधित हुए; और उस से कहा, उस पुरूष को लौटा दे, कि वह उस स्थान पर जाए जो तू ने उसके लिये ठहराया है; वह हमारे संग लड़ाई में न आने पाएगा, कहीं ऐसा न हो कि वह लड़ाई में हमारा विराधी बन जाए। फिर वह अपने स्वामी से किस रीति से मेल करे? क्या लोगों के सिर कटवाकर न करेगा?
4 तब पलिश्ती हाकिम उससे क्रोधित हुए; और उससे कहा, “उस पुरुष को लौटा दे, कि वह उस स्थान पर जाए जो तू ने उसके लिये ठहराया है; वह हमारे संग लड़ाई में न आने पाएगा, कहीं ऐसा न हो कि वह लड़ाई में हमारा विरोधी बन जाए। फिर वह अपने स्वामी से किस रीति से मेल करे? क्या लोगों के सिर कटवाकर न करेगा?
4 इस पर फिलिस्तीनी सेनापति उन पर क्रुद्ध हो गए. उन्होंने राजा से कहा, “उसे उसी स्थान को लौट जाने का आदेश दीजिए, जो उसे आपने दिया है. युद्ध में तो वह हमारे साथ नहीं जाएगा. क्या पता युद्ध में वह हमारे ही विरुद्ध हो जाए? उसके सामने इससे उत्तम मौका और क्या हो सकता है कि वह शाऊल की दृष्टि में स्वीकार हो?
4 तब पलिश्ती हाकिम उससे क्रोधित हुए; और उससे कहा, “उस पुरुष को लौटा दे, कि वह उस स्थान पर जाए जो तूने उसके लिये ठहराया है; वह हमारे संग लड़ाई में न आने पाएगा, कहीं ऐसा न हो कि वह लड़ाई में हमारा विरोधी बन जाए। फिर वह अपने स्वामी से किस रीति से मेल करे? क्या लोगों के सिर कटवाकर न करेगा?
जब दाऊद पलिश्ती सेना के साथ शाऊल से युद्ध करने आया था, तब मनश्शे गोत्र के कुछ योद्धा आकर उससे मिल गए थे। (दाऊद युद्ध में पलिश्तियों की सहायता नहीं कर सका था; क्योंकि पलिश्ती सामन्तों ने परस्पर सम्मति की, और उसे युद्ध से भेज दिया था। उन्होंने कहा, ‘यह हमारे सिर कटवाकर अपने स्वामी शाऊल से मिल जाएगा।’)
जब दाऊद सिक्लग नगर को गया तब मनश्शे गोत्र के ये योद्धा आकर उससे मिल गए: अदनह, योजाबाद, यदीअएल, मीखाएल, योजाबाद, एलीहू और सिल्लतई। ये मनश्शे गोत्र के हजार-हजार सैनिक दल के नायक थे।
आओ, हम उनसे चतुराई से व्यवहार करें। ऐसा न हो कि वे बढ़ते जाएं और जब हम पर युद्ध आ पड़े तब वे हमारे बैरियों से जा मिलें, हमारे विरुद्ध लड़ें और देश से भाग जाएं।’
स्वामी ने अधर्मी प्रबंधक की प्रशंसा की; क्योंकि उसने चतुराई से काम किया था। इस युग की सन्तान अपनी पीढ़ी के साथ आपसी लेन-देन में ज्योति की सन्तान से अधिक चतुर है।
आकीश ने उत्तर दिया, ‘मैं जानता हूं कि तुम मेरी दृष्टि में भले हो! परमेश्वर के दूत के सदृश निर्दोष हो! फिर भी पलिश्ती सेना-नायकों का यह आदेश है: “यह हमारे साथ युद्ध-भूमि में नहीं जाएगा।”
दाऊद और उसके सैनिक तीसरे दिन सिक्लग नगर पहुँचे। पर उनके पहुँचने के पूर्व अमालेकी सेना ने नेगेब और सिक्लग पर धावा कर दिया। उन्होंने सिक्लग नगर को नष्ट कर उसमें आग लगा दी।