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1 कुरिन्थियों 1:27 - पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

27 ज्ञानियों को लज्‍जित करने के लिए परमेश्‍वर ने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में मूर्ख हैं। शक्‍तिशालियों को लज्‍जित करने के लिए उसने उन लोगों को चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दुर्बल हैं।

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पवित्र बाइबल

27 बल्कि परमेश्वर ने तो संसार में जो तथाकथित मूर्खतापूर्ण था, उसे चुना ताकि बुद्धिमान लोग लज्जित हों। परमेश्वर ने संसार में दुर्बलों को चुना ताकि जो शक्तिशाली हैं, वे लज्जित हों।

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Hindi Holy Bible

27 परन्तु परमेश्वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है, कि ज्ञान वालों को लज्ज़ित करे; और परमेश्वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है, कि बलवानों को लज्ज़ित करे।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

27 परन्तु परमेश्‍वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया है कि ज्ञानवानों को लज्जित करे, और परमेश्‍वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया है कि बलवानों को लज्जित करे;

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नवीन हिंदी बाइबल

27 परंतु परमेश्‍वर ने जगत के मूर्खों को चुन लिया कि ज्ञानवानों को लज्‍जित करे, और परमेश्‍वर ने जगत के निर्बलों को चुन लिया कि बलवानों को लज्‍जित करे,

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सरल हिन्दी बाइबल

27 ज्ञानवानों को लज्जित करने के लिए परमेश्वर ने उनको चुना, जो संसार की दृष्टि में मूर्ख है तथा शक्तिशालियों को लज्जित करने के लिए उसको, जो संसार की दृष्टि में दुर्बल है.

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1 कुरिन्थियों 1:27
27 क्रॉस रेफरेंस  

शिशुओं और बच्‍चों के मुख से तेरी स्‍तुति होती है। अपने बैरियों के कारण, अपने शत्रु और प्रतिशोधी का अंत करने के लिए तूने एक गढ़ बनाया है।


अत: मैं इन लोगों के मध्‍य पुन: आश्‍चर्य कर्म, अद्भुत कार्य करूंगा: इनके बुद्धिमान लोगों की बुद्धि नष्‍ट हो जाएगी, समझदार व्यक्‍तियों की समझ को पाला मार जाएगा।”


पीड़ित व्यक्‍ति प्रभु में अधिकाधिक आनन्‍दित होंगे, समाज का सर्वाधिक दरिद्र मनुष्‍य इस्राएल के पवित्र परमेश्‍वर में हर्षित होगा;


मैं मिथ्‍याविचारकों के शकुन-विचार व्‍यर्थ कर देता हूं; भविष्‍य बतानेवालों को मूर्ख सिद्ध करता हूं; बुद्धिमान कहलानेवालों की मूर्खता प्रकट करता हूं, उनके ज्ञान को अज्ञान सिद्ध कर देता हूं।


बुद्धिमान लोग अपमानित होंगे; वे विस्‍मित होंगे, और अपने ही जाल में फंस जाएंगे। उन्‍होंने भी प्रभु के वचन को अस्‍वीकार कर दिया, तो क्‍या उनमें बुद्धि रहेगी?


मैं तेरे मध्‍य में विनम्र और विनीत लोगों का एक समूह छोड़ूंगा। वे मुझ-प्रभु के नाम का आश्रय खोजेंगे।


गदही ने बिल्‍आम से पूछा, ‘क्‍या मैं आपकी वही गदही नहीं हूं, जिस पर आप अपने बचपन से आज तक सवारी करते आए हैं? क्‍या मैं आपके साथ ऐसा व्‍यवहार करने की आदी हूं?’ उसने कहा, ‘नहीं!’


उस समय येशु ने कहा, “पिता! स्‍वर्ग और पृथ्‍वी के प्रभु! मैं तेरी स्‍तुति करता हूँ; क्‍योंकि तूने इन सब बातों को ज्ञानियों और बुद्धिमानों से गुप्‍त रखा; किन्‍तु बच्‍चों पर प्रकट किया है।


वे येशु से बोले, “क्‍या तुम सुन रहे हो कि ये क्‍या कह रहे हैं?” येशु ने उन्‍हें उत्तर दिया, “हाँ, सुन रहा हूँ। क्‍या तुम लोगों ने धर्मग्रन्‍थ में यह नहीं पढ़ा, ‘बालकों और दुधमुँहे बच्‍चों के मुख से तूने अपना गुणगान कराया’?”


येशु वहाँ से आगे बढ़े। उन्‍होंने मत्ती नामक व्यक्‍ति को चुंगी-घर में बैठा हुआ देखा और उससे कहा, “मेरे पीछे आओ”, और वह उठ कर उनके पीछे हो लिया।


क्‍योंकि मैं तुम्‍हें ऐसी वाणी और बुद्धि प्रदान करूँगा, जिसका सामना अथवा खण्‍डन तुम्‍हारा कोई विरोधी नहीं कर सकेगा।


वहाँ कुछ एपिकूरी तथा स्‍तोइकी दार्शनिकों से भी उनका सम्‍पर्क हुआ। उनमें से कुछ लोगों ने कहा, “यह बकवादी हम से क्‍या कहना चाहता है?” दूसरों ने कहा, “यह विदेशी देवताओं का प्रचारक जान पड़ता है”, क्‍योंकि पौलुस येशु तथा “पुनरुत्‍थान” का शुभ समाचार सुना रहे थे।


“जिन मूसा को लोगों ने यह कहते हुए अस्‍वीकार किया था कि किसने तुम को हमारा शासक तथा न्‍यायकर्ता नियुक्‍त किया है?’ उन्‍हीं को परमेश्‍वर ने झाड़ी में दर्शन देने वाले स्‍वर्गदूत के माध्‍यम से शासक तथा मुक्‍तिदाता के रूप में उनके पास भेजा।


स्‍तीफनुस की बातें सुन कर लोग आगबबूला हो गये और उस पर दांत पीसने लगे।


हम में इस संसार के ज्ञानी, शास्‍त्री और दार्शनिक कहाँ है? क्‍या परमेश्‍वर ने इस संसार के ज्ञान को मूर्खतापूर्ण नहीं प्रमाणित किया है?


परमेश्‍वर की प्रज्ञ का विधान ऐसा था कि संसार अपने ज्ञान द्वारा परमेश्‍वर को नहीं पहचान सका। इसलिए परमेश्‍वर ने शुभ समाचार के प्रचार की ‘मूर्खता’ द्वारा विश्‍वासियों को बचाना चाहा।


हमें संसार का आत्‍मा नहीं, बल्‍कि वह आत्‍मा मिला है जो परमेश्‍वर से है, जिससे हम परमेश्‍वर से प्राप्‍त वरदान पहचान सकें।


कुछ लोगों का कहना है-उसके पत्र कठोर और प्रभावशाली हैं, किन्‍तु जब वह स्‍वयं आता है, तो उसका शरीर दुर्बल लगता है और उसकी बोलने की शक्‍ति नहीं के बराबर है।


यह अमूल्‍य निधि हममें-मिट्टी के पात्रों में रखी रहती है, जिससे यह स्‍पष्‍ट हो जाये कि यह अलौकिक सामर्थ्य हमारा अपना नहीं, बल्‍कि परमेश्‍वर का है।


मेरे प्रिय भाइयो और बहिनो! सुन लीजिए। क्‍या परमेश्‍वर ने उन लोगों को नहीं चुना है, जो संसार की दृष्‍टि में दरिद्र हैं, ताकि वे विश्‍वास के धनी हो जायें और उस राज्‍य के उत्तराधिकारी बनें, जिसे उसने अपने भक्‍तों को प्रदान करने की प्रतिज्ञा की है?


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