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यूहन्ना 9:31 - पवित्र बाइबल

31 हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता बल्कि वह तो उनकी सुनता है जो समर्पित हैं और वही करते हैं जो परमेश्वर की इच्छा है।

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Hindi Holy Bible

31 हम जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनता परन्तु यदि कोई परमेश्वर का भक्त हो, और उस की इच्छा पर चलता है, तो वह उस की सुनता है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

31 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता। वह उन लोगों की सुनता है, जो उसके भक्‍त हैं और उसकी इच्‍छा पूरी करते हैं।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

31 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता, परन्तु यदि कोई परमेश्‍वर का भक्‍त हो और उसकी इच्छा पर चलता है, तो वह उसकी सुनता है।

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नवीन हिंदी बाइबल

31 हम जानते हैं कि परमेश्‍वर पापियों की नहीं सुनता, परंतु यदि कोई परमेश्‍वर का भक्‍त हो और उसकी इच्छा पर चलता हो, तो वह उसकी सुनता है।

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सरल हिन्दी बाइबल

31 हम सभी जानते हैं कि परमेश्वर पापियों की नहीं सुनते—वह उसकी सुनते हैं, जो परमेश्वर के भक्त है तथा उनकी इच्छा पूरी करते है.

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यूहन्ना 9:31
41 क्रॉस रेफरेंस  

घाटी के नगरों को परमेश्वर ने नष्ट कर दिया। जब परमेश्वर ने यह किया तब इब्राहीम ने जो कुछ माँगा था उसे उसने याद रखा। परमेश्वर ने लूत का जीवन बचाया लेकिन परमेश्वर ने उस नगर को नष्ट कर दिया जिसमें लूत रहता था।


इसलिए इब्राहीम को उसकी पत्नी लौटा दो। इब्राहीम एक नबी है। वह तुम्हारे लिए प्रार्थना करेगा और तुम जीवित रहोगे किन्तु यदि तुम सारा को नहीं लौटाओगे तो मैं शाप देता हूँ कि तुम मर जाओगे। तुम्हारा सारा परिवार तुम्हारे साथ मर जाएगा।”


“किन्तु बुरे लोग अभिमानी होते है, इसलिये यदि वे परमेश्वर की सहायता पाने को दुहाई दें तो उन्हें उत्तर नहीं मिलता है।


यह सच है कि परमेश्वर उनकी व्यर्थ की दुहाई को नहीं सुनेगा। सर्वशक्तिशाली परमेश्वर उन पर ध्यान नहीं देगा।


इसलिये अब एलीपज तुम सात सात बैल और सात भेड़ें लेकर मेरे दास अय्यूब के पास जाओ और अपने लिये होमबलि के रुप में उनकी भेंट चढ़ाओं। मेरा सेवक अय्यूब तुम्हारे लिए प्रार्थना करेगा। तब निश्चय ही मैं उसकी प्रार्थना का उत्तर दूँगा। फिर मैं तुम्हें वैसा दण्ड नहीं दूँगा जैसा दण्ड दिया जाना चाहिये था क्योंकि तुम बहुत मूर्ख थे। मेरे बारे मैं तुमने उचित बातें नहीं कहीं जबकि मेरे सेवक अय्यूब ने मेरे बारे में उचित बातें कहीं थीं।”


परमेश्वर उन लोगों को नष्ट करना चाहता था, किन्तु परमेश्वर के चुने दास मूसा ने उनको रोक दिया। परमेश्वर बहुत कुपित था किन्तु मूसा आड़े आया कि परमेश्वर उन लोगों का कहीं नाश न करे।


दिखा मुझे जो तू मुझसे करवाना चाहता है। तू मेरा परमेश्वर है।


यहोवा के भक्त जो उससे करवाना चाहते हैं, वह उन बातों को करता है। यहोवा अपने भक्तों की सुनता है। वह उनकी प्रार्थनाओ का उत्तर देता है और उनकी रक्षा करता है।


जब मेरे बैरियों ने सहायता को पुकारा, उन्हें सहायता देने आगे कोई नहीं आया। यहाँ तक कि उन्होंने यहोवा तक को पुकारा, किन्तु यहोवा से उनको उत्तर न मिला।


हे मेरे परमेश्वर, मैं वही करना चाहता हूँ जो तू चाहता है। मैंने मन में तेरी शिक्षओं को बसा लिया।


मूसा और हारुन परमेश्वर के याजक थे। शमूएल परमेश्वर का नाम लेकर प्रार्थना करने वाला था। उन्होंने यहोवा से विनती की और यहोवा ने उनको उसका उत्तर दिया।


यहोवा दुष्टों से दूर रहता है, अति दूर; किन्तु वह धर्मी की प्रार्थना सुनता है।


यदि किसी गरीब की, करुणा पुकार पर कोई मनुष्य निज कान बंद करता है, तो वह जब पुकारेगा उसकी पुकार भी नहीं सुनी जायेगी।


यदि व्यवस्था के विधान पर कोई कान नहीं देता तो उसको विनतियाँ भी घृणा के योग्य होगी।


“तुम लोग हाथ उठाकर मेरी प्रार्थना करोगे किन्तु मैं तुम्हारी ओर देखूँगा तक नहीं। तुम तोग अधिकाधिक प्रार्थना करोगे, किन्तु मैं तुम्हारी सुनने तक को मना कर दूँगा क्योंकि तुम्हारे हाथ खून से सने हैं।


तुम तब यहोवा को जब पुकारोगे, तो यहोवा तुम्हें उसका उत्तर देगा। जब तुम यहोवा को पुकारोगे तो वह कहेगा, “मैं यहाँ हूँ।” तुम्हें लोगों का दमन करना और लोगों को दु:ख देना छोड़ देना चाहिये। तुम्हें लोगों से किसी बातों के लिये कड़वे शब्द बोलना और उन पर लांछन लगाना छोड़ देना चाहिये।


अत: यहोवा कहता है: “मैं यहूदा के लोगों पर शीघ्र ही भयंकर विपत्ति ढाऊँगा। वे बचकर भाग नहीं पाएंगे और वे सहायता के लिये मुझे पुकारेंगे। किन्तु मैं उनकी एक न सुनूँगा।


यहूदा के लोग उपवास कर सकते हैं और मुझसे प्रार्थना कर सकते हैं। किन्तु मैं उनकी प्रार्थनायें नहीं सुनूँगा। यहाँ तक कि यदि ये लोग होमबलि और अन्न भेंट चढ़ायेंगे तो भी मैं उन लोगों को नहीं अपनाऊँगा। मैं यहूदा के लोगों को युद्ध में नष्ट करुँगा। मैं उनका भोजन छीन लूँगा और यहूदा के लोग भूखों मरेंगे और मैं उन्हें भयंकर बीमारियों से नष्ट करुँगा।


यहोवा ने मुझसे कहा, “यिर्मयाह, यदि मूसा और शमूएल भी यहूदा के लोगों के लिये प्रार्थना करने वाले होते, तो भी मैं इन लोगों के लिये अफसोस नहीं करता। यहूदा के लोगों को मुझसे दूर भेजो। उनसे जाने को कहो।


मैं उन पर अपना क्रोध प्रकट करूँगा। मैं उन पर कोई दया नहीं करूँगा। मैं उनके लिये दुःख का अनुभव नहीं करूँगा। वे मुझे जोर से पुकारेंगे, किन्तु मैं उनको सुनने से इन्कार कर दूँगा!”


तुम यहोवा से विनती करोगे किन्तु वह तुम्हें उत्तर नहीं देगा। नहीं, यहोवा अपना मुख तुमसे छुपायेगा। क्यों क्योंकि तुमने बुरे कर्म किये हैं।”


अत: सर्वशक्तिमान यहावा ने कहा, “मैं ने उन्हें पुकारा और उन्होंने उत्तर नहीं दिया। इसलिये अब यदि वे मुझे पुकारेंगे, तो मैं उत्तर नहीं दूँगा।


पर मैं जानती हूँ कि अब भी तू परमेश्वर से जो कुछ माँगेगा वह तुझे देगा।”


“तुमने मुझे नहीं चुना, बल्कि मैंने तुम्हें चुना है और नियत किया है कि तुम जाओ और सफल बनो। मैं चाहता हूँ कि तुम्हारी सफलता बनी रहे ताकि मेरे नाम में जो कुछ तुम चाहो, परम पिता तुम्हें दे।


यीशु ने उनसे कहा, “मेरा भोजन उसकी इच्छा को पूरा करना है जिसने मुझे भेजा है। और उस काम को पूरा करना है जो मुझे सौंपा गया है।


यदि मनुष्य वह करना चाहे, जो परम पिता की इच्छा है तो वह यह जान जायेगा कि जो उपदेश मैं देता हूँ वह उसका है या मैं अपनी ओर से दे रहा हूँ।


उत्तर देते हुए उस व्यक्ति ने उनसे कहा, “आश्चर्य है तुम नहीं जानते कि वह कहाँ से आया है? पर मुझे उसने आँखों की ज्योति दी है।


कभी सुना नहीं गया कि किसी ने किसी जन्म से अंधे व्यक्ति को आँखों की ज्योति दी हो।


तुम सब लौटे और यहोवा के सामने सहायता के लिए रोए चिल्लाए। किन्तु यहोवा ने तुम्हारी बात कुछ न सुनी। उसने तुम्हारी बात सुनने से इन्कार कर दिया।


तब फिर मैंने कहा था, ‘और पुस्तक में मेरे लिए यह भी लिखा है, मैं यहाँ हूँ। हे परमेश्वर, तेरी इच्छा पूरी करने को आया हूँ।’”


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