यिर्मयाह 52:6 - पवित्र बाइबल6 उस वर्ष के चौथे महीने के नौवें दिन भुखमरी की हालत बहुत खराब थी। नगर में खाने के लिये कुछ भी भोजन नहीं रह गया था। अध्याय देखेंHindi Holy Bible6 चौथे महीने के नौवें दिन से नगर में महंगी यहां तक बढ़ गई, कि लोगों के लिये कुछ रोटी न रही। अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)6 नगर में भयंकर अकाल पड़ गया। यहूदा प्रदेश में लोगों के पास खाने को अन्न नहीं रहा। हाहाकार मच गया। अत: चौथे महीने की नौवीं तारीख को अध्याय देखेंपवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)6 चौथे महीने के नौवें दिन से नगर में महँगी यहाँ तक बढ़ गई, कि लोगों के लिये कुछ रोटी न रही। अध्याय देखेंसरल हिन्दी बाइबल6 चौथे महीने के नवें दिन से नगर में अकाल ऐसा भयंकर हो गया कि नागरिकों के लिए कुछ भी भोजन न बचा. अध्याय देखेंइंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 20196 चौथे महीने के नौवें दिन से नगर में अकाल यहाँ तक बढ़ गई, कि लोगों के लिये कुछ रोटी न रही। अध्याय देखें |
वे लोग तुमसे पूछ सकते हैं, ‘हम लोग कहाँ जाएंगे’ तुम उनसे यह कहो, यहोवा जो कहता है, वह यह है: “मैंने कुछ लोगों को मरने के लिये निश्चित किया है। वे लोग मरेंगे। मैंने कुछ लोगों को तलवार के घाट उतारना निश्चित किया है, वे लोग तलवार के घाट उतारे जाएंगे। मैंने कुछ को भूख से मरने के लिये निश्चित किया है। वे लोग भूख से मरेंगे। मैंने कुछ लोगों का बन्दी होना और विदेश ले जाया जाना निश्चित किया है। वे लोग उन विदेशों में बन्दी रहेंगे।
कोई भी व्यक्ति जो यरूशलेम में ठहरेगा, मरेगा। वह व्यक्ति तलवार, भूख या भयंकर बीमारी से मरेगा किन्तु जो व्यक्ति यरूशलेम के बाहर जायेगा और बाबुल की सेना को आत्म समर्पण करेगा, जीवित रहेगा। उस सेना ने नगर को घेर लिया है। अत: कोई व्यक्ति नगर में भोजन नहीं ला सकता। किन्तु जो कोई नगर को छोड़ देगा, वह अपने जीवन को बचा लेगा।
अत: राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह के लिये आँगन में रक्षकों के संरक्षण में रहने का आदेश दिया और उसने यह आदेश दिया कि यिर्मयाह को सड़क पर रोटी बनाने वालों से रोटियाँ दी जानीं चाहिये। यिर्मयाह को तब तक रोटी दी जाती रही जब तक नगर में रोटी समाप्त नहीं हुई। इस प्रकार यिर्मयाह आँगन में रक्षकों के संरक्षण में रहा।
सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है, “शोक मनाने और उपवास के विशेष दिन चौथे महीने, पाँचवें महीने, सातवें महीने और दसवें महीने में हैं। वे शोक के दिन प्रसन्नता के दिन में बदल जाने चाहिये। वे अच्छे और प्रसन्ननता के दिन में बदल जाने चाहिये। वो अच्छे और प्रसन्ननता के पवित्र दिन होंगे और तम्हें सत्य और शान्ति से प्रेम करना चाहिये!”