1 एक दिन इस्राएल के अग्रजों (प्रमुखों) में से कुछ मेरे पास यहोवा की राय पूछने आए। यह पाँचवें महीने (अगस्त) का दसवाँ दिन और देश—निकाले का सातवाँ वर्ष था। अग्रज (प्रमुख) मेरे सामने बैठे।
1 निष्कासन के सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन की यह घटना है। इस्राएली राष्ट्र के कुछ धर्मवृद्ध मेरे पास आए। वे मेरे सामने बैठ गए। उन्होंने मेरे माध्यम से प्रभु की इच्छा पूछी।
एलीशा ने इस्राएल के राजा (यहोराम) से कहा, “तुम मुझ से क्या चाहते हो अपने पिता और अपनी माता के नबियों के पास जाओ।” इस्राएल के राजा ने एलीशा से कहा, “नहीं, हम लोग तुमसे मिलने आए हैं, क्योंकि यहोवा ने हम तीन राजाओं को इसलिये एक साथ यहाँ बुलाया है कि मोआबी हम लोगों को हराएं। हम तुम्हारी सहायता चाहते हैं।”
राजा ने एलीशा के पास एक सन्देशवाहक भेजा। एलीशा अपने घर में बैठा था और अग्रज (प्रमुख) उसके साथ बैठे थे। सन्देशवाहक के आने से पहले एलीशा ने प्रमुखों से कहा, “देखो, वह हत्यारे का पुत्र (इस्राएल का राजा) लोगों को मेरा सिर काटने को भेज रहा है। जब सन्देशवाहक आये तो दरवाजा बन्द कर लेना। दरवाजे को बन्द रखो और उसे घुसने मत दो। मैं उसके पीछे उसके स्वामी के आने वाले कदमों की आवाज सुन रहा हूँ!”
मेरा स्वामी कहता है, “ये लोग कहते हैं कि वे मुझे प्रेम करते हैं। अपने मुख के शब्दों से वे मेरे प्रति आदर व्यक्त करते हैं। किन्तु उनके मन मुझ से बहुत दूर है। वह आदर जिसे वे मेरे प्रति दिखाते हैं, बस कोरे मानव नियम हैं जिन्हें उन्होंने कंठ कर रखा हैं।
वे सभी प्रतिदिन मेरी उपासना को आते हैं और वे मेरी राहों को समझना चाहते हैं वे ठीक वैसा ही आचरण करते हैं जैसे वे लोग किसी ऐसी जाति के हों जो वही करती है जो उचित होता है। जो अपने परमेश्वर का आदेश मानते हैं। वे मुझसे चाहते हैं कि उनका न्याय निष्पक्ष हो। वे चाहते हैं कि परमेश्वर उनके पास रहे।
पशहूर और सपन्याह ने यिर्मयाह से कहा, “यहोवा से हम लोगों के लिए प्रार्थना करो। यहोवा से पूछो कि क्या होगा हम जानना चाहते हैं क्योंकि बाबुल का राजा नबूकदनेस्सर हम लोगों पर आक्रमण कर रहा है। सम्भव है यहोवा हम लोगों के लिये वैसे ही महान कार्य करे जैसा उसने बीते समय में किया। सम्भव है कि यहोवा नबूकदनेस्सर को आक्रमण करने से रोक दे या उसे चले जाने दे।”
तब राजा सिदकिय्याह ने यिर्मयाह को बुलवाया और उसे राजमहल में लाया गया। सिदकिय्याह ने यिर्मयाह से एकान्त में बातें कीं। उसने यिर्मयाह से पूछा, “क्या यहोवा को कोई सन्देश है” यिर्मयाह ने उत्तर दिया, “हाँ, यहोवा का सन्देश है। सिदकिय्याह, तुम बाबुल के राजा के हाथ में दे दिये जाओगे।”
हम लोगों को बन्दी के रूप में ले जाए जाने के पच्चीसवें वर्ष में, वर्ष के आरम्भ में (अकटूबर) महीने के दसवें दिन, यहोवा की शक्ति मुझमें आई। बाबुल वासियों द्वारा इस्राएल पर अधिकार करने के चौदहवें वर्ष का यह वही दिन था। दर्शन में यहोवा मुझे वहाँ ले गया।
एक दिन मैं (यहेजकेल) अपने घर में बैठा था और यहूदा के अग्रज (प्रमुख) वहाँ मेरे सामने बैठे थे। यह देश—निकाले के छठे वर्ष के छठे महीने (सितम्बर) के पाँचवें दिन हुआ। अचानक मेरे स्वामी यहोवा की शक्ति मुझमें उतरी।
तब मैंने इस पर ध्यान दिया कि शापान का पुत्र याजन्याह और इस्राएल के सत्तर अग्रज (प्रमुख) उस स्थान पर पूजा करने वालों के साथ थे। वहाँ पर वे, लोगों के ठीक सामने थे, और हर एक प्रभुख के हाथ में अपनी सुगन्धि का थाल था। जलती सुगन्धि का धुँआ हवा में उठ रहा था।
उन्होंने अपने चेलों को हेरोदियों के साथ उसके पास भेजा। उन लोगों ने यीशु से कहा, “गुरु, हम जानते हैं कि तू सच्चा है तू सचमुच परमेश्वर के मार्ग की शिक्षा देता है। और तब, कोई क्या सोचता है, तू इसकी चिंता नहीं करता क्योंकि तू किसी व्यक्ति की हैसियत पर नहीं जाता।
फिर वहाँ के लोग जो कुछ घटा था उसे देखने बाहर आये। वे यीशु से मिले। और उन्होंने उस व्यक्ति को जिसमें से दुष्टात्माएँ निकली थीं यीशु के चरणों में बैठे पाया। उस व्यक्ति ने कपड़े पहने हुए थे और उसका दिमाग एकदम सही था। इससे वे सभी डर गये।
“मैं एक यहूदी व्यक्ति हूँ। किलिकिया के तरसुस में मेरा जन्म हुआ था और मैं इसी नगर में पल-पुस कर बड़ा हुआ। गमलिएल के चरणों में बैठ कर हमारे परम्परागत विधान के अनुसार बड़ी कड़ाई के साथ मेरी शिक्षा-दीक्षा हुई। परमेश्वर के प्रति मैं बड़ा उत्साही था। ठीक वैसे ही जैसे आज तुम सब हो।