16 मुझ पर इसीलिए दया की गयी है कि येशु मसीह सब से पहले मुझ में अपनी सम्पूर्ण सहनशीलता प्रदर्शित करें और उन लोगों के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करें, जो शाश्वत जीवन प्राप्त करने के लिए उनमें विश्वास करेंगे।
16 और इसलिए तो मुझ पर दया की गयी। कि मसीह यीशु एक बड़े पापी के रूप में मेरा उपयोग करते हुए आगे चल कर जो लोग उसमें विश्वास ग्रहण करेंगे, उनके लिए अनन्त जीवन प्राप्ति के हेतु एक उदाहरण के रूप में मुझे स्थापित कर अपनी असीम सहनशीलता प्रदर्शित कर सके।
16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई, कि मुझ सब से बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे, उन के लिये मैं एक आदर्श बनूं।
16 पर मुझ पर इसलिये दया हुई कि मुझ सबसे बड़े पापी में यीशु मसीह अपनी पूरी सहनशीलता दिखाए, कि जो लोग उस पर अनन्त जीवन के लिये विश्वास करेंगे उनके लिये मैं एक आदर्श बनूँ।
16 फिर भी मुझ पर इसलिए दया हुई कि मसीह यीशु मुझ सब से बड़े पापी में अपनी पूर्ण सहनशीलता दिखाए, जिससे मैं उन लोगों के लिए आदर्श बनूँ जो अनंत जीवन के लिए उस पर विश्वास करेंगे।
16 किंतु मुझ पर कृपा इसलिये हुई कि मुझ बड़े पापी में मसीह येशु आदर्श के रूप में अपनी पूरी सहनशीलता का प्रमाण उनके हित में प्रस्तुत करें, जो अनंत जीवन के लिए उनमें विश्वास करेंगे.
‘द्रष्टाओं का इतिहास-ग्रंथ’ में भी मनश्शे का उल्लेख हुआ है: उसकी प्रार्थना; और परमेश्वर ने उसकी विनती, अनुनय-विनय कैसे स्वीकार किया; उसके पाप-कर्म तथा प्रभु के विरुद्ध उसका विश्वासघात; उन जगहों का वर्णन जहाँ मनश्शे ने पहाड़ी शिखर के मन्दिर बनाए थे, जहाँ अशेराह के खम्भे तथा मूर्तियाँ प्रतिष्ठित की थीं। इसी ग्रंथ में लिखा है कि उसने प्रभु के सम्मुख स्वयं को विनम्र किया था।
प्रभु यह कहता है, ‘अब आओ; हम अपना वाद-विवाद हल कर लें; चाहे तुम्हारे पाप लाल रंग के हों, वे हिम के समान सफेद हो जाएंगे। चाहे वे अर्गवानी रंग के हों, वे ऊन के समान श्वेत हो जाएंगे।
दुर्जन मनुष्य अपने मार्ग को छोड़ दे, और अधार्मिक व्यक्ति अपने बुरे विचारों को। वह प्रभु की ओर लौटे, जिससे प्रभु उस पर दया करे। वह हमारे परमेश्वर के पास आए; क्योंकि प्रभु उसे पूर्णत: क्षमा करेगा।
बिल्आम ने राजा बालाक से कहा, ‘आप अपनी अग्नि-बलि के निकट खड़े रहिए। मैं जाऊंगा; कदाचित् प्रभु मुझसे मिलने के लिए आए। जो कुछ वह मुझे दिखाएगा उसे मैं आपको बताऊंगा।’ बिल्आम मुंडी पहाड़ी पर चला गया।
इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, इसके पाप जो बहुत हैं, क्षमा हो गये हैं, क्योंकि इसने बहुत प्रेम किया है। पर जिसे थोड़ा क्षमा किया गया, वह प्रेम भी थोड़ा करता है।”
किन्तु इनका विवरण इसलिए दिया गया है, जिससे आप विश्वास करें कि येशु ही मसीह, परमेश्वर के पुत्र हैं और अपने इस विश्वास के द्वारा उनके नाम से जीवन प्राप्त करें।
जो पुत्र में विश्वास करता है, उसे शाश्वत जीवन प्राप्त है। परन्तु जो पुत्र में विश्वास करने से इन्कार करता है, वह जीवन का दर्शन नहीं करेगा, परन्तु परमेश्वर का क्रोध उस पर बना रहता है।
“मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मेरा वचन सुनता और जिसने मुझे भेजा, उस में विश्वास करता है, उसे शाश्वत जीवन प्राप्त है। वह दोषी नहीं ठहराया जाएगा। वह तो मृत्यु को पार कर जीवन में प्रवेश कर चुका है।
धर्मग्रन्थ में जो कुछ पहले लिखा गया था, वह हमारी शिक्षा के लिए लिखा गया था, ताकि हमें उस से धैर्य तथा सांत्वना मिलती रहे और इस प्रकार हम अपनी आशा बनाये रख सकें।
कुआँरों अथवा कुआँरियों के विषय में मुझे प्रभु की ओर से कोई आदेश नहीं मिला है, किन्तु प्रभु की दया से विश्वास के योग्य होने के नाते मैं अपनी सम्मति दे रहा हूँ।
यह उस दिन होगा जब प्रभु अपने संतों में महिमा-मंडित होने और उन सब में आश्चर्य का कारण बनने आयेंगे, जिन्होंने विश्वास किया है। और विश्वास का विषय तो वह साक्षी है, जो हमने आपको दी है।
मैं तो पहले ईश-निन्दक, अत्याचारी और उद्दण्ड था; किन्तु मुझ पर दया की गयी है, क्योंकि अविश्वास के कारण मैं यह नहीं जानता था कि मैं क्या कर रहा हूँ।
यही कारण है कि जो लोग उनके द्वारा परमेश्वर की शरण लेते हैं, वह उन्हें पूर्णत: बचाने में समर्थ हैं; क्योंकि वह उनकी ओर से निवेदन करने के लिए सदा जीवित हैं।
उन लोगों ने पूर्वकाल में आज्ञा भंग की थी, जब परमेश्वर नूह के दिनों में जलयान-निर्माण के समय धैर्यपूर्वक प्रतीक्षा कर रहा था। उस जलयान में प्रवेश कर थोड़े ही अर्थात् आठ व्यक्ति जल के द्वारा बचाये गये थे।
यदि हमारे प्रभु अपनी सहनशीलता के कारण देर करते हैं, तो इसे अपनी मुक्ति में सहायक समझें, जैसा कि हमारे प्रिय भाई पौलुस ने अपने को प्रदत्त प्रज्ञ के अनुसार आप को लिखा।
प्रभु अपनी प्रतिज्ञाएँ पूरी करने में विलम्ब नहीं करता, जैसा कि कुछ लोग समझते हैं; किन्तु वह आप लोगों के प्रति सहनशील है और यह चाहता है कि किसी का सर्वनाश नहीं हो, बल्कि सबको पश्चात्ताप करने का अवसर मिले।