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लूका 19:47 - पवित्र बाइबल

47 सो अब तो वह हर दिन मन्दिर में उपदेश देने लगा। प्रमुख याजक, यहूदी धर्मशास्त्री और मुखिया लोग उसे मार डालने की ताक में रहने लगे।

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Hindi Holy Bible

47 और वह प्रति दिन मन्दिर में उपदेश करता था: और महायाजक और शास्त्री और लोगों के रईस उसे नाश करने का अवसर ढूंढ़ते थे।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

47 येशु प्रतिदिन मन्‍दिर में शिक्षा देते थे। महापुरोहित, शास्‍त्री और जनता के नेता इस प्रयत्‍न में थे कि येशु का विनाश करें।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

47 वह प्रतिदिन मन्दिर में उपदेश करता था; और प्रधान याजक और शास्त्री और लोगों के प्रमुख उसे नष्‍ट करने का अवसर ढूँढ़ते थे।

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नवीन हिंदी बाइबल

47 वह प्रतिदिन मंदिर में उपदेश देता था। मुख्य याजक, शास्‍त्री और लोगों के प्रमुख उसे नाश करने का अवसर ढूँढ़ रहे थे;

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सरल हिन्दी बाइबल

47 प्रभु येशु हर रोज़ मंदिर में शिक्षा दिया करते थे. प्रधान पुरोहित, शास्त्री तथा जनसाधारण में से प्रधान नागरिक उनकी हत्या की योजना कर रहे थे,

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लूका 19:47
17 क्रॉस रेफरेंस  

जब प्रमुख याजकों और धर्मशास्त्रियों ने यह सुना तो वे उसे मारने का कोई रास्ता ढूँढने लगे। क्योंकि भीड़ के सभी लोग उसके उपदेश से चकित थे। इसलिए वे उससे डरते थे।


उसी समय यीशु ने भीड़ से कहा, “तुम तलवारों, लाठियों समेत मुझे पकड़ने ऐसे क्यों आये हो जैसे किसी चोर को पकड़ने आते हैं? मैं हर दिन मन्दिर में बैठा उपदेश दिया करता था और तुमने मुझे नहीं पकड़ा।


यीशु ने उसे उत्तर दिया, “मैंने सदा लोगों के बीच हर किसी से खुल कर बात की है। सदा मैंने आराधनालयों में और मन्दिर में, जहाँ सभी यहूदी इकट्ठे होते हैं, उपदेश दिया है। मैंने कभी भी छिपा कर कुछ नहीं कहा है।


इस पर यहूदियों ने उसे बंदी बनाने का प्रयत्न एक बार फिर किया। पर यीशु उनके हाथों से बच निकला।


कुछ उसे बंदी बनाना चाहते थे पर किसी ने भी उस पर हाथ नहीं डाला।


क्या तुम्हें मूसा ने व्यवस्था का विधान नहीं दिया? पर तुममें से कोई भी उसका पालन नहीं करता। तुम मुझे मारने का प्रयत्न क्यों करते हो?”


फ़सह पर्व और बिना खमीर की रोटी का उत्सव आने से दो दिन पहले की बात है कि प्रमुख याजक और यहूदी धर्मशास्त्री कोई ऐसा रास्ता ढूँढ रहे थे जिससे चालाकी के साथ उसे बंदी बनाया जाये और मार डाला जाये।


वे यह समझ गये थे कि उसने जो दृष्टान्त कहा है, उनके विरोध में था। सो वे उसे बंदी बनाने का कोई रास्ता ढूँढने लगे, पर लोगों से वे डरते थे इसलिये उसे छोड़ कर चले गये।


जब यीशु मन्दिर में जाकर उपदेश दे रहा था तो प्रमुख याजकों और यहूदी बुजु़र्गो ने पास जाकर उससे पूछा, “ऐसी बातें तू किस अधिकार से करता है? और यह अधिकार तुझे किसने दिया?”


हर दिन मन्दिर में उपदेश देते हुए मैं तुम्हारे साथ ही था किन्तु तुमने मुझे नहीं पकड़ा। अब यह हुआ ताकि शास्त्र का वचन पूरा हो।”


किन्तु उन्हें ऐसा कर पाने का कोई अवसर न मिल पाया क्योंकि लोग उसके वचनों को बहुत महत्त्व दिया करते थे।


उसी क्षण यहूदी धर्मशास्त्रि और प्रमुख याजक कोई रास्ता ढूँढकर उसे पकड़ लेना चाहते थे क्योंकि वे जान गये थे कि उसने यह दृष्टान्त कथा उनके विरोध में कही है। किन्तु वे लोगों से डरते थे।


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