कारीगरों ने यहोवा के मन्दिर की नींव डालनी पूरी कर दी। जब नींव पड़ गई तब याजकों ने अपने विशेष वस्त्र पहने। तब उन्होंने अपनी तुरही ली और आसाप के पुत्रों ने अपने झाँझों को लिया। उन्होंने यहोवा की स्तुति के लिये अपने अपने स्थान ले लिये। यह उसी तरह किया गया जिस तरह करने के लिये भूतकाल में इस्राएल के राजा दाऊद ने आदेश दिया था।
तुम लोग दाखमधु, वीणा, ढोल, बाँसुरी और ऐसे ही दूसरे बाजों के साथ दावतें उड़ाते रहते हो और तुम उन बातों पर दृष्टि नहीं डालते जिन्हें यहोवा ने किया है। यहोवा के हाथों ने अनेकानेक वस्तुएँ बनायी है किन्तु तुम उन वस्तुओं पर ध्यान ही नहीं देते। सो यह तुम्हारे लिये बहुत बुरा होगा।
ये बातें बुद्धिमान व्यक्ति को समझना चाहिये, ये बातें किसी चतुर व्यक्ति को जाननी चाहियें। यहोवा की राहें उचित है। सज्जन उसी रीति से जीयेंगे; और दुष्ट उन्हीं से मर जायेंगे।
एक व्यक्ति बीस माप अनाज की ढेर के पास आता है, किन्तु वहाँ उसे केवल दस ही मिलते हैं और जब एक व्यक्ति दाखमधु के पीपे के पास पचास माप निकालने आता है तो वहाँ वह केवल बीस ही पाता है!
उस समय के पहले लोगों के पास श्रमिकों को मजदुरी पर रखने या जानवर को किराये पर रखने के लिये धन नहीं था और मनुष्यों का आवागमन सुरक्षित नही था। सारी आपत्तियों से किसी प्रकार की मुक्ति नही थी। मैंने हर एक को पङोसी के विरूद्ध कर दिया था।