15 क्योंकि यदि परमेश्वर के द्वारा उनके नकार दिये जाने से जगत में परमेश्वर के साथ मेलपिलाप पैदा होता है तो फिर उनका अपनाया जाना क्या मरे हुओं में से जिलाया जाना नहीं होगा?
“हे दानिय्येल, परमेश्वर ने तेरी प्रजा और तेरी नगरी के लिए सत्तर सप्ताहों का समय निश्चित किया है। सत्तर सप्ताहों के समय का यह आदेश इसलिये दिया गया है कि बुरे कर्म करना छाड़ दिया जाये, पाप करना बन्द कर दिया जाये, सब लोगों को शुद्ध किया जाये, सदा—सदा बनी रहने वाली नेकी को लाया जाये, दर्शन और नबियों पर मुहर लगा दी जाये, और एक अत्यंत पवित्र स्थान को समर्पित किया जाये।
तो वह जो हर तरह का खाना खाता है, उसे उस व्यक्ति को हीन नहीं समझना चाहिए जो कुछ वस्तुएँ नहीं खाता। वैसे ही वह जो कुछ वस्तुएँ नहीं खाता है, उसे सब कुछ खाने वाले को बुरा नहीं कहना चाहिए। क्योंकि परमेश्वर ने उसे अपना लिया है।