उन लोगों को धिक्कार है जो सहायता पाने के लिये मिस्र की ओर उतर रहे हैं। ये लोग घोड़े चाहते हैं। उनका विचार है, घोड़े उन्हें बचा लेंगे। लोगों को आशा है कि मिस्र के रथ और घुड़सवार सैनिक उन्हें बचा लेंगे। लोग सोचते हैं कि वे सुरक्षित इसलिये हैं कि वह एक विशाल सेना है। लोग इस्राएल के पवित्र (परमेश्वर) पर भरोसा नहीं रखते। लोग यहोवा से सहायता नहीं माँगते।
तुम कहते हो, “नहीं, हमें घोड़ों की आवश्यकता है जिन पर चढ़ कर हम दूर भाग जायें!” यह सच है—तुम घोड़ों पर चढ़ कर दूर भाग जाओगे किन्तु शत्रु तुम्हारा पीछा करेगा और वह तुम्हारे घोड़ों से अधिक तेज़ होगा।
क्योंकि उसने सब जनों को व्यभिचार के क्रोध की मदिरा पिलायी थी। इस जगत के शासकों ने जो स्वयं जगाई थी उससे व्यभिचार किया था। और उसके भोग व्यय से जगत के व्यापारी सम्पन्न बने थे।”
अश्शूर हमें बचा नहीं पायेगा। हम घोड़ों पर सवारी नहीं करेंगे। हम फिर अपने ही हाथों से बनाई हुई वस्तुओं को, “अपना परमेश्वार” नहीं कहेंगे। क्यों? क्योंकि बिना माँ—बाप के अनाथ बच्चों पर दया दिखाने वाला बस तू ही है।
उन्होंने लालच से हिंसा भरे स्वार्थ साधे थे और उसने मुझको क्रोधित कर दिया था। मैंने इस्राएल को दण्ड दिया। मैंने उसे निकाल दिया क्योंकि मैं उस पर क्रोधित था और इस्राएल ने मुझको त्याग दिया। जहाँ कहीं इस्राएल चाहता था, चला गया।