मुझे द्वारों, दीवारों, मन्दिरों के चारों ओर के प्राचीरों और अपने घर के लिये लकड़ी की भी आवश्यकता है। इसलिए मुझे आपसे आसाप के नाम भी एक पत्र चाहिए, आसाप आपके जंगलात का हाकिम है।” सो राजा ने मुझे पत्र और वह हर वस्तु दे दी जो मैंने मांगी थी। क्योंकि परमेश्वर मेरे प्रति दयालु था इसलिए राजा ने यह सब कर दिया था।
जागो, हे उत्तर की हवा! आ, तू दक्षिण पवन! मेरे उपवन पर बह। जिससे इस की मीठी, गन्ध चारों ओर फैल जाये। मेरा प्रिय मेरे उपवन में प्रवेश करे और वह इसका मधुर फल खाये।
मेरी संगिनी, हे मेरी दुल्हिन, मैंने अपने उपवन में अपनी सुगध सामग्री के साथ प्रवेश किया। मैंने अपना रसगंध एकत्र किया है। मैं अपना मधु छत्ता समेत खा चुका। मैं अपना दाखमधु और अपना दूध पी चुका। हे मित्रों, खाओ, हाँ प्रेमियों, पियो! प्रेम के दाखमधु से मस्त हो जाओ!
यहूदा के राजा सिदकिय्याह ने बाबुल के उन पदाधिकारियों को देखा, अत: वह और उसके सैनिक वहाँ से भाग गये। उन्होंने रात में यरूशलेम को छोड़ा और राजा के बाग से होकर बाहर निकले। वे उस द्वार से गए जो दो दीवारों के बीच था। तब वे मरुभूमि की ओर बढ़े।