17 अब इस बात को समझिए, और देखिए कि क्या करना चाहिए। दाऊद और उनके सैनिक हमारे स्वामी और हमारे समस्त परिवार का अनिष्ट करने का निश्चय कर चुके हैं। उधर हमारे स्वामी का स्वभाव ऐसा है कि कोई उनसे बात भी नहीं कर सकता।’
17 अब इस विषय में सोचो और निर्णय करो कि तुम क्या कर सकती हो। नाबाल ने जो कुछ कहा वह मूर्खतापूर्ण था। हमारे स्वामी (नाबाल) और उनके सारे परिवार के लिये भयंकर आपत्ति आ रही है।”
17 इसलिये अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की ओर उसके समस्त घराने की हानि ठानी होगी, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उस से कोई बोल भी नहीं सकता।
17 इसलिये अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की और उसके समस्त घराने की हानि करना ठान लिया होगा, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उस से कोई बोल भी नहीं सकता।”
17 अब आप स्थिति की गंभीरता को पहचान लीजिए और विचार कीजिए, कि अब आपका क्या करना सही होगा, क्योंकि अब हमारे स्वामी और उनके संपूर्ण परिवार के लिए बुरा योजित हो चुका है. वह ऐसा दुष्ट व्यक्ति हैं, कि कोई उन्हें सुझाव भी नहीं दे सकता.”
17 इसलिए अब सोच विचार कर कि क्या करना चाहिए; क्योंकि उन्होंने हमारे स्वामी की और उसके समस्त घराने की हानि करना ठान लिया होगा, वह तो ऐसा दुष्ट है कि उससे कोई बोल भी नहीं सकता।”
अत: गाद दाऊद के पास आया। उसने यह बात दाऊद को बताई। उसने दाऊद से कहा, ‘क्या आप चाहते हैं कि आपके देश में तीन वर्ष तक अकाल पड़े? या आप तीन महीने तक अपने बैरियों के कारण, जो आपका पीछा करेंगे, भागते रहें? अथवा क्या आप पसन्द करेंगे कि आपके देश पर तीन दिन तक महामारी का प्रकोप हो? अब आप सोच-विचार कर निर्णय दीजिए कि मैं लौट कर अपने भेजने वाले को उत्तर दूँ।’
उसके सम्मुख दो गुण्डों को बैठाना। ये नाबोत के विरुद्ध गवाही देंगे, और यह कहेंगे, “तुमने परमेश्वर और राजा को अपशब्द कहे थे।” तब आप नाबोत को नगर से बाहर निकालना, उसको पत्थरों से मारना और उसका वध कर देना।’
तब दो गुण्डे आए। वे नाबोत के सम्मुख बैठ गए। गुण्डों ने जनता की उपस्थिति में नाबोत के विरुद्ध साक्षी दी। उन्होंने कहा, ‘नाबोत ने परमेश्वर और राजा को अपशब्द कहे थे।’ अत: धर्मवृद्ध और अभिजात वर्ग के लोग नाबोत को पकड़ कर नगर के बाहर ले गए। उन्होंने उसको पत्थरों से मारा, और उसका वध कर दिया।
उसके आस-पास चन्द गुण्डे एकत्र हो गए। वे सुलेमान के पुत्र रहबआम पर प्रबल हो गए; क्योंकि उस समय रहबआम छोटा था, वह चंचल था। अत: वह उनका सामना न कर सका।
नबी यह बोल ही रहा था कि राजा अमस्याह ने उससे कहा, ‘तुझको किसने मेरा सलाहकार नियुक्त किया है? चुप रह! तू क्यों मरना चाहता है?’ नबी चुप हो गया; किन्तु उसने कहा, ‘मैं जानता हूं, परमेश्वर ने आपको नष्ट करने का निश्चय कर लिया है; क्योंकि आपने मेरी सलाह नहीं सुनी और मुझे चुप करा दिया।’
सम्राट क्रोधावेश में भोजन पर से उठ गया, और वह राजमहल के उद्यान में चला गया। किन्तु हामान वहीं ठहरा रहा और रानी एस्तर से अपने प्राणों की भीख मांगने लगा, क्योंकि उसने जान लिया था कि सम्राट ने उसका अनिष्ट करने का निश्चय कर लिया है।
कि तेरे मध्य से ही अधम पुरुष निकले हैं; और उन्होंने यह कहकर नगर-वासियों को पथ-भ्रष्ट किया है, “आओ, हम चलें और दूसरे देवताओं की पूजा करें,” जिन्हें तू नहीं जानता था,
जब वे आनन्द मना रहे थे तब नगर के गुण्डों-बदमाशों ने घर को घेर लिया। वे दरवाजे को जोर-जोर से खटखटाने लगे। उन्होंने घर के स्वामी, बूढ़े मनुष्य से कहा, ‘उस पुरुष को घर से बाहर निकालो, जो तुम्हारे घर में आया है। हम उससे सम्भोग करेंगे।’
परन्तु कुछ बदमाश लोगों ने कहा, ‘यह आदमी किस प्रकार हमें शत्रुओं के हाथ से बचा सकता है?’ अत: उन्होंने शाऊल का तिरस्कार किया, और उसको भेंट नहीं चढ़ाई। किन्तु शाऊल चुप रहा।
यदि तुम्हारे पिता यह उत्तर देंगे : “अच्छा!” तो तुम्हारे इस सेवक का भला होगा। परन्तु यदि वह तुम्हारी बात सुनकर नाराज होंगे, तो तुम जान लेना कि वह मेरा अनिष्ट करने का निश्चय कर चुके हैं।
योनातन ने कहा, ‘नहीं, तुम ऐसा क्यों सोचते हो? यदि मुझे पता होता कि मेरे पिता तुम्हारा अनिष्ट करने का निश्चय कर चुके हैं, तो क्या मैं तुम्हें यह बात नहीं बताता?’
अबीगइल ने अविलम्ब दो सौ रोटी, अंगुर के रस से भरी हुई दो मशकें, पांच भेड़ों का पका हुआ मांस, प्राय: पन्द्रह किलो भुना हुआ अनाज, एक सौ गुच्छे किशमिश, और अंजीर के दो सौ सूखे फल लिये। उसने उनको गधों पर लादा।
स्वामी, मेरे उजड्ड पति नाबाल की बात पर ध्यान मत दीजिए। जैसा उनका नाम है, वैसे ही वह है। उजड्ड उनका नाम है, और उजड्डता उनका स्वभाव है। स्वामी, जिन सैनिकों को आपने भेजा था, उन्हें मैंने, आपकी सेविका ने नहीं देखा।