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1 कुरिन्थियों 7:33 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

33 जो विवाहित है, वह सांसारिक बातों की चिन्‍ता करता है। वह अपनी पत्‍नी को प्रसन्न करना चाहता है।

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पवित्र बाइबल

33 किन्तु एक विवाहित व्यक्ति सांसारिक विषयों में ही लिप्त रहता है कि वह अपनी पत्नी को कैसे प्रसन्न कर सकता है।

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Hindi Holy Bible

33 परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है, कि अपनी पत्नी को किस रीति से प्रसन्न रखे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

33 परन्तु विवाहित मनुष्य संसार की बातों की चिन्ता में रहता है कि अपनी पत्नी को किस रीति से प्रसन्न रखे।

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नवीन हिंदी बाइबल

33 परंतु विवाहित पुरुष सांसारिक बातों की चिंता करता है कि वह अपनी पत्‍नी को कैसे प्रसन्‍न रखे,

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सरल हिन्दी बाइबल

33 किंतु वह, जो विवाहित है, उसका ध्यान संसार संबंधित विषयों में ही लगा रहता है कि वह अपनी पत्नी को प्रसन्‍न कैसे करे,

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1 कुरिन्थियों 7:33
13 क्रॉस रेफरेंस  

येशु ने अपने शिष्‍यों से कहा, “इसलिए मैं तुम लोगों से कहता हूँ, चिन्‍ता मत करो−न अपने जीवन-निर्वाह की, कि हम क्‍या खाएँगे और न अपने शरीर की, कि हम क्‍या पहनेंगे;


और एक ने कहा, ‘मैंने विवाह किया है, इसलिए मैं नहीं आ सकता।’


मजदूर भाग जाता है, क्‍योंकि वह तो मजदूर है और उसे भेड़ों की कोई चिन्‍ता नहीं।


पति अपनी पत्‍नी के प्रति अपने कर्त्तव्‍य का पालन करे और स्‍त्री अपने पति के प्रति।


मैं तो चाहता हूँ कि आप लोगों को कोई चिन्‍ता न हो। जो अविवाहित है, वह प्रभु की बातों की चिन्‍ता करता है। वह प्रभु को प्रसन्न करना चाहता है।


उस में परस्‍पर-विरोधी भावों का संघर्ष है। जिसका पति नहीं रह गया और जो कुआँरी है, वे प्रभु की बातों की चिन्‍ता करती हैं। वे तन और मन से पवित्र होने की कोशिश में लगी रहती हैं। जो विवाहिता है, वह सांसारिक बातों की चिन्‍ता करती है और अपने पति को प्रसन्न करना चाहती है।


पतियो! आप अपनी-अपनी पत्‍नी से प्रेम रखें और उनके साथ कठोर व्‍यवहार नहीं करें।


यदि कोई व्यक्‍ति अपने सम्‍बन्‍धियों की, विशेष कर अपने निजी परिवार की देख-रेख नहीं करता, वह विश्‍वास को त्‍याग चुका और अविश्‍वासी से भी बुरा है।


पतियो! आप समझदारी से अपना विवाहित जीवन व्‍यतीत कीजिए। अपनी पत्‍नी का ध्‍यान रखें और उसे शारीरिक दृष्‍टि से ‘अबला’ समझ कर तथा अपने साथ शाश्‍वत् जीवन के अनुग्रह की उत्तराधिकारिणी जान कर उसका समुचित आदर करें। यदि आप ऐसा करेंगे, तो आपकी प्रार्थनाओं में कोई बाधा नहीं पड़ेगी।


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