7 तब उत्तरी सीमा आकोर की घाटी से होकर दबीर तक गई थी। वहाँ सीमा उत्तर को मुड़ती थी और गिलगाल तक जाती थी। गिलगाल उस सड़क के पार है जो अदुम्मीम पर्वत से होकर जाती है। अर्थात् स्रोत के दक्षिण की ओर। यह सीमा एनशेमेश जलाशयों के साथ लगातार गई थी। एन रोगेल पर सीमा समाप्त थी।
7 और वही सिवाना आकोर नाम तराई से दबीर की ओर चढ़ गया, और उत्तर होते हुए गिलगाल की ओर झुका जो नाले की दक्खिन ओर की अदुम्मीम की चढ़ाई के साम्हने है; वहां से वह एनशेमेश नाम सोते के पास पहुंचकर एनरोगेल पर निकला;
7 सीमा-रेखा अकोर की घाटी से दबीर पहुँचती और उत्तरी दिशा में गिलगाल की ओर मुड़ती थी, जो घाटी की दक्षिणी दिशा में स्थित अदुम्मीम के चढ़ाव के सम्मुख है। वहाँ से सीमा-रेखा एन-शेमश के जलाशय पर पहुँचती, और आगे बढ़कर एन-रोगेल के जलाशय पर समाप्त हो जाती थी।
7 और वही सीमा आकोर नामक तराई से दबीर की ओर चढ़ गयी, और उत्तर होते हुए गिलगाल की ओर झुकी जो तराई के दक्षिणी ओर की अदुम्मीम की चढ़ाई के सामने है; वहाँ से वह एनशेमेश नामक सोते के पास पहुँचकर एनरोगेल पर निकली;
7 सीमा फिर आकोर की घाटी से दबीर तक बढ़ी, और उत्तर में गिलगाल की ओर मुड़ गई, जो अदुम्मीम की चढ़ाई के पास, घाटी के दक्षिण में है. यह सीमा आगे बढ़ते हुए एन-शेमेश के सीमा तक पहुंचकर एन-रोगेल पर खत्म हो गई.
7 और वही सीमा आकोर नामक तराई से दबीर की ओर चढ़ गया, और उत्तर होते हुए गिलगाल की ओर झुकी जो तराई के दक्षिणी ओर की अदुम्मीम की चढ़ाई के सामने है; वहाँ से वह एनशेमेश नामक सोते के पास पहुँचकर एनरोगेल पर निकला;
तब अदोनिय्याह ने कुछ जानवरों को मेलबलि के लिये मारा। उसने कुछ भेड़ों, कुछ गायों और कुछ मोटे बछड़ों को मारा। अदोनिय्याह ने एनरोगेल के पास जोहेलेत की चट्टान पर ये बलियाँ चढ़ाईं। अदोनिय्याह ने इस विशेष उपासना में अपने साथ आने के लिये उनेक व्यक्तियों को आमन्त्रित किया। अदोनिय्याह ने अपने सभी भाईयों, (राजा के अन्य पुत्रों) तथा यहूदा के समस्त राज्य कर्मचारियों को आमन्त्रित किया।
याजकों के पुत्र योनातन और अहीमास, एनरोगेल पर प्रतीक्षा कर रहे थे। वे नगर में जाते हुए दिखाई नहीं पड़ना चाहते थे, अत: एक गुलाम लड़की उनके पास आई। उसने उन्हें सन्देश दिया। तब योनातन और अहीमास गए और उन्होंने यह सन्देश राजा दाऊद को दिया।
आकान को जलाने के बाद उसके शरीर पर उन्होंने कई शिलायें रखीं। वे शिलायें आज भी वहाँ हैं। इस तरह यहोवा ने आकान पर विपत्ति ढाई। यही कारण है कि वह स्थान आकोर घाटी कहा जाता है। इसके बाद, यहोवा लोगों से अप्रसन्न नहीं रहा।
उनकी माँ ने वेश्या का सा आचरण किया है। उनकी माँ को, जो काम उसने किये हैं, उनके लिये लज्जित होना चाहिये। उसने कहा था, ‘मैं अपने प्रेमियों के पास चली जाऊँगी। मेरे प्रेमी मुझे खाने और पीने को देते हैं। वे मुझे ऊन और सन देते हैं। वे मुझे दाखमधु और जैतून का तेल देते हैं।’
फिर तो शारोन की घाटी हमारी भेड़—बकरियों की चरागाह होगी तथा आकोर की तराई हमारे मवेशियों के आराम करने की जगह बन जायेगी। ये सब बातें मेरे लोगों के लिये होंगी। उन लोगों के लिये जो मेरी खोज में हैं।
तब यहोशू और सभी लोग जेरह के पुत्र आकान को आकोर की घाटी में ले गए। उन्होंने चाँदी, ओढ़ना, सोना, आकान के पुत्रियों—पुत्रों, उसके मवेशियों, उसके गधों, भेड़ों, तम्बू और उसकी सभी चीज़ों को भी लिया। इन सभी चीज़ों को वे आकान के साथ आकोर की घाटी मे ले गए।
वहाँ, सीमा उत्तर की ओर मुड़ी और एन शेमेश को गई। यह सीमा लगातार गलीलोत तक जाती है। (गलीलोत, पर्वतों में अदुम्मीम दर्रे के पास है।) यह सीमा उस बड़ी चट्टान तक गई जिसका नाम रूबेन के पुत्र, बोहन के लिए रखा गया था।