“हम परमेश्वर के मन्दिर के भण्डार में याजकों के पास ये वस्तुएँ भी लाया करेंगे: पहला पिसा खाना, पहली अन्न— बलियाँ, हमारे सभी पेड़ों के पहले फल, हमारी नयी दाखमधु और तेल का पहला भाग। हम लेवीवंशियों के लिये अपनी उपज का दसवाँ हिस्सा भी दिया करेंगे क्योंकि प्रत्येक नगर में जहाँ हम काम करते हैं, लेवीवंशी हमसे ये वस्तुएँ लिया करते हैं।
“कुछ ऐसी चीजें है जिन्हें तुम्हें उन जगहों पर नहीं खाना चाहिए जहाँ तुम रहते हो। वे चीजें ये हैः परमेश्वर के हिस्से के तुम्हारे अन्न का कोई भाग, उसके हिस्से की नई दाखमधु और तेल का कोई भाग, तुम्हारे मवेशियों के झुण्ड या रेवड़ का पहलौठा बच्चा, परमेश्वर को वचन दी गई कोई भेंट, कोई स्वेच्छा भेंट या कोई भी परमेश्वर की अन्य भेंट।
वहाँ तुम्हें अपनी होमबलि, अपनी बलियाँ, दशमांश, अपनी विशेष भेंट, यहोवा को वचन दी गई कोई भेंट, अपनी स्वेच्छा भेंट और अपने मवेशियों के झुण्ड एवं रेवड़ के पहलौठे बच्चे लाने चाहिए।
“इस्राएल के लोग उनके पास जो कुछ होगा उसका दसवाँ भाग देंगे। इस प्रकार मैं लेवीवंश के लोगों को दसवाँ भाग देता हूँ। यह उनके उस कार्य के लिए भुगतान है जो वे मिलापवाले तम्बू में सेवा करते हुए करते हैं।
तुम अन्न इकट्ठा करोगे और इसे आटे के रूप में पीसोगे और उसे रोटी बनाने के लिए गूँदोगे। फिर उस आटे की पहली रोटी को यहोवा को अर्पित करोगे। वह ऐसी अन्नबलि होगी जो खलिहान से आती है।
सर्वशक्तिमान यहोवा यह सब कहता है, “इस परीक्षा की जांच करो। अपनी चीजों का दसवा भाग मुझको लाओ। उन चीज़ों को खजाने में रखो। मेरे घर भोजन लाओ। मुझे परख कर तो देखो। तुम यदि उन कामों को करोगे तो मैं, सच ही, तुम्हें आशीर्वाद दूँगा। तुम्हारे पास अच्छी चीज़ें वैसे ही हो जाएंगी जैसे गगन से वर्षा होती हैं। तुम हर चीज़ आवश्यकता से अधिक पाओगे।
फसल काटने के समय तुम लोग फसल का पाँचवाँ हिस्सा फ़िरौन को अवश्य देना। तुम लोग अपने लिए पाँच में से चार हिस्से रख सकते हो। तुम लोग उस बीज को जिसे भोजन और बोने के लिए रखोगे उसे दूसरे वर्ष उपयोग में ला सकोगे। अब तुम अपने परिवारों और बच्चों को खिला सकते हो।”
इसलिए यूसुफ ने उस समय देश में एक नियम बनाया और वह नियम अब तक चला आ रहा है। नियम के अनुसार भूमि से हर एक उपज का पाँचवाँ हिस्सा फ़िरौन का है। फ़िरौन सारी भूमि का स्वामी है। केवल वही भूमि उसकी नहीं है जो याजकों की है।
लेवीवंशी जब उपज का यह भाग एकत्र करें तो हारुन के परिवार का एक याजक उनके साथ अवश्य होना चाहिये, और फिर इन सब वस्तुओं के दसवें हिस्से को वहाँ से लेकर लेवीवंशियों को चाहिये कि वे उन्हें हमारे परमेश्वर के मन्दिर मे ले आयें और उन्हें मन्दिर के खजाने की कोठियारों में रख दें।