15 यहोशुअ ने उन्हें अभयदान दे दिया। उसने उनके साथ सन्धि स्थापित कर ली कि वे जीवित रह सकेंगे। इस्राएली मंडली के नेताओं ने शपथ खाकर सन्धि का अनुमोदन कर दिया।
(गिबोनी इस्राएली नहीं थे। वे ऐसे एमोरियों के समूह थे जो अभी तक जीवित छोड़ दिये गये थे। इस्राएलियों ने प्रतिज्ञा की थी कि वे गिबोनी पर चोट नहीं करेंगे। किन्तु शाऊल को इस्राएल और यहूदा के प्रति गहरा लगाव था। इसलिये उसने गिबोनियों को मारना चाहा।) राजा दाऊद ने गिबोनी को एक साथ इकट्ठा किया। उसने उनसे बातें कीं।
इस समय अदोनीसेदेक यरूशलेम का राजा था। इस राजा ने सुना कि यहोशू ने ऐ को जीता है और इसे पूरी तरह नष्ट कर दिया है। राजा को यह पता चला कि यहोशू ने यरीहो और उसके राजा के साथ भी यही किया है। राजा को यह भी जानकारी मिली कि गिबोन ने इस्राएल के साथ, शान्ति—सन्धि कर ली है और वे लोग यरूशलेम के बहुत निकट रहते थे।