20 “या यह हो सकता है कि कोई अच्छा व्यक्ति अच्छा बने रहना छोड़ दे। मैं उसके सामने कुछ ऐसा लाकर रख दूँ कि वह उसका पतन (पाप) करे। वह बुरे काम करना आरम्भ करेगा। इसलिये वह मरेगा। वह मरेगा, क्योंकि वह पाप कर रहा है और तुमने उसे चेतावनी नहीं दी। मैं तुम्हें उसकी मृत्यु के लिये उत्तरदायी बनाऊँगा, और लोग उसके द्वारा किये गए सभी अच्छे कार्यों को याद नहीं करेंगे।
20 फिर जब धमीं जन अपने धर्म से फिर कर कुटिल काम करने लगे, और मैं उसके साम्हने ठोकर रखूं, तो वह मर जाएगा, क्योंकि तू ने जो उसको नहीं चिताया, इसलिये वह अपने पाप में फंसा हुआ मरेगा; और जो धर्म के कर्म उसने किए हों, उनकी सुधि न ली जाएगी, पर उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूंगा।
20 ‘इसी प्रकार यदि धार्मिक मनुष्य अपने सन्मार्ग से विमुख हो जाए और अधर्म करने लगे, और मैं उसको रोकने के लिए उसके आगे बाधाएँ उत्पन्न करूं, तो वह निस्सन्देह मर जाएगा। अब, क्योंकि तूने उस धार्मिक मनुष्य को चेतावनी नहीं दी थी, इसलिए वह अपने पाप में मरा और उसके सत्कर्मों को स्मरण नहीं किया गया, अत: मैं उसकी मृत्यु का दोष तेरे माथे ही मढूंगा।
20 फिर जब धर्मी जन अपने धर्म से फिरकर कुटिल काम करने लगे, और मैं उसके सामने ठोकर रखूँ, तो वह मर जाएगा, क्योंकि तूने जो उसको नहीं चिताया, इसलिये वह अपने पाप में फँसा हुआ मरेगा; और जो धर्म के कर्म उस ने किए हों, उनकी सुधि न ली जाएगी, पर उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूँगा।
20 “इसी प्रकार, जब कोई धर्मी व्यक्ति अपने धर्मीपन को छोड़कर बुरे कार्य करने लगे और मैं उसके सामने रोड़ा अटकाऊं, तो वह मर जाएगा. क्योंकि तुमने उसे नहीं चेताया, इसलिये वह अपने पाप में मर जाएगा, और जो धर्मी काम वह व्यक्ति किया होगा, वह याद किया नहीं जाएगा, और मैं तुमको उसके खून का ज़िम्मेदार ठहराऊंगा.
20 फिर जब धर्मी जन अपने धार्मिकता से फिरकर कुटिल काम करने लगे, और मैं उसके सामने ठोकर रखूँ, तो वह मर जाएगा, क्योंकि तूने जो उसको नहीं चिताया, इसलिए वह अपने पाप में फँसा हुआ मरेगा; और जो धार्मिकता के कर्म उसने किए हों, उनकी सुधि न ली जाएगी, पर उसके खून का लेखा मैं तुझी से लूँगा।
“ऐसा भी हो सकता है, कि भला व्यक्ति भला न रह जाय। वह अपने जीवन को बदल सकता है और उन भयंकर पापों का करना आरम्भ कर सकता है जिन्हें बुरे लोगों ने भूतकाल में किया था। (वह बुरा व्यक्ति बदल गया अत: वह जीवित रह सकता है।) अत: यदि वह भला व्यक्ति बदलता है और बुरा बन जाता है तो परमेश्वर उस व्यक्ति के किये अच्छे कामों को याद नहीं रखेगा। परमेश्वर यही याद रखेगा कि वह व्यक्ति उसके विरुद्ध हो गया और उसने पाप करना आरम्भ किया। इसलिये वह व्यक्ति अपने पापों के कारण मरेगा।”
यदि मैं कहता हूँ, ‘यह बुरा व्यक्ति मरेगा!’ तो तुम्हें यह चेतावनी उने देनी चाहिए! तुम्हें उससे कहना चाहिए कि वह अपनी जिन्दगी बदले और बुरे काम करना बन्द करे। यदि तुम उस व्यक्ति को चेतावनी नहीं दोगे तो वह मर जायेगा। वह मरेगा क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु मैं तुमको भी उसकी मृत्यु के लिये उत्तरदायी बनाऊँगा! क्यों क्योंकि तुम उसके पास नहीं गए और उसके जीवन को नहीं बचाया।
मसीह के विरोधी हमारे ही भीतर से निकले हैं पर वास्तव में वे हमारे नहीं हैं क्योंकि यदि वे सचमुच हमारे होते तो हमारे साथ ही रहते। किन्तु वे हमें छोड़ गए ताकि वे यह दिखा सकें कि उनमें से कोई भी वास्तव में हमारा नहीं है।
तथा वह बन गया: “एक ऐसा पत्थर जिससे लोगों को ठेस लगे और ऐसी एक चट्टान जिससे लोगों को ठोकर लगे।” लोग ठोकर खाते हैं क्योंकि वे परमेश्वर के वचन का पालन नहीं करते और बस यही उनके लिए ठहराया गया है।
अत: यहोवा जो कहता है, वह यह है: “मैं यहूदा के लोगों के सामने समस्यायें रखूँगा। वे लोगों को गिराने वाले पत्थर से होंगे। पिता और पुत्र उन पर ठोकर खाकर गिरेंगे। मित्र और पड़ोसी मरेंगे।”
कुछ लोग यहोवा से विमुख हो गये। उन्होंने मेरा अनुसरण करना छोड़ दिया। उन लोगों ने यहोवा से सहायता मांगना भी बन्द कर दिया। अत: मैं उन लोगों को उस स्थान से हटाऊंगा।”
“‘किन्तु यह हो सकता है कि पहरेदार शत्रु के सैनिकों को आता देखता है, किन्तु तुरही नहीं बजाता। उस पहरेदार ने लोगों को चेतावनी नहीं दी। शत्रु उन्हें पकड़ेगा और उन्हें बन्दी बनाकर ले जाएगा। वह व्यक्ति ले जाया जाएगा क्योंकि उसने पाप किया। किन्तु पहरेदार भी उस आदमी की मृत्यु का उत्तरदायी होगा।’
“मनुष्य के पुत्र, ये व्यक्ति तुमसे बातें करने आए हैं। वे चाहते थे कि तुम मुझसे राय लो। किन्तु वे व्यक्ति अब तक अपनी गन्दी देवमूर्तियों को रखे हैं। वे उन चीजों को रखते हैं जो उनसे पाप कराती हैं। वे अब तक उन मूर्तियों की पूजा करते हैं। इसलिये वे मेरे पास राय लेने क्यों आते हैं क्या मुझे उनके प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए नहीं!
यदि तुम यहोवा के प्रति आदर रखोगे और उसे पवित्र मानोगे तो वह तुम्हारे लिये एक सुरक्षित स्थान होगा। किन्तु तुम उसका आदर नहीं करते। इसलिए परमेश्वर एक ऐसी चट्टान हो गया है जिसके उपर तुम लोग गिरोगे। वह एक ऐसी चट्टान हो गया है जिस पर इस्राएल के दो परिवार ठोकर खायेंगे। यरूशलेम के सभी लोगों को फँसाने के लिये वह एक फँदा बन गया है।
अपने मार्ग दर्शकों की आज्ञा मानो। उनके अधीन रहो। वे तुम पर ऐसे चौकसी रखते हैं जैसे उन व्यक्तियों पर रखी जाती है जिनको अपना लेखा जोखा उन्हें देना है। उनकी आज्ञा मानो जिससे उनका कर्म आनन्द बन जाए। न कि एक बोझ बने। क्योंकि उससे तो तुम्हारा कोई लाभ नहीं होगा।
किन्तु हम तो बस क्रूस पर चढ़ाये गये मसीह का ही उपदेश देते हैं। एक ऐसा उपदेश जो यहूदियों के लिये विरोध का कारण है और ग़ैर यहूदियों के लिये निरी मूर्खता।
और अच्छी धरती पर गिरे बीज से अर्थ है वे व्यक्ति जो अच्छे और सच्चे मन से जब वचन को सुनते हैं तो उसे धारण भी करते हैं। फिर अपने धैर्य के साथ वह उत्तम फल देते हैं।
हे मेरे परमेश्वर, मेरी सुन! जरा अपनी आँखें खोल और हमारे साथ जो भयानक बातें घटी हैं, उन्हें देख! वह नगर जो तेरे नाम से पुकारा जाता था, देख उसके साथ क्या हो गया है! मैं यह नहीं कह रहा हूँ कि हम अच्छे लोग हैं। इसलिये मैं इन बातों की याचना कर रहा हूँ। यह याचना तो मैं इसलिये कर रहा हूँ कि मैं जानता हूँ कि तू दयालु है।
वे अपनी चाँदी की देव मूर्तियों को सड़कों पर फेक देंगे। वे अपने सोने की देवमूर्तियों को गन्दे चीथड़ो की तरह समझेंगे! क्यों क्योंकि जब यहोवा ने अपना क्रोध प्रकट किया वे मूर्तियाँ उन्हें बचा न सकीं। वे मूर्तियाँ लोगों के लिए पतन (पाप) के जाल के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं थी। वे मूर्तियाँ लोगों को भोजन नहीं देंगी वे मूर्तियाँ उनके पेट में अन्न नहीं पहुँचायेंगी।
यहोवा अमस्याह पर बहुत क्रोधित हुआ। यहोवा ने अमस्याह के पास एक नबी भेजा। नबी ने कहा, “अमस्याह, तुमने उन देवताओं की क्यों पूजा की जिन्हें वे लोग पूजते थे वे देवता तो अपने लोगों की भी तुमसे रक्षा न कर सके!”
उस व्यक्ति की बातों पर ध्यान मत दो। क्यों? क्योंकि यहोवा तुम्हारा परमेश्वर तुम्हारी परीक्षा ले रहा है। वह यह जानना चाहता है कि तुम पूरे हृदय और आत्मा से उस से प्रेम करते हो अथवा नहीं।
फिर शमौन ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उसकी माँ मरियम से कहा, “यह बालक इस्राएल में बहुतों के पतन या उत्थान के कारण बनने और एक ऐसा चिन्ह ठहराया जाने के लिए निर्धारित किया गया है जिसका विरोध किया जायेगा।
किन्तु अब तुमने अपने इरादे बदल दिये हैं। तुमने यह प्रकट किया है कि तुम मेरे नाम का सम्मान नहीं करते। तुमने यह कैसे किया तुम में से हर एक ने अपने दास दासियों को वापस ले लिया है जिन्हें तुमने स्वतन्त्र किया था। तुम लोगों ने उन्हें फिर दास होने के लिये विवश किया है।’