9 “तुम्हें और तम्हारे पुत्रों को दाखमधु या मध उस समय नहीं पीनी चाहिए जब तुम लोग मिलापवाले तम्बू में आओ। यदि तुम ऐसा करोगे तो मर जाओगे! यह नियम तुम्हारी पीढ़ियों में सदा चलता रहेगा।
9 कि जब जब तू वा तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएं तब तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पिए हो न और किसी प्रकार का मद्य, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे,
9 ‘जब तू अथवा तेरे साथ तेरे पुत्र मिलन-शिविर में प्रवेश करें तब अंगूर का रस या मदिरा मत पीना। ऐसा न हो कि तुम मर जाओ। यह तुम्हारी पीढ़ी से पीढ़ी के लिए स्थायी संविधि है।
9 “जब जब तू या तेरे पुत्र मिलापवाले तम्बू में आएँ तब तब तुम में से कोई न तो दाखमधु पीए हो न और किसी प्रकार का मद्य, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ; तुम्हारी पीढ़ी पीढ़ी में यह विधि प्रचलित रहे,
9 “जब कभी तू या तेरे साथ तेरे पुत्र मिलापवाले तंबू में आएँ, तब तुममें से कोई न तो दाखमधु पीए और न किसी प्रकार की मदिरा, कहीं ऐसा न हो कि तुम मर जाओ। तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में यह सदा की विधि रहे,
9 “जब तुम मिलनवाले तंबू में प्रवेश करो, तो न तो तुम और न ही तुम्हारे पुत्र दाखरस अथवा दाखमधु का उपभोग करें, कि तुम्हारी मृत्यु न हो जाए. यह तुम्हारी आनेवाली सारी पीढ़ियों के लिए हमेशा के लिए विधि है,
हारून और उसके पुत्र प्रकाश का प्रबन्ध करने का कार्य संभालेंगे। वे मिलापवाले तम्बू के पहले कमरे में जाएंगे। यह कमरा साक्षीपत्र के सन्दूक वाले कमरे के बाहर उस पर्दे के सामने है जो दोनों कमरों को अलग करता है। वे इसका ध्यान रखेंगे कि इस स्थान पर यहोवा के सामने दीपक सन्ध्या से प्रातः तक लगातार जलते रहेंगे। इस्राएल के लोग और उनके वंशज इस नियम का पालन सदैव करेंगे।”
किन्तु अभी वे मुखिया लोग मदमत्त हैं। याजक और नबी सभी दाखमधु और सुरा से धुत्त हैं। वे लड़खड़ाते हैं और नीचे गिर पड़ते हैं। नबी जब अपने सपने देखते हैं तब वे पिये हुए होते हैं। न्यायाधीश जब न्याय करते हैं तो वे नशे में डूबे हुए होते हैं।
तब याजक इन चीजों को यहोवा के सामने उत्तोलित करेगा। यह एक उत्तोलन भेंट हैं। ये चीजें पवित्र हैं और याजक की हैं। नर भेड़ की छाती और जांघ भी यहोवा के सामने उत्तोलित किये जाएंगे। ये चीज़ें भी याजक की हैं। इसके बाद नाज़ीर दाखमधु पी सकता है।
उस काल में व्यक्ति को कोई दाखमधु या कोई अधिक नशीली चीज़ नहीं पीनी चाहिए। व्यक्ति को सिरका जो दाखमधु से बना हो या किसी अधिक नशीले पेय को नहीं पीना चाहिए। उस व्यक्ति को अंगूर का रस नहीं पीना चाहिए और न ही अंगुर या किशमिश खाने चाहिए।
क्योंकि वह प्रभु की दृष्टि में महान होगा। वह कभी भी किसी दाखरस या किसी भी मदिरा का सेवन नहीं करेगा। अपने जन्म काल से ही वह पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होगा।
इसी प्रकार कलीसिया के सेवकों को भी सम्मानीय होना चाहिए जिसके शब्दों पर विश्वास किया जाता हो। मदिरा पान में उसकी रूचि नहीं होनी चाहिए। बुरे रास्तों से उन्हें धन कमाने का इच्छुक नहीं होना चाहिए।
निरीक्षक को निर्दोष तथा किसी भी बुराई से अछूता होना चाहिए। क्योंकि जिसे परमेश्वर का काम सौंपा गया है, उसे अड़ियल, चिड़चिड़ा और दाखमधु पीने में उसकी रूचि नहीं होनी चाहिए। उसे झगड़ालू, नीच कमाई का लोलुप नहीं होना चाहिए