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यशायाह 40:13 - पवित्र बाइबल

13 यहोवा की आत्मा को किसी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि उसे क्या करना था। यहोवा को किसी ने यह नहीं बताया कि उसे जो उसने किया है, कैसे करना था।

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Hindi Holy Bible

13 किस ने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया वा उसका मन्त्री हो कर उसको ज्ञान सिखाया है?

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पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI)

13 प्रभु के आत्‍मा को किसने निर्देशित किया है? उसका परामर्शदाता कौन है, जो उसको सिखाता है?

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पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI)

13 किसने यहोवा के आत्मा को मार्ग बताया या उसका मन्त्री होकर उसको ज्ञान सिखाया है?

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सरल हिन्दी बाइबल

13 किसने याहवेह के आत्मा को मार्ग बताया है, अथवा याहवेह का सहायक होकर उन्हें ज्ञान सिखाया है?

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इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019

13 किसने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया या उसका सलाहकार होकर उसको ज्ञान सिखाया है? (1 कुरि. 2:16)

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यशायाह 40:13
10 क्रॉस रेफरेंस  

पृथ्वी बेडौल और सुनसान थी। धरती पर कुछ भी नहीं था। समुद्र पर अंधेरा छाया था और परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मण्डराती थी।


“कोई व्यक्ति परमेश्वर को ज्ञान नहीं दे सकता, वह ऊँचे पदों के जनों का भी न्याय करता है।


मैंने उन झूठे देवों को देखा था, उनमें से कोई भी इतना बुद्धिमान नहीं था जो कुछ कह सके। मैंने उनसे प्रश्न पूछे थे वे एक भी शब्द नहीं बोल पाये थे।


किन्तु इन नबियों में से कोई भी स्वर्गीय परिषद में सम्मिलित नहीं हुआ है। उनमें से किसी ने भी यहोवा के सन्देश को न देखा है न ही सुना है। उनमें से किसी ने भी यहोवा के सन्देश पर गम्भीरता से ध्यान नहीं दिया है।


“मुझे मेरे पिता द्वारा सब कुछ दिया गया है और पिता के सिवाय कोई नहीं जानता कि पुत्र कौन है और पुत्र के अतिरिक्त कोई नहीं जानता कि पिता कौन है, या उसके सिवा जिसे पुत्र इसे प्रकट करना चाहता है।”


परमेश्वर की संतान के रूप में वह कुदरती तौर पर न तो लहू से पैदा हुआ था, ना किसी शारीरिक इच्छा से और न ही माता-पिता की योजना से। बल्कि वह परमेश्वर से उत्पन्न हुआ।


शास्त्र कहता है: “प्रभु के मन को कौन जानता है? और उसे सलाह देने वाला कौन हो सकता हैं?”


“प्रभु के मन को किसने जाना? उसको कौन सिखाए?” किन्तु हमारे पास यीशु का मन है।


सब बातें योजना और परमेश्वर के निर्णय के अनुसार की जाती हैं। और परमेश्वर ने अपने निजी प्रयोजन के कारण ही हमें उसी मसीह में संत बनने के लिये चुना है। यह उसके अनुसार ही हुआ जिसे परमेश्वर ने अनादिकाल से सुनिश्चित कर रखा था।


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