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यहोशू 7:6 - पवित्र बाइबल

6 जब यहोशू ने इसके बारे में सुना तो उसने अपने वस्त्र फाड़ डाले। वह पवित्र सन्दूक के सामने जमीन पर लेट गया। यहोशू वहाँ शाम तक पड़ा रहा। इस्राएल के नेताओं ने भी यही किया। उन्होंने अपने सिरों पर धूलि डाली।

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Hindi Holy Bible

6 तब यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के साम्हने मुंह के बल गिरकर पृथ्वी पर सांझ तक पड़े रहे; और उन्होंने अपने अपने सिर पर धूल डाली।

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

6 यहोशुअ ने पराजय का शोक प्रकट करने के लिए अपने वस्‍त्र फाड़े। वह सन्‍ध्‍या होने तक प्रभु की मंजूषा के सम्‍मुख भूमि पर औंधे मुंह पड़ा रहा। ऐसा ही इस्राएलियों के धर्मवृद्धों ने भी किया। उन्‍होंने दु:ख प्रकट करने के लिए अपने सिर पर धूल डाली।

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

6 तब यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के सामने मुँह के बल गिरकर पृथ्वी पर साँझ तक पड़े रहे; और उन्होंने अपने अपने सिर पर धूल डाली।

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सरल हिन्दी बाइबल

6 इस पर यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़ डाले. वह याहवेह की संदूक के पास जाकर भूमि पर मुख के बल गिरे और शाम तक वहीं पड़े रहे. उनके साथ इस्राएल के बुजुर्ग भी थे. उन्होंने भी अपने सिर पर धूल डाल ली.

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

6 तब यहोशू ने अपने वस्त्र फाड़े, और वह और इस्राएली वृद्ध लोग यहोवा के सन्दूक के सामने मुँह के बल गिरकर भूमि पर साँझ तक पड़े रहे; और उन्होंने अपने-अपने सिर पर धूल डाली।

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यहोशू 7:6
30 क्रॉस रेफरेंस  

इस पूरे समय रूबेन भाईयों के साथ वहाँ नहीं था। वह नहीं जानता था कि उन्होंने यूसुफ को बेच दिया था। जब रूबेन कुएँ पर लौटकर आया तो उसने देखा कि यूसुफ वहाँ नहीं है। रूबेन बहुत अधिक दुःखी हुआ। उसने अपने कपड़ों को फाड़ा।


याकूब अपने पुत्र के लिए इतना दुःखी हुआ कि उसने अपने कपड़े फाड़ डाले। तब याकूब ने विशेष वस्त्र पहने जो उसके शोक के प्रतीक थे। याकूब लम्बे समय तक अपने पुत्र के शोक में पड़ा रहा।


सिय्योन के बुजुर्ग अब धरती पर बैठते हैं। वे धरती पर बैठते हैं और चुप रहते है। अपने माथों पर धूल मलते हैं और शोक वस्त्र पहनते हैं। यरूशलेम की युवतियाँ दु:ख में अपना माथा धरती पर नवाती हैं।


राजा दाऊद ने अपने वस्त्र फाड़ डाले और धरती पर लेट गया। दाऊद के पास खड़े उसके सभी सेवकों ने भी अपने वस्त्र फाड़ डाले।


उस प्रदेश की छानबीन करने वाले लोगों में से दो व्यक्ति बहुत परेशान हो गए। (वे दोनो नून का पुत्र यहोशू और यपुन्ने का पुत्र कालेब थे।)


फिर उन्होंने अपने सिर पर धूल डालते हुए रोते-बिलखते कहा, ‘महानगरी! हाय यह कितना भयावह! हाय यह कितना भयानक। जिनके पास जलयान थे, सिंधु जल पर सम्पत्तिशाली बन गए, क्योंकि उसके पास सम्पत्ति थी पर अब बस घड़ी भर में नष्ट हो गयी।


किन्तु जब प्रेरित बरनाबास और पौलुस ने यह सुना तो उन्होंने अपने कपड़े फाड़ डाले और वे ऊँचे स्वर में यह कहते हुए भीड़ में घुस गये,


किन्तु इन तीनों मित्रों ने जब दूर से अय्यूब को देखा तो वे निश्चय नहीं कर पाये कि वह अय्यूब है क्योंकि वह एकदम अलग दिखाई दे रहा था। वे दहाड़ मार कर रोने लगे। उन्होंने अपने कपड़े फाड़ डाले। अपने दु:ख और अपनी बेचैनी को दर्शाने के लिये उन्होंने हवा में धूल उड़ाते हुए अपने अपने सिरों पर मिट्टी डाली।


अय्यूब ने जब यह सुना तो उसने अपने कपड़े फाड़ डाले और यह दर्शाने के लिये कि वह दु:खी और व्याकुल है, उसने अपना सिर मुँड़ा लिया। अय्यूब ने तब धरती पर गिरकर परमेश्वर को दण्डवत किया।


मोर्दकै ने, जो कुछ हो रहा था, उसके बारे में सब कुछ सुना। जब उसने यहूदियों के विरुद्ध राजा की आज्ञा सुनी तो अपने कपड़े फाड़ लिये। उसने शोक वस्त्र धारण कर लिये और अपने सिर पर राख डाल ली। वह ऊँचे स्वर में विलाप करते हुए नगर में निकल पड़ा।


दाऊद ने बच्चे के लिये परमेश्वर से प्रार्थना की। दाऊद ने खाना—पीना बन्द कर दिया। वह अपने घर में गया और उसमें ठहरा रहा। वह रातभर भूमि पर लेटा रहा।


वे बहुत दुःखी थे और रोये। उन्होंने शाम तक कुछ खाया नहीं। वे रोये क्योंकि शाऊल और उसका पुत्र योनातन मर गए थे। दाऊद और उसके लोग यहोवा से उन लोगों के लिये रोये जो मर गये थे, और वे इस्राएल के लिये रोये। वे इसलिये रोये कि शाऊल, उसका पुत्र योनातान और बहुत से इस्राएली युद्ध में मारे गये थे।


उस दिन बिन्यामीन परिवार का एक व्यक्ति युद्ध से भागा। उसने अपने शोक को प्रकट करने के लिये अपने वस्त्रों को फाड़ डाला और अपने सिर पर धूलि डाल ली।


इस्राएल के लोग बेतेल नगर को गए। इस नगर में वे परमेश्वर के सामने शाम तक बैठे रहे। वे बैठे हुए रोते रहे।


तब इस्राएल के सभी लोग बेतेल नगर तक गए। उस स्थान पर वे बैठे और यहोवा को रोकर पुकारा। उन्होंने पूरे दिन शाम तक कुछ नहीं खाया। वे होमबलि और मेलबलि भी यहोवा के लिये लाए।


“उन लोगों से दूर हट जाओ जिससे मैं उन्हें अब नष्ट कर दूँ।” मूसा और हारुन धरती पर गिर पड़े।


किन्तु मूसा और हारून भूमि पर गिर पड़े और चिल्लाए, “हे परमेश्वर, तू जानता है कि लोग क्या सोच रहे हैं। कृपा करके इस पूरे समूह पर क्रोधित न हो। एक ही व्यक्ति ने सचमुच पाप किया है।”


तब यहोशू ने कहा, “यहोवा, मेरे स्वामी! तू हमारे लोगों को यरदन नदी के पार लाया। किन्तु तू हमें इतनी दूर क्यों लाया और तब एमोरी लोगों द्वारा हमें क्यों नष्ट होने देता है? हम लोग यरदन नदी के दूसरे तट पर ठहरे रहते और सन्तुष्ट रहते।


तब दाऊद ने अपने वस्त्रों को यह प्रकट करने के लिये फाड़ डाला कि वह बहुत शोक में डूबा है। दाऊद के साथ सभी लोगों ने यही किया।


जब राजा ने व्यवस्था की पुस्तक के शब्दों को सुना, उसने अपना दुःख और परेशानी प्रकट करने के लिये अपने वस्त्रों को फाड़ डाला।


जब राजा योशिय्याह ने नियमों को पढ़े जाते हुए सुना, उसने अपने वस्त्र फाड़ लिये।


अत: अब मैं स्वयं अपने लिये लज्जित हूँ। यहोवा मुझे खेद है धूल और राख में बैठ कर मैं अपने हृदय और जीवन को बदलने की प्रतिज्ञा करता हूँ।”


जब यिप्तह ने देखा कि पहली चीज़ उसकी पुत्री ही थी, जो उसके घर से बाहर आई तब उसने दुःख को अभिव्यक्त करने के लिये अपने वस्त्र फाड़ डाले और यह कहा, “आह! मेरी बेटी तूने मुझे बरबाद कर दिया। तूने मुझे बहुत दुःखी कर दिया! मैंने यहोवा को वचन दिया था, मैं उसे वापस नहीं ले सकता।”


तीसरे दिन एक युवक सिकलग आया। वह व्यक्ति उस डेरे से आया जहाँ शाऊल था। उस व्यक्ति के वस्त्र फटे थे और उसके सिर पर धूलि थी। वह व्यक्ति दाऊद के पास आया। उसने दाऊद के सामने मूहँ के बल गिरकर दण्डवत् किया।


तामार ने राख ली और अपने सिर पर डाल लिया। उसने अपने बहुरंगे लबादे को फाड़ डाला। उसने अपना हाथ अपने सिर पर रख लिया और वह जोर से रोने लगी।


एज्रा प्रार्थना कर रहा था और पापों को स्वीकार कर रहा था। वह परमेश्वर के मन्दिर के सामने रो रहा था और झुक कर प्रणाम कर रहा था। जिस समय एज्रा यह कर रहा था उस समय इस्राएल के लोगों का एक बड़ा समूह स्त्री, पुरूष और बच्चे उसके चारों ओर इकट्ठे हो गए। वे लोग भी जोर—जोर से रो रहे थे।


फिर उसी महीने की चौबीसवीं तारीख को एक दिन के उपवास के लिये इस्राएल के लोग परस्पर एकत्र हुए। उन्होंने यह दिखने के लिये कि वे दु:खी और बेचैन हैं, उन्होंने शोक वस्त्र धारण किये, अपने अपने सिरों पर राख डाली।


हर किसी प्रांत में जहाँ कहीं भी राजा का यह आदेश पहुँचा, यहूदियों में रोना—धोना और शोक फैल गया। उन्होंने खाना छोड़ दिया और वे ऊँचे स्वर में विलाप करने लगे। बहुत से यहूदी शोक वस्त्रों को धारण किये हुए और अपने सिरों पर राख डाले हुए धरती पर पड़े थे।


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