इस्राएल का पवित्र यहोवा, इस्राएल की रक्षा करता है और यहोवा कहता है, “मेरा दास विनम्र है। वह शासकों की सेवा करता है, और लोग उससे घृणा करते हैं। किन्तु राजा उसका दर्शन करेंगे और उसके सम्मान में खड़े होंगे। महान नेता भी उसके सामने झुकेंगे।” ऐसा घटित होगा क्योंकि इस्राएल का वह पवित्र यहोवा ऐसा चाहता है, और यहोवा के भरोसे रहा जा सकता है। वह वही है जिसने तुझको चुना।
उस से घृणा की गई थी और उसके मित्रों ने उसे छोड़ दिया था। वह एक ऐसा व्यक्ति था जो पीड़ा को जानता था। वह बीमारी को बहुत अच्छी तरह पहचानता था। लोग उसे इतना भी आदर नहीं देते थे कि उसे देख तो लें। हम तो उस पर ध्यान तक नहीं देते थे।
शिष्य को गुरु के बराबर होने में और दास को स्वामी के बराबर होने में ही संतोष करना चाहिये। जब वे घर के स्वामी को ही बैल्जा़बुल कहते हैं, तो उसके घर के दूसरे लोगों के साथ तो और भी बुरा व्यवहार करेंगे!
सामरी स्त्री ने उससे कहा, “तू यहूदी होकर भी मुझसे पीने के लिए जल क्यों माँग रहा है, मैं तो एक सामरी स्त्री हूँ!” (यहूदी तो सामरियों से कोई सम्बन्ध नहीं रखते।)
इस पर यहूदी नेताओं ने उससे कहा, “अब हम यह जान गये हैं कि तुम में कोई दुष्टात्मा समाया है। यहाँ तक कि इब्राहीम और नबी भी मर गये और तू कहता है यदि कोई मेरे उपदेश पर चले तो उसकी मौत कभी नहीं होगी।
यहाँ तक कि मसीह ने भी स्वयं को प्रसन्न नहीं किया था। बल्कि जैसा कि मसीह के बारे में शास्त्र कहता है: “उनका अपमान जिन्होंने तेरा अपमान किया है, मुझ पर आ पड़ा है।”