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रोमियों 3:8 - पवित्र बाइबल

8 और फिर क्यों न कहे: “आओ! बुरे काम करें ताकि भलाई प्रकट हो।” जैसा कि हमारे बारे में निन्दा करते हुए कुछ लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि हम ऐसा कहते हैं। ऐसे लोग दोषी करार दिये जाने योग्य है। वे सभी दोषी हैं।

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Hindi Holy Bible

8 और हम क्यों बुराई न करें, कि भलाई निकले जब हम पर यही दोष लगाया भी जाता है, और कितने कहते हैं कि इन का यही कहना है: परन्तु ऐसों का दोषी ठहराना ठीक है॥

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

8 यदि ऐसी बात है, तो हम बुराई क्‍यों न करें, जिससे भलाई उत्‍पन्न हो? जैसा कि कुछ लोग जो हमारी निंदा करते हैं, कहते हैं कि हम यही सिखाते हैं। ऐसे लोग दण्‍डाज्ञा के योग्‍य हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

8 “हम क्यों बुराई न करें कि भलाई निकले?” जैसा हम पर यही दोष लगाया भी जाता है, और कुछ कहते हैं कि इनका यही कहना है। परन्तु ऐसों का दोषी ठहराना ठीक है।

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नवीन हिंदी बाइबल

8 फिर हम क्यों न कहें, “आओ हम बुराई करें कि भलाई उत्पन्‍न‍ हो,” जैसे कि कुछ लोगों द्वारा हम पर यह कहने का झूठा आरोप लगाया जाता है? उनका दोषी ठहराया जाना उचित है।

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सरल हिन्दी बाइबल

8 तब यह कहने में क्या नुकसान है—जैसा कि हमारे लिए निंदा से भरे शब्दों में यह दावा भी कहा जा रहा कि यह हमारा ही कहना है—कि “चलो बुराई करें कि इससे ही कुछ भला हो जाए?” उन पर घोषित दंड सही है.

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रोमियों 3:8
10 क्रॉस रेफरेंस  

किन्तु अहीकाम के पुत्र गदल्याह ने कारेह के पुत्र योहानान से कहा, “इश्माएल को न मारो। इश्माएल के बारे में जो तुम कह रहे हो, वह सत्य नहीं है।”


“और तुम भी धन्य हो क्योंकि जब लोग तुम्हारा अपमान करें, तुम्हें यातनाएँ दें, और मेरे लिये तुम्हारे विरोध में तरह तरह की झूठी बातें कहें, बस इसलिये कि तुम मेरे अनुयायी हो,


व्यवस्था का आगमन इसलिए हुआ कि अपराध बढ़ पायें। किन्तु जहाँ पाप बढ़ा, वहाँ परमेश्वर का अनुग्रह और भी अधिक बढ़ा।


तो फिर हम क्या कहें? क्या हम पाप ही करते रहें ताकि परमेश्वर का अनुग्रह बढ़ता रहे?


तो हम क्या करें? क्या हम पाप करें? क्योंकि हम व्यवस्था के अधीन नहीं, बल्कि परमेश्वर के अनुग्रह के अधीन जीते हैं। निश्चय ही नहीं।


तो फिर हम क्या कहें? क्या हम कहें कि व्यवस्था पाप है? निश्चय ही नहीं। जो भी हो, यदि व्यवस्था नहीं होती तो मैं पहचान ही नहीं पाता कि पाप क्या है? यदि व्यवस्था नहीं बताती, “जो अनुचित है उसकी चाहत मत करो” तो निश्चय ही मैं पहचान ही नहीं पाता कि अनुचित इच्छा क्या है।


इसलिए यदि उसके सेवक भी नेकी के सेवकों का सा रूप धर लें तो इसमें क्या बड़ी बात है? किन्तु अंत में उन्हें अपनी करनी के अनुसार फल तो मिलेगा ही।


हम आदर और निरादर के बीच अपमान और सम्मान में अपने को उपस्थित करते रहते हैं। हमें ठग समझा जाता है, यद्यपि हम सच्चे हैं।


क्योंकि हमारे समूह में कुछ लोग चोरी से आ घुसे हैं। इन लोगों के दण्ड के विषय में शास्त्रों ने बहुत पहले ही भविष्यवाणी कर दी थी। ये लोग परमेश्वर विहीन हैं। इन लोगों ने परमेश्वर के अनुग्रह को भोग-विलास का एक बहाना बना डाला है तथा ये हमारे प्रभु तथा एकमात्र स्वामी यीशु मसीह को नहीं मानते।


हमारे पर का पालन करें:

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