1 कुरिन्थियों 14:25 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)
25 उसके हृदय के रहस्य प्रकट हो जायेंगे। वह मुँह के बल गिर कर परमेश्वर की आराधना करेगा और यह स्वीकार करेगा कि परमेश्वर सचमुच आप लोगों के बीच विद्यमान है।
25 और उसके मन की गुप्त बातें प्रकट होंगी; और तब वह अपने मुँह के बल गिरकर परमेश्वर को दंडवत् करेगा और यह मान लेगा, “सचमुच परमेश्वर तुम्हारे बीच में है।”
प्रभु इस्राएली लोगों से यों कहता है: ‘मिस्र देश की धन-सम्पत्ति, इथियोपिआ देश की व्यापार-सामग्री तेरी हो जाएगी। ऊंचे कदवाले सबाई लोग तेरे पास आएंगे और वे तेरे हो जाएंगे; वे तेरा अनुसरण करेंगे। वे बेड़ियों में बंधे हुए तेरे पास आएंगे और तेरे सम्मुख सिर झुकाएंगे। वे तुझ से यह कहते हुए अनुनय-विनय करेंगे, “ईश्वर केवल आपके साथ है, उसे छोड़ दूसरा कोई ईश्वर नहीं है; उसके अतिरिक्त अन्य ईश्वर नहीं है।” ’
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु यों कहता है : उन दिनों में पृथ्वी की भिन्न-भिन्न भाषा बोलनेवाली सब कौमों में से दस-दस व्यक्ति एक यहूदी व्यक्ति के वस्त्र का छोर पकड़कर यह कहेंगे, “हम भी आपके साथ चलेंगे, क्योंकि हमने सुना है कि परमेश्वर आपके साथ है।” ’
जब मेमना पुस्तक ले चुका, तब चार प्राणी तथा चौबीस धर्मवृद्ध मेमने के सामने गिर पड़े। प्रत्येक धर्मवृद्ध के हाथ में वीणा थी और धूप से भरे स्वर्ण पात्र भी-ये सन्तों की प्रार्थनाएँ हैं।
वह येशु को देख कर चिल्ला उठा और दण्डवत् कर ऊंचे स्वर से बोला, “येशु! सर्वोच्च परमेश्वर के पुत्र! मुझ से आप को क्या काम? मैं आप से विनती करता हूँ, मुझे न सताइए”;
जिन्होंने तुझ पर अत्याचार किया था, उनकी सन्तान सिर झुकाए हुए तेरे पास आएगी; जो तुझसे घृणा करते थे, वे तेरे चरणों पर गिरकर तुझे साष्टांग प्रणाम करेंगे। वे तुझे इस नाम से पुकारेंगे: “प्रभु की नगरी” , “इस्राएल के पवित्र परमेश्वर का नगर-सियोन।”
मैं पहले के समान चालीस दिन और चालीस रात प्रभु के सम्मुख पड़ा रहा। मैंने न रोटी खाई, और न पानी पिया, क्योंकि जो कार्य प्रभु की दृष्टि में बुरा था, उसको करके तुमने पाप किया था और इस प्रकार तुमने प्रभु को चिढ़ाया था।
राजा ने दानिएल से कहा, ‘निस्सन्देह तुम्हारा परमेश्वर ही सब देवताओं का ईश्वर और राजाओं का स्वामी है, वही सब रहस्यों का भेद खोलनेवाला है। केवल तुम ही मेरे रहस्य पर से परदा उठा सके।’
पतरस और योहन की निर्भीकता देख कर और यह जानकर कि वे अशििक्षत तथा साधारण मनुष्य हैं, धर्म-महासभा के सदस्य अचम्भे में पड़ गये। फिर, वे पहचान गये कि ये तो येशु के साथ रह चुके हैं;
शमूएल ने शाऊल को उत्तर दिया, ‘मैं ही द्रष्टा हूँ। तुम मुझसे पहले पहाड़ी शिखर की वेदी को जाओ। आज तुम लोग मेरे साथ भोजन करना। जो कुछ तुम्हारे हृदय में है, वह मैं तुम पर प्रकट करूँगा। तब मैं तुम्हें सबेरे विदा कर दूँगा।