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लूका 12:18 - पवित्र बाइबल

18 “फिर उसने कहा, ‘ठीक है मैं यह करूँगा कि अपने अनाज के कोठों को गिरा कर बड़े कोठे बनवाऊँगा और अपने समूचे अनाज को और सामान को वहाँ रख छोड़ूँगा।

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Hindi Holy Bible

18 और उस ने कहा; मैं यह करूंगा: मैं अपनी बखारियां तोड़ कर उन से बड़ी बनाऊंगा;

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

18 तब उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा। अपने भण्‍डारगृह तोड़ कर उन से और बड़े भण्‍डारगृह बनवाऊंगा, और उन में अपना सारा अनाज और अपना माल इकट्ठा करूँगा

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

18 और उसने कहा, ‘मैं यह करूँगा : मैं अपनी बखारियाँ तोड़ कर उनसे बड़ी बनाऊँगा; और वहाँ अपना सब अन्न और संपत्ति रखूँगा;

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नवीन हिंदी बाइबल

18 फिर उसने कहा ‘मैं ऐसा करूँगा कि अपने खत्तों को तोड़कर उन्हें और भी बड़ा बनाऊँगा, और वहाँ अपना सारा अनाजऔर अच्छी वस्तुएँ इकट्ठा करूँगा,

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सरल हिन्दी बाइबल

18 “फिर उसने विचार किया, ‘मैं ऐसा करता हूं: मैं इन बखारों को तोड़कर बड़े भंडार निर्मित करूंगा. तब मेरी सारी उपज तथा वस्तुओं का रख रखाव हो सकेगा.

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लूका 12:18
11 क्रॉस रेफरेंस  

हे यहोवा, जो व्यक्ति सजीव हैं उनकी धरती से दुष्टों को अपनी शक्ति से दूर कर। हे यहोवा, बहुतेरे तेरे पास शरण माँगने आते हैं। तू उनको बहुतायत से भोजन दे। उनकी संतानों को परिपूर्ण कर दे। उनके पास निज बच्चों को देने के लिये बहुतायत से धन हो।


देखो! आकाश के पक्षी न तो बुआई करते हैं और न कटाई, न ही वे कोठारों में अनाज भरते हैं किन्तु तुम्हारा स्वर्गीय पिता उनका भी पेट भरता है। क्या तुम उनसे कहीं अधिक महत्वपूर्ण नहीं हो?


वह अपने मन में सोचते हुए कहने लगा, ‘मैं क्या करूँ, मेरे पास फ़सल को रखने के लिये स्थान तो है नहीं।’


फिर अपनी आत्मा से कहूँगा, अरे मेरी आत्मा अब बहुत सी उत्तम वस्तुएँ, बहुत से बरसों के लिये तेरे पास संचित हैं। घबरा मत, खा, पी और मौज उड़ा।’


“देखो, उस व्यक्ति के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है, वह अपने लिए भंडार भरता है किन्तु परमेश्वर की दृष्टि में वह धनी नहीं है।”


कौवों को देखो, न वे बोते हैं, न ही वे काटते है। न उनके पास भंडार है और न अनाज के कोठे। फिर भी परमेश्वर उन्हें भोजन देता है। तुम तो कौवों से कितने अधिक मूल्यवान हो।


सो एक लम्बे समय तक तो वह न्यायाधीश आनाकानी करता रहा पर आखिरकार उसने अपने मन में सोचा, ‘न तो मैं परमेश्वर से डरता हूँ और न लोगों की परवाह करता हूँ।


फिर प्रभु ने कहा, “देखो उस दुष्ट न्यायाधीश ने क्या कहा था।


ऐसा “ज्ञान” तो ऊपर अर्थात् स्वर्ग से, प्राप्त नहीं होता, बल्कि वह तो भौतिक है। आत्मिक नहीं है। तथा शैतान का है।


ऐसा कहने वालो सुनो, “आज या कल हम इस या उस नगर में जाकर साल-एक भर वहाँ व्यापार में धन लगा बहुत सा पैसा बना लेंगे।”


सो इसके स्थान पर तुम्हें तो सदा यही कहना चाहिए, “यदि प्रभु ने चाहा तो हम जीयेंगे और यह या वह करेंगे।”


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