25 राजा के विशेष रक्षकों का अधिनायक लड़ने वाले व्यक्तियों के अधीक्षक को भी ले गया। उसने राजा के सात सलाहकारों को भी बन्दी बनाया। वे लोग उस समय तक यरूशलेम में थे। उसने उस शास्त्री को भी लिया जो व्यक्तियों को सेना में रखने का अधिकारी था और उसने साठ साधारण व्यक्तियों को लिया जो तब तक नगर में थे।
25 और नगर में से उसने एक खोजा पकड़ लिया, जो योद्धाओं के ऊपर ठहरा था; और जो पुरुष राजा के सम्मुख रहा करते थे, उन में से सात जन जो नगर में मिले; और सेनापति का मुन्शी जो साधारण लोगों को सेना में भरती करता था; और साधारण लोगों में से साठ पुरुष जो नगर में मिले,
25 उसने नगर में एक सेनानायक को भी पकड़ा। उस समय नगर में राजा की सलाहकार समिति के सात सदस्य भी थे। उसने उनको भी पकड़ लिया। वहीं सेना में भरती करनेवाले सेनापति का सचिव भी था। वह भी पकड़ा गया। इनके अतिरिक्त जनता के साठ प्रतिष्ठित व्यक्ति भी बन्दी बनाए गए, जो उस समय नगर में उपस्थित थे।
25 और नगर में से उस ने एक खोजा पकड़ लिया, जो योद्धाओं के ऊपर ठहरा था; और जो पुरुष राजा के सम्मुख रहा करते थे, उनमें से सात जन जो नगर में मिले; और सेनापति का मुन्शी जो साधारण लोगों को सेना में भरती करता था; और साधारण लोगों में से साठ पुरुष जो नगर में मिले,
25 नगर में से सैनिकों के पर्यवेक्षक अधिकारी तथा राजा के सात परामर्शकों को, जो वहीं नगर में थे, तथा सेना के आदेशक के लेखापाल को, जो देश के लोगों को सेना में तैयार करता था तथा देश के साठ व्यक्तियों को, जो उस समय नगर में पाए गए थे, अपने साथ बंदी बनाकर ले गया.
25 और नगर में से उसने एक खोजा पकड़ लिया, जो योद्धाओं के ऊपर ठहरा था; और जो पुरुष राजा के सम्मुख रहा करते थे, उनमें से सात जन जो नगर में मिले; और सेनापति का मुंशी जो साधारण लोगों को सेना में भरती करता था; और साधारण लोगों में से साठ पुरुष जो नगर में मिले,
नगर में नबूजरदान ने एक अधिकारी को लिया। वह सेना का सेनापति था। नबूजरदान ने राजा के पाँच सलाहकारों को भी लिया जो नगर में पाए गए और उसने सेनापति के सचिव को लिया। सेनापति का सचिव वह व्यक्ति था जो साधारण लोगों की गणना करता था और उनमें से कुछ को सैनिक के रूप में चुनता था। नबूजरदान ने साठ अन्य लोगों को भी लिया जो नगर में पाए गए।
उस समय बारुक ने उस पत्रक को पढ़ा जिसमें यिर्मयाह के कथन थे। उसने पत्रक को यहोवा के मन्दिर में पढ़ा। बारुक ने पत्रक को उन सभी लोगों के सामने पढ़ा जो यहोवा के मन्दिर में थे। बारुक उस समय ऊपरी आँगन में यमरिया के कमरे में था। वह पत्रक को पढ़ रहा था। वह कमरा मन्दिर के नये द्वार के पास स्थित था। यमरिया शापान का पुत्र था। यमरिया मन्दिर में एक शास्त्री था।
“सो देखो, मेरे इन मासूम अनुयायियों में से किसी को भी तुच्छ मत समझना। मैं तुम्हें बताता हूँ कि उनके रक्षक स्वर्गदूतों की पहुँच स्वर्ग में मेरे परम पिता के पास लगातार रहती है।