63 राजा सुलेमान ने सहभागिता-बलि में प्रभु को बाईस हजार बैल, और एक लाख बीस हजार भेड़ें चढ़ाई। इस प्रकार राजा और इस्राएली लोगों ने प्रभु के भवन को प्रभु की महिमा के लिए अर्पित किया।
63 सुलैमान ने बाईस हजार पशुओं और एक लाख बीस हजार भेड़ों को मारा। ये सहभागिता भेटों के लिये थीं। यही पद्धति थी जिससे राजा और इस्राएल के लोगों ने मन्दिर का समर्पण किया अर्थात् उन्होंने यह प्रदर्शित किया कि उन्होंने मन्दिर को यहोवा को अर्पित किया।
63 और जो पशु सुलैमान ने मेलबलि में यहोवा को चढ़ाए, सो बाईस हजार बैल और एक लाख बीस हजार भेड़ें थीं। इस रीति राजा ने सब इस्राएलियों समेत यहोवा के भवन की प्रतिष्ठा की।
63 और जो पशु सुलैमान ने मेलबलि में यहोवा को चढ़ाए वे बाईस हज़ार बैल और एक लाख बीस हज़ार भेड़ें थीं। इस रीति राजा ने सब इस्राएलियों समेत यहोवा के भवन की प्रतिष्ठा की।
63 और जो पशु सुलैमान ने मेलबलि में यहोवा को चढ़ाए, वे बाईस हजार बैल और एक लाख बीस हजार भेड़ें थीं। इस रीति राजा ने सब इस्राएलियों समेत यहोवा के भवन की प्रतिष्ठा की।
दूसरे दिन धर्मसभा ने प्रभु को बलि चढ़ाई। उन्होंने प्रभु को बलि में एक हजार बैल, एक हजार मेढ़े और एक हजार मेमने चढ़ाए। इनके साथ उन्होंने इनकी पेय-बलि भी चढ़ाई। उन्होंने समस्त इस्राएली राष्ट्र के लिए बहुत-सी अन्य बलियां चढ़ायीं। उस दिन उन्होंने प्रभु के सम्मुख अत्यधिक आनन्द के साथ बलि-भोज को खाया-पिया।
देखिए, मैं अपने प्रभु परमेश्वर के नाम पर एक मन्दिर बनाना चाहता हूँ। मैं उसको इस कार्य के लिए अर्पित करूंगा कि उसमें इस्राएली जाति की स्थायी धर्म-प्रथा के अनुसार हमारे प्रभु परमेश्वर के सम्मुख सुगन्धित धूप-द्रव्य जलाए जाएं, निरन्तर भेंट की रोटियां अर्पित की जाएं, और प्रतिदिन सबेरे और शाम तथा पवित्र विश्राम-दिवसों, नवचन्द्र-दिवसों और निर्धारित पर्वों पर अग्नि-बलि चढ़ाई जाए।
यहूदा प्रदेश के राजा हिजकियाह ने बलि चढ़ाने के लिए धर्मसभा को एक हजार बछड़े और सात हजार भेड़ें दी थीं। उसके उच्चाधिकारियों ने धर्मसभा को एक हजार बछड़े और दस हजार भेड़ें दी थीं। बहुत बड़ी संख्या में पुरोहितों ने स्वयं को शुद्ध किया।
राजा सुलेमान ने बलि में प्रभु को बाईस हजार बछड़े और एक लाख बीस हजार भेड़ें चढ़ाईं। इस प्रकार राजा और सब इस्राएली लोगों ने परमेश्वर के भवन को उस की महिमा के लिए अर्पित किया।
जब यरूशलेम की शहरपनाह की प्रतिष्ठा का समय आया, तब जगह-जगह उपपुरोहितों को ढूंढ़ा गया, ताकि उनको यरूशलेम में लाया जाए और शहरपनाह की प्रतिष्ठा का पर्व आनन्द-उल्लास से परमेश्वर को धन्यवाद देते हुए, झांझ, सारंगी, और वीणा के साथ गीत-भजन गाते हुए मनाया जाए।
जैसे पवित्र बलि की भेड़-बकरियां होती हैं, जैसे निर्धारित पर्वों के समय यरूशलेम में असंख्य भेड़-बकरियां होती हैं, वैसे ही निर्जन पड़े हुए नगर असंख्य मनुष्यों की भीड़ से भर जाएंगे। तब उन्हें ज्ञात होगा कि मैं ही प्रभु हूं।’
इस्राएल देश के शासक का यह कर्त्तव्य है कि वह इन नियत पर्वों, नवचन्द्र दिवसों, और विश्राम-दिवसों पर अग्नि-बलि, अन्न-बलि और पेय-बलि का प्रबंध करे। वह इस्राएली जनता की ओर से प्रायश्चित करने के लिए पाप-बलि, अन्न-बलि, अग्नि-बलि और सहभागिता-बलि का प्रबंध करेगा।’
क्या प्रभु हजार मेढ़ों की बलि से, क्या वह तेल की लाखों नदियों की भेंट से प्रसन्न होगा? क्या मुझे अपने अपराध की क्षमा के लिए ज्येष्ठ पुत्र की बलि देना चाहिए? क्या मुझे अपने ही पाप के लिए अपने पौरुष के प्रथम फल को चढ़ाना चाहिए? कदापि नहीं!