24 “किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरी एक न सुनी। उन्होंने मुझ पर ध्यान नहीं दिया। वे हठी रहे और उन्होंने उन कामों को किया जो वे करना चाहते थे। वे अच्छे न बने। वे पहले से भी अधिक बुरे बने, वे पीछे को गए, आगे नहीं बढ़े।
24 परन्तु उन्होंने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया, और न ही उस पर कान दिया। वे मनचाहे मार्ग पर चलते रहे, अपने हठीले हृदय के अनुरूप दुराचरण करते रहे। उनके कदम मेरी ओर आगे नहीं बढ़े, बल्कि पीछे हट गए।
24 फिर भी उन्होंने न तो मेरे आदेशों का पालन किया, न उनकी ओर ध्यान ही दिया. उन्होंने अपने बुरे दिलों की जिद्दी इच्छा का पालन किया. तब वे आगे बढ़ने की अपेक्षा में पीछे ही हटते चले गए.
तूने चेताया उन्हें। फिर से लौट आने को तेरे विधान में किन्तु वे थे बहुत अभिमानी। उन्होंने नकार दिया तेरे आदेश को। यदि चलता है कोई व्यक्ति नियमों पर तेरे तो सचमुच जीएगा वह किन्तु हमारे पूर्वजों ने तो तोड़ा था तेरे नियमों को। वे थे हठीले! मुख फेर, पीठ दी थी उन्होंने तुझे! तेरी सुनने से ही उन्होंने था मना किया।
मैं उन घमंडी और दुष्ट यहूदा के लोगों को नष्ट करूँगा। उन्होंने मेरे सन्देशों को अनसुना किया है। वे हठी हैं और वे केवल वह करते हैं जो वे करना चाहते हैं। वे अन्य देवताओं का अनुसरण और उनकी पूजा करते हैं। वे यहूदा के लोग इन सन के अधोवस्त्र की तरह हो जाएंगे। वे बरबाद होंगे और किसी काम के नहीं रहेंगे।
अधोवस्त्र व्यक्ति के कमर से कस कर लपेटा जाता है। उसी प्रकार मैंने पूरे इस्राएल और यहूदा के परिवारों को अपने चारों ओर लपेटा।” यह सन्देश यहोवा के यहाँ से है। “मैंने वैसा इसलिये किया कि वे लोग मेरे लोग होंगे। तब मेरे लोग मुझे यश, प्रशंसा और प्रतिष्ठा प्रदान करेंगे। किन्तु मेरे लोगों ने मेरी एक न सुनी।”
यरूशलेम, तुमने मुझे छोड़ा।” यह सन्देश यहोवा का है। “तुमने मुझे बार बार त्यागा। अत: मैं दण्ड दूँगा और तुझे नष्ट करुँगा मैं तुम पर दया करते हुए थक गया हूँ।
किन्तु तुम लोगों ने अपने पूर्वजों से भी अधिक बुरे पाप किये हैं। तुम लोग बहुत हठी हो और तुम केवल वही करते हो जिसे तुम करना चाहते हो। तुम मेरी आज्ञा का पालन नहीं कर रहे हो।
किन्तु तुम्हारे पूर्वजों ने मेरे इस आदेश का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरी ओर ध्यान नहीं दिया। तुम्हारे पूर्वज बहुत हठी थे। मैंने उन्हें दण्ड दिया किन्तु इसका कोई अच्छा फल नहीं निकला। उन्होंने मेरी एक न सुनी।
किन्तु मैं यह देख सकता हूँ कि मेरी आज्ञा का पालन न करके वह राष्ट्र बुरा काम कर रहा है। तब मैं उस अच्छाई के बारे में फिर सोचूँगा जिसे देने की योजना मैंने उस राष्ट्र के लिये बना रखी है।
किन्तु यहूदा के लोग उत्तर देंगे, ‘एसी कोशिश करने से कुछ नहीं होगा। हम वही करते रहेंगे जो हम करना चाहते हैं। हम लोगों में हर एक वही करेगा जो हठी और बुरा हृदय करना चाहता है।’”
वे लोग लकड़ी के टुकड़ो से बातें करते हैं, वे कहते हैं, ‘तुम मेरे पिता हो।’ वे लोग चट्टान से बात करते हैं, वे कहते हैं, ‘तुमने मुझे जन्म दिया है।’ वे सभी लोग लज्जित होंगे। वे लोग मेरी ओर ध्यान नहीं देते। उन्होंने मुझसे पीठ फेर ली है। किन्तु जब यहूदा के लोगों पर विपत्ति आती है तब वे मुझसे कहते हैं, ‘आ और हमें बचा!’
“हे यहूदा, तुमने अपने को सुरक्षित समझा, किन्तु मैंने तुम्हें चेतावनी दी। मैंने तुम्हें चेतावनी दी, परन्तु तुमने सुनने से इन्कार किया तुमने यह तब से किया जब तुम युवती थी और यहूदा जब से तुम युवती थी, तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।
कुछ लोग यहोवा के सच्चे सन्देश से घृणा करते हैं। अत: वे नबी उन लोगों से भिन्न भिन्न कहते हैं। वे कहते हैं, ‘तुम शान्ति से रहोगे। कुछ लोग बहुत हठी हैं। वे वही करते हैं जो वे करना चाहते हैं।’ अत: वे नबी कहते हैं, ‘तुम्हारा कुछ भी बुरा नहीं होगा।’
तुम्हें केवल इतना करना होगा कि तुम अपने पापों को पहचानो। तुम यहोवा अपने परमेश्वर के विरुद्ध गए, यह तुम्हारा पाप है। तुमने अन्य राष्ट्रों के लोगों की देव मूर्तियों को अपना प्रेम दिया। तुमने देव मूर्तियों की पूजा हर एक हरे पेड़ के नीचे की। तुमने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।” यह सन्देश यहोवा का था।
उस समय, यरूशलेम नगर ‘यहोवा का सिंहासन’ कहा जाएगा। सभी राष्ट्र एक साथ यरूशलेम नगर में यहोवा के नाम को सम्मान देने आएंगे। वे अपने हठी और बुरे हृदय के अनुसार अब कभी नहीं चलेंगे।
इस्राएल के लोग इस धरती में आये और उन्होंने इसे अपना बना लिया। किन्तु उन लोगों ने तेरी आज्ञा नहीं मानी। वे तेरे उपदेशों के अनुसार न चले। उन्होंने वह नहीं किया जिसके लिये तूने आदेश दिया। अत: तूने इस्राएल के लोगों पर वे भयंकर विपत्तियाँ ढाई।
“उन लोगों को सहायता के लिये मेरे पास आना चाहिये था। लेकिन उन्होंने मुझसे अपना मुँह मोड़ा। मैंने उन लोगों को बार—बार शिक्षा देनी चाही किन्तु उन्होंने मेरी एक न सुनी। मैंने उन्हें सुधारना चाहा किन्तु उन्होंने अनसुनी की।
इस्राएल और यहूदा के लोगों, मैंने अपने सेवक नबियों को तुम्हारे पास भेजा। मैंने उन्हें तुम्हारे पास बार बार भेजा। उन नबियों ने तुमसे कहा, “इस्राएल और यहूदा के लोगों, तुम सब को बुरा करना छोड़ देना चाहिये। तुम्हें अच्छा होना चाहिये। अन्य देवताओं का अनुसरण न करो। उन्हें न पूजो, न ही उनकी सेवा करो। यदि तुम मेरी आज्ञा का पालन करोगे तो तुम उस देश में रहोगे जिसे मैंने तुम्हें और तुम्हारे पूर्वजों को दिया है।” किन्तु तुम लोगों ने मेरे सन्देश पर ध्यान नहीं दिया।
यहोवा यह सब कहता है: “चौराहों पर खड़े होओ और देखो। पता करो कि पुरानी सड़क कहाँ थी। पता करो कि अच्छी सड़क कहाँ है, और उस सड़क पर चलो। यदि तुम ऐसा करोगे, तुम्हें आराम मिलेगा! किन्तु तुम लोगों ने कहा है, ‘हम अच्छी सड़क पर नहीं चलेंगे!’
यहूदा के लोग गलत राह चले गए हैं। किन्तु यरूशलेम के वे लोग गलत राह चलते ही क्यों जा रहे हैं वे अपने झूठ में विश्वास रखते हैं। वे मुड़ने तथा लौटने से इन्कार करते हैं।
“‘किन्तु इस्राएल का परिवार मरूभूमि में मेरे विरुद्ध उठ खड़ा हुआ। उन्होंने मेरे नियमों का अनुसरण नहीं किया। उन्होंने मेरे नियमों का पालन करने से इन्कार किया और वे नियम अच्छे हैं। यदि कोई व्यक्ति उनका पालन करेगा तो वह जीवित रहेगा। उन्होंने मेरे विशेष विश्राम के दिनों के प्रति ऐसा व्यवहार किया मानो उनका कोई महत्व न हो। वे उन दिनों में अनेकों बार काम करते रहे। मैंने मरूभूमि में उन्हें नष्ट करने का निश्चय किया अर्थात् अपने क्रोध की पूरी शक्ति का अनुभव उन्हें कराना चाहा।
“‘इस्राएल के लोगों ने मेरे नियमों का पालन करने से इन्कार किया। उन्होंने मेरे नियमों का अनुसरण नहीं किया। उन्होंने मेरे विश्राम के दिनों को ऐसे लिया मानो वे महत्व नहीं रखते। उन्होंने ये सभी काम इसलिये किये कि उनका हृदय उन गन्दी देवमूर्तियों का हो चुका था।
“‘किन्तु वे बच्चे मेरे विरुद्ध हो गये। उन्होंने मेरे नियमों का पालन नहीं किया। उन्होंने मेरे आदेश नहीं माने। उन्होंने वे काम नहीं किये जो मैंने उनसे कहा वे अच्छे नियम थे। यदि कोई उनका पालन करेगा तो वह जीवित रहेगा। उन्होंने मेरे विश्राम के दिनों को ऐसे लिया मानों वे महत्व न रखते हों। इसलिये मैंने उन्हें मरूभूमि में पूरी तरह नष्ट करने का निश्चय किया जिससे वे मेरे क्रोध की पूरी शक्ति का अनुभव कर सकें।
किन्तु वे मेरे विरुद्ध हो गये और उन्होंने मेरी एक न सुनी। उन्होंने अपनी भयंकर देवमूर्तियों को नहीं फेंका। उन्होंने अपनी गन्दी देवमूर्तियों को मिस्र में नहीं छोड़ा। इसलिये मैंने (परमेश्वर ने) उन्हें मिस्र में नष्ट करने का निर्णय किया अर्थात् अपने क्रोध की पूरी शक्ति का अनुभव कराना चाहा।
हम नबियों की बात नहीं सुनते। नबी तो तेरे सेवक हैं। नबियों ने तेरे बारे में बताया। उन्होंने हमारे राजाओं, हमारे मुखियाओं और हमारे पूर्वजों को बताया था। उन्होंने इस्राल के सभी लोगों को भी बताया था। किन्तु हमने उन नबियों की नही सुनी!
उसे अश्शूर के महान राजा को उपहार देने के लिये उठा ले जाया गया। एप्रैम की लज्जापूर्ण मूर्ति को वह ले लेगा। इस्राएल को अपनी मूर्तियों पर लज्जित होना होगा।
इस्राएल को यहोवा ने बहुत सी वस्तुएँ दी थीं। यहोवा एक ऐसे गड़ेरिये के समान है जो अपनी भेड़ों को घास से भरपूर एक बड़े से मैदान की ओर ले जाता है। किन्तु इस्राएल जिद्दी है। इस्राएल उस जवान बछड़े के समान है जो बार—बार, इधर—उधर भागता है।
ऐसा क्यों होगा? क्योंकि तुम ओम्री के नियमों पर चलते हो। तुम उन बुरी बातों को करते हो जिनको आहाब का परिवार करता था। तुम उनकी शिक्षाओं पर चला करते हो इसलिये मैं तुम्हें नष्ट भ्रष्ट कर दूँगा। तुम्हारे नगर के लोग हँसी के पात्र बनेंगे। तुम्हें अन्य राज्यों की घृणा झेलनी होगी।
किन्तु उनलोगों ने अन सुनी की। उन्होंने उसे करने से इन्कार किया जिसे वे चाहते थे। उन्होंने अपने कान बन्द कर लिये, जिससे वे, परमेश्वर जो कहे, उसे न सुन सकें।
“कोई व्यक्ति इन अभिशापों को सुन सकता है और अपने को संतोष देता हुआ कह सकता है, ‘मैं जो चाहता हूँ करता रहूँगा। मेरा कुछ भी बुरा नहीं होगा।’ वह व्यक्ति अपने ऊपर ही आपत्ति नहीं बुलाएगा अपितु वह सबके ऊपर अच्छे लोगों पर भी बुलाएगा।