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1 राजाओं 18:42 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

42 अत: अहाब भोजन के लिए चला गया। एलियाह कर्मेल पहाड़ के शिखर पर चढ़े। वह भूमि की ओर झुके और उन्‍होंने दोनों घुटनों के मध्‍य अपना मुख स्‍थित किया।

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पवित्र बाइबल

42 अत: राजा अहाब भोजन करने गया। उसी समय एलिय्याह कर्म्मेल पर्वत की चोटी पर चढ़ा। पर्वत की चोटी पर एलिय्याह प्रणाम करने झुका। उसने अपने सिर को अपने घुटनों के बीच में रखा।

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Hindi Holy Bible

42 तब अहाब खाने पीने चला गया, और एलिय्याह कर्म्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिर कर अपना मुंह घुटनों के बीच किया।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

42 तब अहाब खाने पीने चला गया, और एलिय्याह कर्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिरकर अपना मुँह घुटनों के बीच किया,

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सरल हिन्दी बाइबल

42 तब अहाब भोजन करने चला गया. एलियाह कर्मेल पर्वत के शिखर पर चले गए. उन्होंने भूमि की ओर झुककर अपने चेहरे को घुटनों में छिपा लिया.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

42 तब अहाब खाने-पीने चला गया, और एलिय्याह कर्मेल की चोटी पर चढ़ गया, और भूमि पर गिरकर अपना मुँह घुटनों के बीच किया,

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1 राजाओं 18:42
21 क्रॉस रेफरेंस  

जब अब्राहम के सेवक ने उनके ये शब्‍द सुने तब उसने भूमि की ओर झुककर प्रभु की वन्‍दना की।


दाऊद ने बालक के लिए परमेश्‍वर से अनुनय-विनय की। उसने उपवास किया। वह महल में आया। वह रात भर भूमि पर पड़ा रहा।


एलियाह ने राजा अहाब से कहा, “अब आप जाइए, अपना उपवास तोड़िए, और भोजन कीजिए। मुझे मुसलाधार वर्षा होने का गर्जन-स्‍वर सुनाई दे रहा है।’


फिर उन्‍होंने अपने सेवक से कहा, ‘अब तू जा, और समुद्र की ओर देख।’ सेवक गया। उसने समुद्र की ओर देखा। वह लौटा। उसने कहा, ‘वहां कुछ भी नहीं है।’ एलियाह ने कहा, ‘तू सात बार जा।’


जब एलियाह ने इस स्‍वर को सुना, तब उन्‍होंने अपनी चादर से मुख को ढक दिया। वह गुफा से बाहर निकले, और उसके द्वार पर खड़े हो गए। उनको एक आवाज़ सुनाई दी। आवाज ने पूछा, ‘एलियाह, तू यहाँ क्‍या कर रहा है?’


‘हे मेरे परमेश्‍वर, मैं तेरी ओर अपनी आंखें नहीं उठा सकता, मैं लज्‍जित हूं; हमारे अपराधों का ढेर लग गया है, हमारे दुष्‍कर्म आकाश को छूने लगे हैं।


वह काली घटाओं को भाप से भरता है; बादल उसकी बिजलियों को फैला देते हैं।


परमेश्‍वर पवित्र सन्‍तों की सभा में भयप्रद है, वह अपने चारों ओर रहनेवालों में महान और भयावह है।


हिजकियाह ने दीवार की ओर अपना मुख किया, और प्रभु से यह प्रार्थना की,


उसके ऊपर की ओर साराप स्‍वर्गदूत खड़े थे। प्रत्‍येक दूत के छ: पंख थे। वे दो पंखों से अपना मुंह ढके थे। उन्‍होंने दो पंखों से अपने पैर को ढांप लिया था; और शेष दो पंखों से वे उड़ रहे थे।


राजाधिराज, जिसका नाम स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु है, यह कहता है : ‘मेरे जीवन की सौगन्‍ध! जैसे पर्वतों में ताबोर पर्वत है, जैसे समुद्र-तट पर कर्मेल पर्वत है वैसे ही आने वाला शत्रु सब शत्रुओं में महाशत्रु है।


“तब मैं अपने स्‍वामी परमेश्‍वर की ओर उन्‍मुख हुआ। मैंने पश्‍चात्ताप प्रकट करने के लिए टाट के वस्‍त्र पहिने, और अपने सिर पर राख डाली। मैंने उपवास रखा। मैं परमेश्‍वर की कृपा-दृष्‍टि पाने के लिए प्रार्थना और विनती करने लगा।


हे स्‍वामी, केवल तू ही धार्मिक है, और हमारा सिर शर्म से झुका हुआ है। आज भी हम, यहूदा प्रदेश के निवासी, यरूशलेम नगर के रहने वाले, वस्‍तुत: समस्‍त इस्राएली कौम के लोग जो दूर और नजदीक के देशों में प्रवास कर रहे हैं, जहाँ तूने उनको अपने प्रति विश्‍वासघाती आचरण के कारण रहने को विवश किया है, शर्म के कारण अति लज्‍जित हैं।


येशु लोगों को विदा कर एकान्‍त में प्रार्थना करने पहाड़ी पर चढ़े। सन्‍ध्‍या होने पर वह वहाँ अकेले थे।


वह कुछ आगे बढ़े और भूमि पर मुँह के बल गिर कर यह प्रार्थना करने लगे कि यदि संभव हो, तो यह घड़ी उन से टल जाए।


उन दिनों येशु प्रार्थना करने एक पहाड़ी पर चढ़े और वे रात भर परमेश्‍वर की प्रार्थना में लीन रहे।


दूसरे दिन जब वे यात्रा करते-करते नगर के निकट पहुँच रहे थे, तब पतरस लगभग दोपहर के समय छत पर प्रार्थना करने गये।


यहोशुअ ने पराजय का शोक प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र फाड़े। वह सन्‍ध्‍या होने तक प्रभु की मंजूषा के सम्‍मुख भूमि पर औंधे मुंह पड़ा रहा। ऐसा ही इस्राएलियों के धर्मवृद्धों ने भी किया। उन्‍होंने दु:ख प्रकट करने के लिए अपने सिर पर धूल डाली।


तब शमूएल ने प्रभु को पुकारा, और प्रभु ने उस दिन मेघों का गर्जन और वर्षा की। अत: सब लोग प्रभु और शमूएल से बहुत डर गए।


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