आहाज ने याजक ऊरिय्याह को आदेश दिया। उसने कहा, “विशाल वेदी का उपयोग सवेरे की होमबलियों को जलाने के लिये, सन्ध्या की अन्नबलि के लिये और इस देश के सभी लोगों की पेय भेंट के लिये करो। होमबलि और बलियों का सारा खून विशाल वेदी पर छिड़को। किन्तु मैं काँसे की वेदी का उपयोग परमेश्वर से प्रश्न पूछने के लिये करूँगा।”
यहोवा बोला, “ये बातें सच्ची हैं, इसे स्वयं प्रमाणित करने के लिए कोई संकेत माँग ले। तू जैसा भी चाहे वैसा संकेत माँग सकता है। वह संकेत चाहे गहरे मृत्यु के प्रदेश से हो और चाहे आकाश से भी ऊँचे किसी स्थान से।”
तब यशायाह ने कहा, “हे, दाऊद के वंशजों, सावधान हो कर सुनो! तुम लोगों के धैर्य की परीक्षा लेते हो। क्या यह तुम्हारे लिए काफी नहीं है जो, अब तुम मेरे परमेश्वर के धैर्य की परीक्षा ले रहे हो
अत: वे तुम्हारे पास वैसे ही आते हैं जैसे वे मेरे लोग हों। वे तुम्हारे सामने मेरे लोगों की तरह बैठेंगे। वे तुम्हारा सन्देश सुनेंगे। किन्तु वे वह नहीं करेंगे जो तुम कहोगे। वे केवल वह करना चाहते हैं जो अनुभव करने में अच्छा हो। वे लोगों को धोखा देना चाहते हैं और अधिक धन कमाना चाहते हैं।
हम समझते रहे कि गर्वीलें लोग सुखी रहते हैं। दुष्ट लोग सफल होते हैं। वे परमेश्वर के धैर्य की परीक्षा करने के लिये बुरे काम करते हैं, और परमेश्वर उन्हें दण्ड नहीं देता।”
तब पतरस ने उससे कहा, “तुम दोनों प्रभु की आत्मा की परीक्षा लेने को सहमत क्यों हुए? देख तेरे पति को दफनाने वालों के पैर दरवाज़े तक आ पहुँचे हैं और वे तुझे भी उठा ले जायेंगे।”