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यिर्मयाह 48:29 - पवित्र बाइबल

29 “हम मोआब के गर्व को सुन चुके हैं, वह बहुत घमण्डी था। उसने समझा था कि वह बहुत बड़ा है। वह सदा अपने मुँह मियाँ मिटठू बनता रहा। वह अत्याधिक घमण्डी था।”

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Hindi Holy Bible

29 हम ने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्ध है।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

29 हमने मोआब के विषय में सुना है कि वह बहुत घमण्‍डी है, वह बढ़-बढ़कर बातें करता है; वह अभिमान करता है, वह धृष्‍ट वचन बोलता है। उसके हृदय में अहंकार भरा है।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

29 हम ने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्ध है।

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सरल हिन्दी बाइबल

29 “हमने मोआब के अहंकार— उसकी उद्दंडता, उसके दर्प, उसके गर्व तथा उसके मन के विषय में सुन लिया है, अत्यंत उग्र है उसका अहंकार.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

29 हमने मोआब के गर्व के विषय में सुना है कि वह अत्यन्त अभिमानी है; उसका गर्व, अभिमान और अहंकार, और उसका मन फूलना प्रसिद्ध है।

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यिर्मयाह 48:29
13 क्रॉस रेफरेंस  

हमने सुना है कि मोआब के लोग बहुत अभिमानी और गर्वीले हैं। ये लोग हिंसक हैं और बड़ा बोले भी। इनका बड़ा बोल सच्चा नहीं है।


परमेश्वर महान है, किन्तु वह दीन जन का ध्यान रखता है। परमेश्वर को अहंकारी लोगों के कामों का पता है किन्तु वह उनसे दूर रहता है।


किन्तु परमेश्वर ने हम पर अत्यधिक अनुग्रह दर्शाया है, इसलिए शास्त्र में कहा गया है, “परमेश्वर अभिमानियों का विरोधी है, जबकि दीन जनों पर अपनी अनुग्रह दर्शाता है।”


क्योंकि हर कोई जो अपने आपको उठायेगा, उसे नीचा किया जायेगा और जो अपने आपको नीचा बनाएगा, उसे उठाया जायेगा।”


और देखो अब मैं, नबूकदनेस्सर स्वर्ग के राजा की स्तुति करता हूँ तथा उसे आदर और महिमा देता हूँ। वह जो कुछ करता है, ठीक करता है। वह सदा न्यायपूर्ण है। उसमें अहंकारी लोगों को विनम्र बना देने की क्षमता है!


ऐसे भी होते हैं जिनकी आँखें सदा तनी ही रहती, और जिनकी आँखों में घृणा भरी रहती है।


पतन से पहले मन अहंकारी बन जाता, किन्तु सम्मान से पूर्व विनम्रता आती है।


यहोवा का डरना, पाप से घृणा करना है। गर्व और अहंकार, कुटिल व्यवहार और पतनोन्मुख बातों से मैं घृणा करती हूँ।


ऐसे मनुष्य अहंकारी होता, जो निज को औरों से श्रेष्ठ समझता है, उस का नाम ही “अभिमानी” होता है। अपने ही कर्मो से वह दिखा देता है कि वह दुष्ट होता है।


परमेशवर कहता है, “मैं इस दुनिया पर बुरी—बुरी बातें घटित करुँगा। मैं दुष्टों को उनकी दुष्टता का दण्ड दूँगा। मैं अभिमानियों के अभिमान को मिटा दूँगा। ऐसे लोग जो दूसरे के प्रति नीच हैं, मैं उनके बड़े बोल को समाप्त कर दूँगा।


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