21 इस्राएलियों ने उनके पशु छीन लिये : पचास हजार ऊंट, अढ़ाई लाख भेड़-बकरी और दो हजार गधे। इस्राएलियों ने शत्रु सेना के एक लाख सैनिकों को बन्दी बना लिया।
परन्तु हगारई आदि सेनाओं को इस्राएली सैनिकों के विरुद्ध सहायता प्राप्त हुई। तब इस्राएली सैनिकों ने परमेश्वर से प्रार्थना की। परमेश्वर ने उनकी विनती को सुना; क्योंकि उन्होंने परमेश्वर पर भरोसा किया था। अत: उसने हगारई सेना तथा उसके पक्ष की अन्य जातियों की सेनाओं को जो उसके साथ थीं, इस्राएलियों के हाथ में सौंप दिया।
इस युद्ध में बहुत नरसंहार हुआ; क्योंकि यह युद्ध परमेश्वर की ओर से हुआ था। तत्पश्चात् रूबेन के वंशज, गाद के वंशज और मनश्शे के आधे गोत्र के लोग उनके स्थान पर ‘निष्कासन’ के समय तक उनके निवास-स्थानों में निवास करते रहे।
पशु-पालन करने वाले लोग तम्बू में रहते थे। यहूदा के सैनिकों ने उनके तम्बू उखाड़ दिए, और असंख्य भेड़-बकरी और ऊंट लूटकर ले गए। तब वे राजधानी यरूशलेम को लौटे।
बेबीलोन के सैनिक केदार के निवासियों के तम्बू और भेड़-बकरियां हांककर ले जाएंगे; वे उनकी कनातें और माल-असबाब लूट कर ले जाएंगे; वे उनके कनातें और माल-असबाब लूट कर ले जाएंगे; वे उनके ऊंटों को उनसे छीन लेंगे; लोग पुकार कर उनसे कहेंगे : “चारों ओर आतंक ही आतंक छाया है।”