8 अगूंर की बेल अच्छे खेत में बोई गई थी। यह प्रभूत जल के पास बोई गई थी। यह शाखायें और फल उत्पन्न कर सकती थी। यह एक बहुत अच्छी अगूंर की बेल हो सकती थी।’”
8 बाज ने उसको उपजाऊ भूमि पर लगाया था, उसने उसको उमड़ते जलाशय के तट पर बोया था, कि उसके अंकुर फूटें, बेल बने, और बेल में शाखाएं निकलें, और वह अंगूर के गुच्छों से भर जाए और फलवंत अंगूर-बेल बने।
तब दूसरे बड़े पंखों वाले उकाब ने अंगूर की बेल को देखा। उकाब के लम्बें पंख थे। अंगूर की बेल चाहती थी कि यह नया उकाब उसकी देख—भाल करे। इसलिये इसने अपनी जड़ों को इस उकाब की ओर फैलाया। इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फैलीं। इसकी शाखायें इस उकाब की ओर फलीं। इसकी शाखायें उस खेत से दूर फैली जहाँ यह बोई गई थी। अगूंर की बेल चाहती थी कि नया उकाब इसे पानी दे।
मेरे स्वामी यहोवा ने ये बातें कही, “क्या तुम समझते हो कि बेल सफल होगी? नहीं! नया उकाब बेल को जमीन से उखाड़ देगा। और पक्षी बेल की जड़ों को तोड़ देगा। वह सारे अंगूर खा जाएगा। तब नयी पत्तियाँ सूखेंगी और मर जाएंगी। वह बेल बहुत कमजोर होगी। इस बेल को जड़ से उखाड़ने के लिये शक्तिशाली अस्त्र—शस्त्र या शक्तिशाली राष्ट्र की जरूरत नहीं होगी।
जल वृक्ष को उगाता था। गहरी नदियाँ वृक्ष को ऊँचा करती थीं। नदियाँ उन स्थान के चारों ओर बहती थीं, जहाँ वृक्ष लगे थे। केवल इसकी धारायें ही खेत के अन्य वृक्षों तक बहती थीं।